नई दिल्ली। हैदराबाद में गैंगरेप के बाद एक पशु चिकित्सक डाक्टर को जलाकर मार दिया गया। इसके बाद पुलिस जब सीन री क्रियेट करने के लिए चारों आरोपियों को लेकर घटना स्थल पर गई तो वह आरोपी पुलिस का हथियार छीनकर भागने की कोशिश करने लगे जिसके बाद हैदराबाद पुलिस ने इन चारों का एनकाउंटर कर दिया। पुलिस के इस काम की जनमानस ने तारीफ की, लोगों ने हैदराबाद पुलिस पर फूल बरसाए, मिठाइयां खिलार्इं। लोग बलात्कार के मामलों में तुरंत इंसाफ की मांग कर रहे हैं। भले ही हैदराबाद पुलिस ने आत्मरक्षा में गोली चलाई लेकिन लोगों ने इसे इंसाफ के रूप में देखा। हालांकि पुलिस का काम इंसाफ करना नहीं केवल मुजरिमों को पकड़ना है।
कई लोग पुलिस की इस कार्रवाई पर सवाल उठा रहे हैं। वहीं सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस शरद अरविंद बोबडे ने इसे लेकर महत्वपूर्ण बयान दिया। जोधपुर में एक कार्यक्रम में जस्टिस शरद अरविंद बोबडे ने कहा कि न्याय कभी भी तत्काल में नहीं किया जाना चाहिए, न्याय कभी भी हो सकता है। उन्होंने कहा कि अगर न्याय बदले की भावना से किया जाए तो यह अपना मूल चरित्र खो देता है। राजस्थान हाईकोर्ट की नई इमारत के उद्घाटन समारोह में शामिल होने जोधपुर पहुंचे जस्टिस एस ए बोबड़े ने कहा, मैं नहीं समझता हूं कि न्याय कभी भी जल्दबाजी में किया जाना चाहिए, मैं समझता हूं कि अगर न्याय बदले की भावना से किया जाए तो ये अपना मूल चरित्र खो देता है। सीजेआई एसए बोबडे ने कहा कि देश में हालिया घटनाओं ने नए जोश के साथ पुरानी बहस छेड़ दी है। इसमें कोई संदेह नहीं है कि आपराधिक न्याय प्रणाली को अपनी स्थिति और लापरवाही के प्रति अपने दृष्टिकोण और रवैये पर पुनर्विचार करना चाहिए, लेकिन अंतिम समय तक अपराध का निपटारा कानून के तहत ही होना चाहिए।
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