- हरियाणा की पारंपरिक कला, संगीत, नृत्य और खानपान को जीवित रखने का माध्यम है हरियाणवी उत्सव : कृष्ण बेदी
- हरियाणवी संस्कृति का संरक्षण और प्रचार अत्यंत महत्वपूर्ण है : प्रो. गीता सिंह
(Jind News) जींद। चौधरी रणबीर सिंह विश्वविद्यालय में बुधवार को दो दिवसीय हरियाणा उत्सव का रंगारंगा समापन हुआ। कार्यक्रम में मुख्यअतिथि के तौर पर सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता विभाग मंत्री कृष्ण बेदी, दिल्ली विश्वविद्यालय सीपीडीएच निदेशक प्रो. गीता सिंह, सीआरएसयू वीसी डा. रणपाल सिंह रहे।
सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता विभाग मंत्री कृष्ण बेदी ने कहा कि हरियाणवी उत्सव हरियाणा की पारंपरिक कला, संगीत, नृत्य और खानपान को जीवित रखने का एक महत्वपूर्ण माध्यम है। यह लोकगीत, लोकनृत्य, और पारंपरिक त्योहारों को नई पीढ़ी तक पहुंचाता है ताकि वे अपनी सांस्कृतिक जड़ों से जुड़ सकें। इस प्रकार के आयोजनों में लोग विभिन्न जाति, धर्म और पृष्ठभूमि से आते हैं। जिससे आपस में भाईचारा और समरसता को बढ़ावा मिलता है। एक सांस्कृतिक उत्सव के रूप में यह समाज में एकजुटता का संदेश देता है। उत्सवों में स्थानीय कलाकारों और कारीगरों को अपना हुनर दिखाने का मौका मिलता है। जिससे वे न केवल अपनी कला को प्रदर्शित करते हैं बल्कि आर्थिक रूप से भी सशक्त होते हैं।
हरियाणा उत्सव हरियाणा राज्य की सांस्कृतिक धरोहर, परंपराओं और विकास को मनाने का एक महत्वपूर्ण अवसर
निदेशक प्रो. गीता सिंह ने कहा कि हरियाणा उत्सव हरियाणा राज्य की सांस्कृतिक धरोहर, परंपराओं और विकास को मनाने का एक महत्वपूर्ण अवसर है। यह उत्सव न केवल राज्य के लोगों को एकजुट करता है बल्कि राज्य की विविधताओं, ऐतिहासिक धरोहर, कला, संगीत और नृत्य को भी प्रदर्शित करता है।
हरियाणा उत्सव न केवल हरियाणा की समृद्ध सांस्कृतिक धरोहर को मनाने का एक अवसर है बल्कि राज्य की सामाजिक और आर्थिक प्रगति को भी दर्शाता है। सीआरएसयू वीसी डा. रणपाल सिंह ने कहा कि हरियाणा उत्सव एक ऐसा आयोजन है, जो इस राज्य की संस्कृति, परंपराओं और जीवनशैली को पूरे देश और दुनिया के सामने लाने का काम करता है। इस उत्सव में लोककला, खाद्य संस्कृति, हस्तशिल्प और खेलों को प्रमुख रूप से प्रदर्शित किया जाता है। यह आयोजन हरियाणा के लोगों को अपनी सांस्कृतिक धरोहर से जोड़ता है और युवाओं में इसे बनाए रखने के लिए जागरूकता फैलाता है।
महाभारत के समय से ही हरियाणा का ऐतिहासिक महत्व
कुलसचिव प्रो. लवलीन मोहन ने संदेश दिया कि चलचित्रों के अत्यधिक प्रचलन से हरियाणवी गीत व सांग व संस्कृति फीके पडऩे लगे हैं। जिनके रंगों की छटा बरकरार रखने के लिए हरियाणा उत्सव जैसे कार्यक्रमों का आयोजन जरूरी है। प्रो. एसके सिन्हा ने महाभारत के समय से ही हरियाणा का ऐतिहासिक महत्व रहा है। यहां के मंदिरए पवित्र स्थल और धार्मिक गतिविधियाँ इस क्षेत्र की सांस्कृतिक धरोहर को संजोए हुए हैं। कुल मिला कर हरियाणवी संस्कृति ने अपनी ऐतिहासिक, धार्मिकए और सामाजिक परंपराओं के माध्यम से समय के साथ खुद को आधुनिकता से जोड़ा है।
युवा एवं सांस्कृतिक निदेशालय के निदेशक डा. विजय कुमार ने कहा कि हरियाणवी संस्कृति का संवर्धन शिक्षा के माध्यम से किया जा सकता है।
सहायक निदेशक डा. ममता ढांडा ने कहा कि हरियाणा उत्सव विश्वविद्यालयों में राज्य की सांस्कृतिक धरोहर, लोक कला, संगीतए नृत्य और पारंपरिक रीति-रिवाजों को प्रकट करने का एक बेहतरीन तरीका होता है। इससे छात्रों को अपनी संस्कृति और इतिहास को समझने और गर्व करने का अवसर मिलता है।
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