Jind News : किसान आंदोलन की चौथी बरसी पर मजदूरों ने किया प्रदर्शन

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Workers demonstrated on the fourth anniversary of the farmers' movement
मांगों को लेकर प्रदर्शन करते हुए। 
  • मांगों को लेकर डीसी को सौंपा ज्ञापन

(Jind News) जींद। ऐतिहासिक किसान आंदोलन की चौथी बरसी एवं संविधान दिवस के अवसर पर संयुक्त किसान मोर्चा एवं ट्रेड यूनियनों के संयुक्त आह्वान पर मंगलवार को किसान, मजदूरों नें शहर में चेतावनी प्रदर्शन किया। प्रदर्शनकारियों ने लघु सचिवालय पहुंच कर उपायुक्त को राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू के नाम ज्ञापन सौंपा। इससे पहले किसान-मजदूर के नेहरू पार्क में एकत्रित हुए और जनसभा की।

किसानों ने तीन कृषि कानूनों के खिलाफ  संसद की ओर ऐतिहासिक मार्च शुरू किया था

जिसकी अध्यक्षता सयुंक्त रूप से किसान सभा की नेता अनीता कर्मगढ़, किसान यूनियन से रामफल कंडेला, सतबीर खरल, आजाद आदि ने की। मजदूर व किसान ने बताया कि चार साल पहले आज ही के दिन लामबांदी के माध्यम से मजदूर विरोधी चार लेबर कोड के विरोध में राष्ट्रव्यापी हड़ताल की थी और किसानों ने तीन कृषि कानूनों के खिलाफ  संसद की ओर ऐतिहासिक मार्च शुरू किया था। लंबे संघर्ष के बाद कृषि कानून वापस  लिए जाने पर किसानों से किए गए वादे आजतक पूरे नहीं हुए हैं। दूसरी तरफ मजदूर विरोधी चारों श्रम कोडों को केंद्र सरकार देश में लागू कर रही है जो मजदूरों के लिए गुलामी के समान है।

अंधाधुंध भूमि अधिग्रहण हो समाप्त

उन्होंने मांग की कि सभी फसलों के लिए खरीद की कानूनी गारंटी हो। मजदूर विरोधी चारों श्रम संहिताओं को निरस्त किया जाए। श्रम की आउटसोर्स और ठेकाकरण की नीति खत्म हो। संगठित, असंगठित, स्कीम वर्कर्स और कृषि क्षेत्र के सभी श्रमिकों के लिए न्यूनतम वेतन 26 हजार रुपये मासिक व सामाजिक सुरक्षा लागू की जाए। किसानों व मजदूरों की कर्जामुक्ति हो।

सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों व सामाजिक सेवाओं का निजीकरण बंद होद्ध बिजली के स्मार्ट मीटर लगाने बंद किए जाए। अंधाधुंध भूमि अधिग्रहण समाप्त हो। मनरेगा में 200 दिन काम व 600 रुपये मजदूरी दी जाए। सभी लोगों को जो किसी योजना में शामिल नहीं हैं उनकों 10 हजार रुपये मासिक पेंशन दी जाए। निर्माण मजदूरों का कल्याण बोर्ड में पंजीकरण हो। सार्वजनिक धन के निगमीकरण और लोगों को विभाजित करने वाली विभाजनकारी नीतियों के उद्देश्य से सांप्रदायिक व कोरपोरेटपरस्त नीतियों पर प्रतिबंध लगाया जाए।

खेत मजदूरों सहित असंगठित क्षेत्र के मजदूरों के लिए केंद्रीय कानून बने व लागू हो। डीएपी, यूरिया खाद की आपूर्ति बढाई जाए ताकि किसानों को आपूर्ति अनुसार दिया जा सके। पराली जलाने के नाम पर बनाए गए झूठे मुकदमों को रद्द किया जाए। इस मौके पर सतीश बडौदी, संजीव ढांडा, नफे सिंह ईगराह, विक्रम सिंह, फूल सिंह श्योकंद रमेश, आजाद पालवां आदि ने संबोधित किया।

 

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