आज समाज डिजिटल, नई दिल्ली, (Justice Hima Kohli): सुप्रीम कोर्ट की जस्टिस हिमा कोहली ने कहा है कि देश में इमरजेंसी आर्बिट्रेशन की काफी संभावनाएं हैं और कानून-व्यवस्था व न्यायिक प्रक्रिया को सरल बनाने के लिए इसे लाया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि विधायिका को इमरजेंसी आर्बिट्रेशन को बढ़ावा देने और इसे रेगुलेट करने के लिए कदम उठाने चाहिए।
- सुप्रीम कोर्ट की जस्टिस हिमा कोहली बोलीं, देश में मध्यस्ता की काफी संभावनाएं
- विवादग्रस्त पक्ष को तत्काल अंतरिम राहत के लिए आवेदन की अनुमति मिलेगी
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लंबे समय को कम करने में मदद कर सकती है व्यवस्था
जस्टिस हिमा कोहली ने आर्बिट्रेशन वीकेंड के दौरान आयोजित समारोह में देश में इमरजेंसी आर्बिट्रेशन लाने की इच्छा जाहिर की। उन्होंने कहा कि इमरजेंसी आर्बिट्रेशन विवादों के जल्द निपटारे और कुशल समाधान प्रदान करने के साथ साथ फैसलों में लगने वाले लंबे समय को कम करने में मदद कर सकती है। बता दें कि इमरजेंसी आर्बिट्रेशन एक ऐसी व्यवस्था है जो किसी विवादग्रस्त पक्ष को तत्काल अंतरिम राहत के लिए आवेदन करने की अनुमति देती है।
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जागरूकता की कमी से कई मुद्दों का समाधान बाकी
जस्टिस हिमा कोहली ने कहा कि वर्तमान में लागू नियमों, प्रक्रियाओं में स्पष्टता और स्थिरता तथा हितधारकों के बीच जागरूकता की कमी के कारण संबंधित मुद्दों का समाधान किया जाना बाकी है। उन्होंने कहा कि भारत में चुनौतियों का समाधान करने के लिए इमरजेंसी आर्बिट्रेशन के पास एक विशाल क्षमता है। सरकार के लिए यह जरूरी है कि वह भारत में इमरजेंसी आर्बिट्रेशन को कानून बनाने, बढ़ावा देने और विनियमित करने के लिए कदम उठाए। इसमें मध्यस्थता व सुलह अधिनियम में संशोधन, मानक प्रक्रियाओं की शुरुआत व स्थापना वगैरह शामिल हो सकती है।
लाभों के बारे में जागरूकता व शिक्षा को बढ़ावा जरुरी
जस्टिस हिमा कोहली ने यह भी कहा कि सरकार को एक समर्पित इमरजेंसी आर्बिट्रेशन ट्रिब्यूनल, इसके लाभों के बारे में जागरूकता व शिक्षा को बढ़ावा देना चाहिए। दिल्ली इंटरनेशनल आर्बिट्रेशन सेंटर द्वारा आयोजित दिल्ली आर्बिट्रेशन वीकेंड गुरुवार से दिल्ली हाई कोर्ट में चल रहा है और रविवार को यह समाप्त हो गया।
संस्थागत मध्यस्थता के विकास में मदद मिलेगी
जस्टिस हिमा कोहली ने कहा कि इमरजेंसी आर्बिट्रेशन से भारत में संस्थागत मध्यस्थता के विकास में मदद मिलेगी। यह पहले से ही अधिक बोझ वाले भारतीय यायालयों के सामने आने वाले ‘डोकेट विस्फोट’ को कम करने में मदद करेगा। उन्होंने यह भी कहा कि इमरजेंसी आर्बिट्रेशन का भारत में व्यापक रूप से उपयोग नहीं किया जाता है, पर उम्मीद है कि भविष्य में इसे और अधिक स्वीकृति मिलेगी।
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