- आर्य कन्या गुरुकुल पिल्लूखेड़ा में अभिभावकों और बच्चों के बीच सामंजस्य को लेकर हुआ जागरूकता शिविर
(Jind News) जींद। माता चानन देवी आर्य कन्या गुरुकुल पिल्लूखेड़ा में बुधवार को अभिभावकों और बच्चों के बीच सामंजस्य को लेकर जागरूकता शिविर का आयोजन किया गया। शिविर में जिला बाल संरक्षण अधिकारी सुजाता, सीडब्ल्यूसी सदस्य ललिता, मनोवैज्ञानिक परामर्शदाता नीरज कुमार, जाइट कॉलेज के मैनेजिंग डायरेक्टर अभिनव बंसल मौजूद रहे। गुरूकुल प्राचार्या ज्योति छिब्बर ने गणमान्यों का स्वागत किया।
शिविर का उद्देश्य अभिभावकों को बच्चों के प्रति सजगता, बच्चों के साथ सामंजस्य बैठाना
जागरूकता शिविर का उद्देश्य अभिभावकों को बच्चों के प्रति सजगता, बच्चों के साथ सामंजस्य बैठाना रहा ताकि बच्चे खुल कर अपने अभिभावकों के साथ अपनी हर अभिव्यक्ति सांझा कर सकें। कार्यक्रम में बच्चों द्वारा नृत्य प्रस्तुत कर सबका मन मोह लिया। मनोवैज्ञानिक परामर्शदाता नीरज ने शिविर को संबोधित करते हुए कहा कि बच्चे की जिस भी चीज में रूचि हो, उसमें आगे बढऩे में सहयोग करना चाहिए ना कि उसे रोकना चाहिए। बच्चों के साथ सहयोग की भावना रखनी चाहिए ना कि नियंत्रण की।
कम उम्र के बच्चों के बेहतर विकास के लिए जितने जिम्मेदार माता-पिता हैं, उतनी ही महत्वपूर्ण भूमिका शिक्षकों की भी है। आज के जमाने में शिक्षा के इस बदलते स्वरूप में एडजस्ट करने के लिए टीचर-पैरेंट्स को मिलकर काम करना होगा। पहले के समय में जहां दो से लेकर पांच साल तक के बच्चे घरों में ही शुरुआती शिक्षा प्राप्त करते थे वहां वर्तमान में स्कूल्स द्वारा यह शिक्षा प्रदान की जा रही है।
ऐसे में माता-पिता को चाहिए कि वे शिक्षकों से लगातार संपर्क में रहें। अपने बच्चों की बात को कभी भी अनसुना ना करें। परामर्शदाता नीरज कुमार ने कहा कि किशोरावस्था में शरीर के विकास के साथ-साथ मन का विकास भी होता है। तरह-तरह की जिज्ञासा बढ़ती है और अज्ञानतावश अनेक समस्याएं भी घेरने लगती हैं। ऐसी समस्याओं के निदान में मनोवैज्ञानिक परामर्श सेवाएं विशेष तौर से सहायक सिद्ध होती हैं।
सामाजिक सशक्तिकरण के लिए जरूरी है भावनात्मक बुद्धिमत्ता का विकास
जाइट कॉलेज के मैनेजिंग डायरेक्टर अभिनव बंसल ने कहा कि किशोरावस्था के दौरान सामाजिक विकास भी होता है और सामाजिक सशक्तिकरण के लिए जरूरी है भावनात्मक बुद्धिमत्ता का विकास। जिसके लिए जरूरी है आत्म जागरूकता, आत्म नियंत्रण, समानुभूति, प्रेरणा, सामाजिक कौशल आदि। बच्चों को खुद पर विश्वास रख कर जीवन में आगे बढऩा चाहिए। बच्चों को जहां भी जरूरत हो हर बात अपने अभिभावकों से शेयर करना चाहिए।
जिला बाल संरक्षण अधिकारी सुजाता ने बच्चों को 1098 हैल्पलाइन के विषय में जानकारी दी तथा सीडब्लयूसी सदस्य ललिता ने बच्चों को उनके अधिकारों से अवगत करवाया। गुरुकुल प्राचार्य ज्योति ने कहा कि अक्सर कई बार माता-पिता अपने बच्चों को स्कूल भेजकर यह सोचते हैं कि अब उनको कुछ करने की जरुरत नही है।
वे निश्चिंत हो जाते हैं। उनकी यह सोच बिल्कुल गलत है। हां यह सही है कि स्कूल में बच्चों का पूरा ध्यान रखा जाता है लेकिन माता-पिता की भी कुछ जिम्मेदारियां हैं जिससे बच्चों का विकास होता है। इसलिए अभिभावकों को कभी भी अपने बच्चों की बात को अनसुना नही करना चाहिए।
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