करनाल, 9अप्रैल, इशिका ठाकुर:
करनाल के राष्ट्रीय डेरी अनुसंधान में चल रहे तीन दिवसीय डेरी मेले के दूसरे दिन मेले में पशु लेकर पहुंचे लोगों ने मेले की कवरेज करने पहुंचे पत्रकारों को लाठी-डंडों तथा तेज धार बरछी से अचानक हमला बोल दिया अचानक हुए हमले में तीन पत्रकार घायल हो गए। मौके पर पहुंची डायल 112 की टीम ने हमलावरों को रोकना चाहा तो हमलावरों ने पुलिसकर्मियों के साथ भी बदसलूकी की।
प्राप्त जानकारी के अनुसार बड़े निजी चैनलों के दो पत्रकार हिमांशु नारंग , कमल मिड्डा तथा एक कैमरामैन मुकुल मेले में पशुओं की कवरेज करने के लिए पहुंचे तो वहां मौजूद पशुपलकों ने अचानक गाली गलौज करते हुए पत्रकारों के कैमरे छीन लिए पत्रकारों ने जब इसका विरोध किया तो वहां मौजूद करीब 20 युवकों ने लाठी-डंडों के साथ पत्रकारों पर अचानक एक साथ हमला बोल दिया और पत्रकार हिमांशु नारंग से उसका कैमरा भी छीन लिया।
हमले में तीन पत्रकार घायल हुए
हमले की सूचना पाकर मौके पर डायल 112 की पुलिस टीम भी पहुंच गई तथा मामले को शांत करने का प्रयास किया तो हमलाव मौके पर पहुंचे पुलिस कर्मियों के साथ बदसलूकी करते हुए मौके से फरार हो गए। हमलावरों में कुछ बुजुर्ग भी शामिल थे जो लगातार हमलावर युवकों को उकसा रहे थे तथा वह हमले के बाद भी लगातार मौके पर पहुंचे दूसरे पत्रकारों के साथ भी गाली गलौज करने लगे। हमले में तीन पत्रकार घायल हुए हैं। मौके पर पहुंची पुलिस ने प्राथमिक सूचना दर्ज करते हुए मामले की जांच शुरू कर दी है।
इस मौके पर सिविल थाना प्रभारी ललित ने बताया कि पुलिस को मेले के दौरान पत्रकारों पर हमला होने की सूचना मिली थी सूचना पाकर डायल 112 की टीम मौके पर पहुंची तथा मामले को शांत करवा दिया गया है। आगे मामले की जांच जा रही है।
कमल मिड्डा के साथ भी मारपीट की
मौके पर मौजूद चश्मदीद नाहर सिंह संधू ने बताया कि एनडीआरआई में हर साल डेयर मेला लगाया जाता है लेकिन जिस प्रकार की अव्यवस्था इस बार मेले में देखने को मिल रही है ऐसी व्यवस्था कभी देखने को नहीं मिली उन्होंने कहा कि दो पत्रकारों पर हुए हमले के बाद जब बीच-बचाव करने मौके पर कमल मिड्डा पहुंचे तो वहां मौजूद हमलावरों ने उन्हें भी घेर लिया और उनके साथ भी मारपीट की।
मेले में पहुंचे किसान केहर सिंह ने कहा कि मेले में ना तो कोई ज्यादा पशु है और ना ही कोई व्यवस्था मेले में सिक्योरिटी नाम की कोई चीज दिखाई नहीं दी। रिंग में भी झगड़ा हुआ है। मेले में केवल लूट का सूट ही रह गई है। सरकार द्वारा मेले के नाम पर कितना पैसा खर्च किया जा रहा है वह किसी काम का नहीं क्योंकि सभी किसान इस वक्त फसल काटने में व्यस्त हैं इस सीजन में मेले का आयोजन किसानों के लिए पूरी तरह बेकार है।
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