Kaithal News :आर्ट ऑफ लिविंग द्वारा आनन्द उत्सव कार्यक्रम आयोजित

0
101
Anand Utsav event organized by Art of Living
समारोह में भाग लेते हुए मुख्यातिथि व योग साधक

(Kaithal News) कैथल। श्री श्री रविशंकर द्वारा संचालित संस्था आर्ट ऑफ लिविंग द्वारा गुरुदेव श्री श्री रविशंकर के पावन सानिध्य में वेदविज्ञान महाविद्यापीठ, कपिस्थल आश्रम, कैथल में गुरु-ज्ञान, अदभुत सुदर्शन क्रिया, ध्यान, मौन, विशिष्ट क्रियाओं एवं दार्शनिक वार्तालाप जैसे दिव्य रत्नों से सुसज्जित आनंद उत्सव कार्यक्रम का समापन सम्पन्न हुआ। आचार्या कंचन सेठ एवं आर्ट ऑफ लिविंग की स्थानीय इकाई के सचिव भारत खुराना ने बताया कि वैब-कास्ट के माध्यम से परमपूजनीय गुरुदेव श्री श्री रविशंकर के पावन सानिध्य में स्थानीय आर्ट ऑफ लिविंग आचार्या सोनिया मिगलानी एवम् आचार्या रुचि शर्मा की सहायता से आयोजित इस अदभुत एवं अद्वितीय आनन्द उत्सव कार्यक्रम के अतिरिक्त अचार्य गुलाब सिंह के पावन सानिध्य में ग्रामीण क्षेत्रों से आए साधकों हेतू आनन्द अनुभूति शिविर में साधकों ने योग-ध्यान, प्राणायाम, भजन-सत्संग एवं अदभुत सुदर्शन क्रिया के साथ साथ जीवन से सम्बंधित छोटे-छोटे लेकिन महत्वपूर्ण बिंदुओं की ज्ञानवर्धक व सार्थक जानकारी रोचक वार्तालाप व अनोखी प्रक्रियाओं के माध्यम से प्राप्त कर अपने व्यक्तित्व का बहुआयामी विकास करने की दिशा में महत्वपूर्ण कदम उठाया। विशेष रूप से सुदर्शन क्रिया के खुशगवार प्रभाव व अनोखे अनुभव से प्रत्येक व्यक्ति अभिभूत था। साधकों द्वारा आत्मबोध, आत्मदर्शन एवं आत्मसाक्षात्कर की दिव्य अनुभूति करते हुए परमशान्ति, आत्मिक आनंद तथा दिव्य ऊर्जा का अतुल्य अनुभव इस कार्यक्रम की प्रमुख विशेषता रही।

 

प्रतिभागियों में से सुनीता जिन्दल  ने शिविर सम्बन्धी अनुभव सांझा करते हुए बताया कि न सिर्फ अपने दुर्लभ मानव जीवन को एक नवीन दृष्टिकोण के साथ समझने का स्वर्णिम अवसर प्राप्त हुआ अपितु जिस शीतलता, तृप्ति, दिव्य आनंद के साथ साथ रसमय एवं प्रेममय जीवन की दिव्य अनुभूति हुई उसे शब्दों में बयां कर पाना मुश्किल है। वेबकास्ट के माध्यम से परमपूज्य गुरुदेव श्री श्री रविशंकर ने कहा कि आध्यात्म में रत साधक की उपस्थिति मात्र से ही न सिर्फ सकारात्मक वातावरण जनित हो उठता है, अपितु हर प्रकार की चुनौतियों से भी ज्ञानपूर्ण व्यवहार द्वारा सहजता से ही पार पाया जा सकता है। उन्होंने कहा कि वैदिक संस्कृति के प्रसार द्वारा ही अपनी वास्तविक जड़ों की ओर लौटते हुए हम दिव्य समाज निर्माण के दिव्य-स्वप्न को मूर्त्त रूप प्रदान कर सकते हैं। परमपूज्य गुरुदेव श्री श्री रविशंकर द्वारा सभी साधकों को ज्ञान एवं साधना जैसे स्वर्णिम सूत्रों की मदद से अकर्मण्यता का त्याग करते हुए स्वयं को इक आदर्श कर्मयोगी के रूप में स्थापित करने के साथ साथ सभी साधकों को अपने दुर्लभ मानव जीवन को वृहद दृष्टिकोण के साथ उच्चतम धरातल पर जीने का दिव्य शुभाशीष भी प्रदान करना इस कार्यक्रम की दिव्य विशेषता रही। सभी प्रतिभागी साधकों द्वारा स्वयं को गुरु-ज्ञान के अनुरूप ढालते हुए अपने आप को सम्पूर्ण समाज मे इक उत्कृष्ट उदाहरण के रूप में स्थापित करने का संकल्प धारण करना इस शिविर की अतुलनीय विशेषता रही।  शिविर के अन्तिम दिन सभी प्रतिभागियों ने न सिर्फ सहभोज का आनन्द लिया, अपितु एक दूसरे को प्रेमस्वरूप तोहफ़े भी भेंट किये। संस्था के बारे में जानकारी देते हुए आचार्या अल्पना, सोनिया मिगलानी ने बताया कि लगभग 183 देशों में सेवारत इस संस्था द्वारा आयोजित कार्यक्रमों में करोड़ो लोग लाभान्वित हो चुके हैं। इसके अतिरिक्त उन्होंने बताया कि प्रतिभागियों द्वारा किए जा रहे आर्थिक योगदान का अधिकांश भाग संस्था द्वारा गोद लिये गये लगभग 30000 गांवो के विकास व संचालन तथा सामाजिक उत्थान हेतू आयोजित किये जाने वाले भिन्न भिन्न कार्यक्रमों में खर्च किया जा रहा है।

ग्रामीण इलाकों और गरीब बस्तियों में लगाये जाने वाले नि:शुल्क नवचेतना शिविर तथा कैदियों की मनोदशा सुधारने हेतू जेलों में नि:शुल्क शिविरों का आयोजन, लगभग 1096 नि:शुल्क विद्यालयों में विद्यार्थियों को मानवीय मूल्यों से सुसज्जित उच्च कोटि की उत्कृष्ट शिक्षा, लगभग 10 करोड़ वृक्षारोपण, लगभग 1200 आदर्श गाँवों का विकास, युद्ध व उग्रवाद से पीडि़त क्षेत्रों में शान्ति स्थापना की पहल, विश्व के किसी भी भाग में विपतिपूर्ण हालात में स्वयं की पहल पर संकट निवारण हेतु हर संभव विशेषज्ञ सेवाओं की प्रस्तुति इस संस्था को विश्व की अनूठी एवं अग्रणी संस्था के रूप में स्थापित करता है। आचार्या सोनिया मिगलानी ने कहा कि व्यक्तित्व विकास के माध्यम से समाज में दृष्टिकोण परिवर्तन लाते हुए हिंसा-विहीन, प्यार एवं करुणा जैसे दैवीय गुणों से सुसज्जित दिव्य समाज का निर्माण कर उसे आगामी पीढ़ी को हस्तांतरित करना इस संस्था का पुनीत उद्देश्य है। कार्यक्रम के अंतिम चरण में आचार्य गुलाब सिंह ने कार्यक्रम से लाभान्वित हुए प्रत्येक साधक को आव्हान किया कि समाज के प्रत्येक व्यक्ति के जीवन को सुरभित करने व जीवन को एक सुंदर उत्सव के रूप में परिवर्तित करने हेतू अधिक से अधिक लोगों को आर्ट ऑफ लिविंग परिवार का अटूट अंग बनाया जाए। शिविर की सफलता तय करने में सभी स्वयंसेवकों ने अमूल्य योगदान प्रदान किया।