भाजपा के लिए मूछ का सवाल बनकर रह गया कैथल नगर परिषद चेयरपर्सन का चुनाव

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Kaithal Municipal Council President election

रणदीप सुरजेवाला को सीधी पटकनी देने के मूड में दिखाई दे रही है भाजपा

विकास के बूते पर चुनाव जीतने के दावे कर रहे हैं रणदीप सुरजेवाला

मनोज वर्मा, कैथल

कैथल नगर परिषद चेयरपर्सन का चुनाव वर्तमान भाजपा व जजपा के लिए मूछ का सवाल बन कर रह गया है, ऐसा प्रतीत हो रहा है। उसका मुख्य कारण यह है कि गत 7 जून को जैसे ही चुनाव लड़ रहे प्रत्याशियों को चुनाव चिन्ह आवंटित किए गए थे तब से लेकर आज तक भाजपा – जजपा समर्थित उम्मीदवार के साथ साथ दूसरे दलों के प्रत्याशी भी सुबह से लेकर देर सांय तक अपना पसीना बहाते हुए नजर आ रहे हैं।

पिछले 7 दिनों में प्रदेशाध्यक्ष सहित कई दिज्गज कैथल में बहा चुके हैं पसीना

भाजपा व जजपा के लिए जहां यह चुनाव चौधर और अपनी साख बचाने के लिए लड़ा जा रहा है तो वहीं दूसरी तरफ भाजपा – जजपा कांग्रेस के राष्ट्रीय प्रवक्ता एवं राज्यसभा सांसद चुने गए रणदीप सुरजेवाला को सीधे तौर पर पटकनी देने के लिए हर संभव प्रयास करती नजर आ रही है। वहीं दूसरी तरफ अगर हम बात करें कांग्रेस पार्टी की तो, कांग्रेस पार्टी ने अपने सिंबल पर चुनाव नहीं लड़ा। जिससे राजनीति के पंडितों में इस बात की खासी चर्चा है कि आखिर कांग्रेस ने अपने सिंबल पर चुनाव क्यों नहीं लड़ा ? जबकी भाजपा, इनैलो और आप पार्टी ने यह चुनाव अपने सिंबल पर लडऩे का निर्णय लिया और चुनाव भी उपरोक्त सभी पार्टियां अपने सिंबल पर ही लड़ रहीं है। क्या इसका यह अनुमान लगाया जाए कि कांग्रेस को कहीं न कहीं अंदर खाते अपनी हार और पार्टी की गिरती हुई साख का डर सता रहा है कि, कहीं पार्टी के गिरते ग्राफ से इस चुनाव पर सीधा सीधा प्रभाव न पडे ? या फिर कांग्रेस पार्टी केवल और केवल ऊपरी मन से चुनाव मैदान में उतरी है? अगर हम बात करें तो चुनाव चिन्ह अलाट होने के पहले दिन से ही भाजपा के कई दिज्गज अब तक कैथल में डेरा जमाए हुए हैं। जिनमें सांसद नायब सैनी सप्ताह में करीब 4 या 5 दिन कैथल में ही प्रचार करते दिखाई दिए। पार्टी के प्रदेशाध्यक्ष ओपी धनखड़ ने भी अपने पूरे प्रयास किए और कार्यकर्ताओं ने नया जोश भरने का काम किया। भाजपा के अंबाला से विधायक असीम गोयल भी कार्यकर्ताओं ने पूरा जोश भरते हुए दिखाई दिए। हैफेड के चेयरमैन और प्रसिद्व समाजसेवी कैलाश भगत भी सुबह से लेकर शाम तक शहर वासियों को पार्टी की नीतियों से अवगत करवा रहे हैं ओर जिले के विकास कार्यों को अमली जामा पहनाने की वकालत कर रहे हैं।

आज गृह मंत्री अनिल विज तो कल मुख्यमंत्री स्वयं संभालेंगेें चुनाव की कमान

उसी श्रंखला में आज स्वास्थ्य एंव गृह मंत्री अनिल विज कार्यकर्ताओं में जोश भरने और चुनाव की स्थिति का जायजा लेने के लिए कैथल में आ रहे हैं। पता चला है कि वे कई जगहों पर पार्टी प्रत्याशी के पक्ष में प्रचार की कमान भी संभालेंंगें। 16 जून को स्वयं मुख्यमंत्री मनोहर लाल कैथल में उपस्थित होंगें। ताकि चुनाव प्रचार को आगे बढाया जा सके और लोगों के मन को भी टटोला जा सके। लगातार भाजपा इस चुनाव को लेकर इतनी आक्रामक लग रही है मानों वो कोई बड़ी जंग जीतने जा रही हो। जिस प्रकार से भाजपा व जजपा के बडे बडे दिज्गज पिछले एक सप्ताह से कैथल में डेरा जमाए बैठे हैं या फिर कैथल में लगातार दौरे पर दौरे कर रहे हैं उससे ऐसा प्रतीत होता है कि मानों भाजपा के लिए इस चुनाव को जीतने की राह इतनी आसान नहीं है। शायद तभी एक के बाद भाजपा के कदावर नेता अपनी पूरी ताकत कैथल में झोंकते हुए दिखाई दे रहे हैं।

रणदीप को पटकनी देना नहीं होगा इतना आसान

अगर हम विकास की बात करें तो इस बात में तनिक भी अतिश्योक्ति नहीं होगी कि रणदीप सुरजेवाला ने अपने विधायक काल में यहां पर अनेकों विकास कार्र्र्यांे को अमलीजामा पहनाया है और कैथल की दशा बदलने का काम किया है। इस बात को स्थानीय जनता भी मानती है कि अगर विकास की बात करें तो रणदीप सुरजेवाला के प्रयासों से कैथल शहर की दशा और दिशा जरूर बदली है। रणदीप सुरजेवाला भी 12 तारीख के बाद से एक दम से सक्रिय नजर आ रहे हैं। भाजपा के दिज्गजों को भी आडे हाथों ले रहें हैं और जनता के बीच जाकर अपने शासनकाल में करवाए गए विकास कार्यों की दुहाई भी दे रहे हैं। जिस समाज के लोगों को रणदीप सुरजेवाला ने अपने समय में साथ लेकर उनके समाज भलाई के लिए कार्य किए हैं अगर हम बात करें तो वो सब कार्य भाजपा के लिए टेडी खीर साबित हो सकते हैं? रणदीप सुरजेवाला का पटकनी देना इतना आसान भी नहीं होगा जितना की भाजपा को लग रहा है। कहंी न कहीं भाजपा भी इस बात से भली भांति वाकिफ है कि रणदीप को टक्कर देना आसान काम नहीं है। भाजपा सरकार, प्रशासनिक बूते के आधार पर तो रणदीप अपने शासन काल में करवाए गए विकास के नाम पर वोट मांग रहे हैं।

ये भी डाल सकते हैं चुनाव परिणामों पर असर

अगर हम बात करें आम आदमी पार्टी की तो, उसकी प्रत्याशी की शैक्षणिक योगयता को लेकर कथित तौर पर विपक्ष हमलावर होता हुआ नजर आ रहा है। विपक्ष का कहना है कि आप प्रत्याशी की दसवीं पास की डिग्री भी सही नहीं है। उसने गलत तरीके से शैक्षणिक योगयता उर्तीर्ण की हुई है। जबकि प्रत्याशी नीलम रानी का कहना है कि उसने कोई भी गलत तरीके से डिग्री हासिल नहीं की है। बाकायदा एक मान्यता प्राप्त युनिवर्सीटी से परीक्षा उतीर्ण की है। वहीं आप पार्टी के दिल्ली के रिठाला के विधायक महेन्द्र गोयल भी इस चुनाव में पहले दिन से ही कैथल में डेरा डाले हुए हैं। उनका भी यही मानना है कि इस बार का चुनाव सच और झूठ से ऊपर उठ कर विकास को लेकर लड़ा  जा रहा है। दावे उनके भी इस चुनाव में भाजपा प्रत्याशी इनैलो प्रत्याशी और काग्रेंस समर्थित उम्मीदवार को पटकनी देने के हैं। उनका आरोप है कि इस बार सभी पार्टियां पैसे के बल पर चुनाव जीतने का प्रयास कर रही हैं। यह चुनाव पैसें वालों बनाम आम आदमी का चुनाव है। जिसमें जीत आम आदमी की होनी निश्चित है।

अब देखना यह है कि यह चुनावी ऊंट किस करवट बैठता है ये तो भविष्य के गर्भ में ही है। लेकिन अगर कुल मिलाकर जोर आजमाईश की बात करें या सरकार के झुकाव की तो ऐसा प्रतीत होता है कि यह चुनाव सीधा सीधा भाजपा – जजपा बनाम कांग्रेस के बीच न होकर रणदीप सुरजेवाला के साथ होता प्रतीत हो रहा है। दोनों की दलों द्वारा साम, दाम, दंड भेद का खेल खूब खेला जा रहा है। अब देखना यह होगा कि इस चुनाव में जीत किसकी होगी।

 

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