(Jind News ) जींद। सावन का महीना केवल प्रकृति में ही नहीं बल्कि लोगों के जीवन में भी हरियाली लाता है। प्राकृतिक वर्षा के साथ.साथ शिव भक्ति की वर्षा भी इस माह में देखने को मिलती है। सावन अर्थात श्रावण मास में शिवरात्रि के साथ-साथ कई व्रत और तिथियां हैंए जिनका विशेष महत्व माना गया है। राधा-कृष्ण प्राचीन मंदिर उचाना मंडी पुजारी भारतेंदू शास्त्री ने कहा कि सावन का पवित्र महीना सोमवार से शुरू हो चुका है। सावन के सोमवार बहुत ही खास माने जाते हैं। ऐसा माना जाता है कि इस दिन जपए तप एवं ध्यान करना बहुत अच्छा होता है।
सोमवार का दिनए चंद्र ग्रह का होता है एवं हिंदू धार्मिक मान्यताओं के अनुसारए कहा जाता है कि चंद्रमा के नियंत्रक भगवान शिव हैं। इस दिन पूजा करने से न केवल चंद्रमा बल्कि भगवान शिव की कृपा भी प्राप्त होती है। कोई भी व्यक्तिए जिसको स्वास्थ्य की समस्या होए विवाह तय होने में मुश्किल हो या घर में दरिद्रता का वास होए अगर वह सावन के हर सोमवार को विधिपूर्वक भगवान शिव की आराधना करता है तो वह अपनी इन तमाम समस्याओं से मुक्ति पा सकता है। सोमवार और शिव जी के सम्बन्ध के कारण ही मां पार्वती ने सोलह सोमवार का व्रत किया था।
अगले दिन अन्न और वस्त्र का दान करने के पश्चात ही व्रत का पारण करें
सावन के सोमवार के उपायए भक्तों की अनेक समस्याओं का हल है। शास्त्री ने कहा कि प्रातरू काल या प्रदोष काल में स्नान करने के बाद घर से नंगे पैर शिव मंदिर जाएं और घर से ही एक पवित्र लोटे में जल भरकर ले जाएं। मंदिर जाकर शिवलिंग पर जल अर्पित करें और भगवान शिव को साष्टांग प्रणाम कर भगवान शिव के समक्ष खड़े होकर शिव मंत्र का 108 बार जाप करें। दिन में केवल फलाहार करें सायंकाल में भगवान शिव के मंत्रों का फिर से जाप करें और उनकी आरती करें। अगले दिन अन्न और वस्त्र का दान करने के पश्चात ही व्रत का पारण करें। श्रावण मास में भगवान शिव की पूजा का अत्यधिक महत्व माना गया है। सोमवार के दिन भगवान शिव की पूजा खास तौर से वैवाहिक जीवन के लिए की जाती है। मान्यता है कि अगर कुंडली में विवाह का योग न हो या विवाह होने में अड़चनें आ रही हों तो सावन के सोमवार में पूजा करनी चाहिए। अगर कुंडली में आयु या स्वास्थ्य बाधा हो या फिर मानसिक स्थितियों की समस्या हो तब भी सावन के सोमवार की पूजा उत्तम मानी जाती है। सावन में पडऩे वाले सोमवार में शिवजी की पूजा सर्वोत्तम होती है। इसमें मुख्य रूप से शिवलिंग की पूजा होती है और उस पर जल तथा बेलपत्र अर्पित किया जाता है।
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