-डॉक्टर नीलम कक्कड़ और उसके डॉ पति बी बी कक्कड़ के खिलाफ 18 साल बाद एफआईआर दर्ज
-जजों के फर्जी हस्ताक्षर कर बना लिए थे कोर्ट के अटेंडेंस सर्टिफिकेट
-तबादले के बाद अदालत में फर्जी गवाही दिखाते रहे और ड्यूटी ज्वाइन नहीं की, गलत तरीके से टीए व डीए भी लिया
नरेश भारद्वाज, कैथल:
अदालत ने 18 साल पहले के एक मामले में दो चिकित्सकों द्वारा न्यायाधीश के फर्जी हस्ताक्षर करने के आरोप में कैथल के सरकारी अस्पताल में कार्यरत दंपत्ति डॉक्टर नीलम कक्कड़ और डॉक्टर बीबी कक्कड़ के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने के आदेश जारी किए हैं। मामला 2003 का है। तब डॉक्टर दंपती का ट्रांसफर कैथल से गु़ड़गांव हुआ था। परंतु दोनों ने वहां ज्वाइन न करके उस समय कैथल कोर्ट और गुहला की कोर्ट में केस संबंधित गवाही दिखाते रहे और अपनी ड्यूटी ज्वाइन नहीं की। इतना ही नहीं डॉक्टर दंपती द्वारा कोर्ट के फर्जी अटेंडेंस सर्टिफिकेट बना कर गलत तरीके से टीए व डीए बीभी लिया गया जबकि जिन अदालतों का अटेंड सर्टिफिकेट दिया हुआ है उन कोर्ट के 4 जजों ने अपने कार्यालय के पत्र द्वारा खुद लिखकर दिया है कि निम्न दिनांकों को उपरोक्त दंपती डॉक्टर हमारी कोर्ट में पेश नहीं हुए और न ही हमारी कोर्ट में ऐसा कोई केस पेंडिंग है।
दिसंबर 2020 में जैसे ही इसकी जानकारी आरटीआई कार्यकर्ता जयपाल को लगी तो उसने उसी समय आरटीआई के तहत दस्तावेज इकट्ठे किए और इसकी शिकायत कैथल के सेशन कोर्ट व पुलिस अधीक्षक कैथल तथा सीएम विंडो पर थी। शिकायत पर संज्ञान लेते हुए जिला सेशन कोर्ट कैथल ने इस शिकायत को आगामी कार्रवाई के लिए महानिदेशक स्वास्थ्य सेवाएं हरियाणा को भेज दिया था। वहीं दूसरी तरफ कैथल पुलिस द्वारा आज तक कोई भी एफआईआर दर्ज नहीं की गई थी और शिकायत निराधार मानते हुए दफ्तर दाखिल कर दिया था। उसके बाद जयपाल ने डॉक्टरों पर एफआईआर दर्ज करवाने व उनके खिलाफ विभागीय कार्यवाही करवाने के लिए कैथल न्यायालय में एक याचिका दायर की जिसमें न्यायालय ने जयपाल की शिकायत को सही मानते हुए संबंधित थाने को दोनों डॉक्टरों के खिलाफ जजों के फर्जी साइन करने के मामले में एफआईआर दर्ज करने के आदेश जारी किए हैं। हैरान करने वाली बात यह है कि स्वयं जजों द्वारा लिखे गए पत्रों के बाद भी उक्त दंपती पर आज तक कोई कार्रवाई नहीं हुई थी।