आज समाज डिजिटल, रादौर:
एमडीवीएम पब्लिक स्कूल हाफिजपुर में मंगलवार को देश की पहली महिला जज जस्टिस अन्ना चांडी की पुण्यतिथि मनाई गई। इस अवसर पर स्कूल की प्रिंसिपल अंजू गुलाटी ने बच्चो जानकारी देते हुए बताया कि जस्टिस अन्ना चांडी भारत की पहली महिला जज थीं। अन्ना चांडी का जन्म 4 मई, 1905 में केरल के त्रिवेंद्रम की एक सीरियन क्रिश्चन फैमिली में हुआ था। उन्होंने 1926 में लॉ में पोस्ट-ग्रैजुएट डिग्री ली थी। अन्ना चांडी अपने राज्य की ऐसी पहली महिला थीं जिन्होंने लॉ की डिग्री ली। इसके बाद उन्होंने बैरिस्टर के तौर पर कोर्ट प्रैक्टिस शुरू कर दी। साल 1937 में त्रावणकोर के दीवान सर सीपी रामास्वामी अय्यर ने चाण्डी को मुंसिफ के तौर पर अपॉइंट किया, जिसके बाद वह भारत की पहली महिला जज बन गईं। 1948 में चाण्डी प्रमोशन पाकर जिला जज बन गईं। चांडी भारत के किसी हाई कोर्ट की पहली महिला जज भी बनीं। साल 1959 में अन्ना चांडी को केरल हाई कोर्ट का जज नियुक्त किया गया। उन्होने बताया कि अन्ना ने 1967 तक हाई कोर्ट के जज के तौर पर काम किया। हाई कोर्ट से रिटायरमेंट के बाद चांडी को लॉ कमीशन आॅफ इंडिया में नियुक्त कर दिया गया। चांडी को महिलाओं के अधिकारों के लिए आवाज उठाने के लिए भी जाना जाता है। उन्होंने श्रीमती नाम से एक मैगजीन भी निकाली थी जिसमें उन्होंने महिलाओं से जुड़े मुद्दों को जोर-शोर से उठाया। उन्होंने अपनी आत्मकथा नाम से अपनी आॅटोबायॉग्रफी भी लिखी थी। 20 जुलाई 1996 में केरल में 91 साल की उम्र में जस्टिस अन्ना चांडी का निधन हो गया। उन्होने बताया कि महिलाओ की आवाज को बुलंद करने में उनके द्वारा दिये गये योगदान को कभी नही भुलाया जा सके गा।
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