JK Second Phase Voting, (आज समाज), अंबाला: जम्मू-कश्मीर में आतंकी धमकियों के बीच मतदान का शांतिपूर्वक संपन्न होना और मतदान के बीच विदेशी राजनयिकों का पोलिंग बूथ पर दौरा करके वोटरों से बात करना, इस बात का प्रत्यक्ष सबूत है कि कश्मीर में अब युवा लोकसंत्र के महापर्व में पत्थर नहीं पैन लेकर घूमते हैं।
- 15 देशों के राजनयिकों ने किया मतदान केंद्रों का दौरा
तारीफ करते नहीं थक रहे विदेशी पर्यवेक्षक
जम्मू-कश्मीर विधानसभा चुनाव के दूसरे चरण में बुधवार को एक या दो देश नहीं, बल्कि 15 देशों के राजनयिकों ने विभिन्न मतदान केंद्रों का दौरा कर चुनावों का निरीक्षण किया और इसके बाद वे चुनाव प्रक्रिया व इसके लिए की गई अन्य व्यवस्थाओं की तारीफ करते नहीं थक रहे हैं। उन्होंने इसे स्वस्थ, अदभुत, व लोकतांत्रिक बताया। राजनयिकों ने पोलिंग बूथ पर मौजूद स्थानीय लोगों से बात भी की।
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इन देशों के राजनयिक पहुंचे थे जम्मू-कश्मीर
जेएंडके असेंबली इलेक्शन के दूसरे चरण के मतदान के दौरान बुधवार को जिन देशों के विदेशी राजनयिक जम्मू-कश्मीर में विभिन्न मतदान केंद्रों पर पहुंचे, उनमें अमेरिका, सोमालिया, सिंगापुर, अल्जीरिया, मैक्सिको, दक्षिण अफ्रीका, गुयाना, फिलीपींस, नाइजीरिया, दक्षिण कोरिया, पनामा, तंजानिया, स्पेन, नॉर्वे और रवांडा शामिल हैं। यह पहला मौका था जब विदेशी राजनयिकों के दल ने जम्मू-कश्मीर में चुनाव प्रक्रिया की जानकारी ली।
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महिला कर्मियों के इंतजाम देख प्रभावित हुए राजनयिक
प्रशासनिक अधिकारियों के अनुसार राजनयिक बडगाम जिले के ओमपोरा व लाल चौक के अमीरा कदल पहुंचे और यहां महिला कर्मचारियों द्वारा मतदान केंद्रों पर किए गए इंतजाम देखकर बेहद प्रभावित हुए। कुछ राजनयिकों ने जहां इसे अपने देशों जैसी प्रक्रिया बताया, वहीं कुछ ने इसे अदभुत करार दिया।
जानें तारीफ में किसने क्या कहा
अमेरिका : दिल्ली में अमेरिकी दूतावास के उप प्रमुख जॉर्गन के एंड्रयूज ने कहा, जम्मू-कश्मीर में दस साल बाद चुनाव हो रहे हैं और इसके लिए स्थानीय लोगों में उत्साह देखकर बहुत अच्छा लगा। उन्होंने कहा, वोटिंग के लिए की गई व्यवस्था लोकतांत्रिक व स्वस्थ है।
दक्षिण कोरिया: राजनयिक सांग वू लिम ने पिंक पोलिंग बूथ को इलेक्शन कमीशन का अच्छा कदम बताया। उन्होंने कहा, इन मतदान केंद्रों का प्रबंधन पूरी तरह से महिला कर्मियों ने किया है जो काबिलेतारीफ है। ये बूथ लोगों को वोट के लिए आकर्षित करता है। सांग वू लिम ने कहा, मैं पहली बार कश्मीर आया हूं। यहां के लोग बहुत अच्छे हैं और यह बहुत खूबसूरत जगह है।
सिंगापुर/दक्षिण अफ्रीका/रवांडा : देश उप प्रमुख चेंग वेई वेई एलिस ने कहा, इस यात्रा के आयोजन व मतदान केंद्रों पर जाने की परमिशन देने के लिए हम विदेश मंत्रालय के धन्यवादी हैं। उन्होंने कहा, यहां की मतदान प्रक्रिया सिंगापुर से बहुत मिलती है। हम सरकारी भवनों में वोटिंग करवाते हैं। दक्षिण अफ्रीका की लारा स्वार्ट ने कहा, मैं पहली दफा जम्मू-कश्मीर की विजिट कर रही हूं और यह अद्भुत अनुभव है। रवांडा के राजनियक ने भी मतदान प्रक्रिया बहुत सराहा।
तंजानिया/नॉर्वे : तंजानिया के राजनयिक डियो ने भी पिंक बूथ को बहुत पसंद किया। उन्होंने कहा, पिंक बूथ की कल्पना अद्भुत है। यह और भी अच्छा है कि इलाके के लोग अपने बच्चों सहित पोलिंग बूथ तक पहुंचे हैं ताकि बच्चों को भी लोकतांत्रिक प्रक्रिया का पता चल सके। नार्वे के राजनयिक ने कहा, वह पहली बार श्रीनगर आए और यहां लोगों से बात करना बहुत अहम है।
पहले खारिज कर दिए गए थे सुझाव
शायद यह पहली बार है जब जेएंडके में विदेशी पर्यवेक्षकों को मतदान प्रक्रिया के निरीक्षण की इजाजत दी गई। पहले की सरकारों ने चुनावों के दौरान जम्मू-कश्मीर में इंटरनेशनल आॅब्जर्वर को अनुमति देने के सुझाव को खारिज कर दिया था। दूसरी तरफ विशेषज्ञों का मानना है कि जम्मू-कश्मीर की बदलती स्थितियों में विदेशी राजनयिकों को यहां आमंत्रित करना अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भारत का अपना पक्ष और मजबूत करने का प्रयास है।
नेशनल कांफ्रेंस ने उठाए सवाल
नेशनल कांफ्रेंस (नेकां) और कांग्रेस जैसे दल विदेशी राजनयिकों के प्रतिनिधिमंडल के दौरे पर सवाल उठा रहे हैं। शायद मोदी सरकार द्वारा जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 को निरस्त करने के बाद घाटी में व्याप्त शांति को ये लोग पचा नहीं पा रहे हैं। नेकां के उपाध्यक्ष व जम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्री रह चुके उमर अब्दुल्ला ने चुनावों की निगरानी के लिए विदेशी प्रतिनिधियों को बुलाने पर केंद्र सरकार की आलोचना की। उन्होंने कहा, यह जम्मू-कश्मीर के चुनाव देश का आंतरिक मामला है और इसके लिए उनके प्रमाणपत्र की जरूरत नहीं है।
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