Jind News : एक्टिव थियेटर एंड वैलफेयर सोसाइटी का तीन दिवसीय नाट्य महोत्सव शुरू

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Jind News : एक्टिव थियेटर एंड वैलफेयर सोसाइटी का तीन दिवसीय नाट्य महोत्सव शुरू
नाटक मंचन करते हुए कलाकार।
  • रंगमंच (नाटक) हमारे जीवन की लाइफ  लाइन है : सुभाष श्योराण

(Jind News) जींद। एक्टिव थियेटर एण्ड वैलफेयर सोसाइटी जीन्द द्वारा अपना सातंवा तीन दिवसीय नवरस राष्ट्रीय नाटय उत्सव का हर्षोउल्लास के साथ दिवान बाल कृष्ण रंगशाला में शुभारंभ हुआ। पहले दिन सार्थक रंगमंच पटियाला ने हॉय हैंडसम का पंजाबी रूपांतरण कर लयो घियो नुं भंडा नाटक का शानदार मंचन हुआ। जिसका निर्देशन डा. लख्खा लहड़ी ने किया। कार्यक्रम का शुभारम्भ मुख्यअतिथि सुभाष श्योराण निदेशक इंडस शिक्षण संस्था, डा. राजेश गर्ग, रचना श्योराण, रवींद्र कुमार प्राचार्य मोतीलाल नेहरू पब्लिक स्कुल, मंगतराम शास्त्री, नागरिक अस्पताल के डिप्टी एमएडा. राजेश भोला, डा. सुरेश जैन, प्रवीण दुग्गल, रंगकर्मी रमेश भनवाला ने द्वीप प्रज्जवलित करके किया।

नाटक समाज का आइना

मुख्यअतिथि सुभाष श्योराण ने कहा कि नाटक हमारे जीवन की लाइफ  लाइन है। इस नाट्य उत्सव का मुख्य थीम पीस है। जिससे समाज में सकारात्मकता का संदेश जाता है। नाटक समाज का आइना होता है व जो भी घटना समाज में घटीत होती है, रंगमंच के कलाकार उसको आत्म विश्वास के साथ मंच पर प्रस्तुत करते हैं। नाटको से समाज में सकारात्मक सोच का निर्माण होता है। हमारी युवा शक्ति में राष्ट्र प्रेम व उच्च स्तर के संस्कारों का निर्माण करता है।

कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे डा. राजेश गर्ग ने कहा कि यह राष्ट्रीय नाट्य उत्सव हमारे अंदर एक नया जोश भरता है व अवसाद को कम करता है। नाटक हमें संवेदनशील बनाता है तथा बुरे कर्म करने से रोकता है। ऐसे नाट्य उत्सव लगातार होने चाहिए। रंगकर्मी रमेश कुमार ने बताया कि नाटक की शुरूआत परिस्थिति अनुसार हास्य व्यंग से होती है। वर्तमान युग के दौर में गंभीर मुद्दों को भी हल्के-फुल्के अंदाज में कलाकारों ने प्रस्तुत किया।

नई पीढ़ी का अपने कैरियर बनाने की चाह में मानवीय मूल्यों को भूल कर अपने माता-पिता की उपेक्षा करना, उन्हें अकेलेपन की आग में डूबने के लिए छोड़ देना, दब्बू और गुलाम जैसे पति का अपनी आधुनिक पत्नी के सामने रोना-धोना और  उनकी सारी बेतुकी बाते मानना।

नाटक में दर्शकों के ऊपर अमीट छाप छोड़ी

समझदार नौकर का अपने अधिकारों के प्रति जागरूक होना और अपना रवैया दिखाना, तथा बुजुर्गों का अपने अकेलेपन को समाप्त करने के लिए एक विशेष उम्र में भी एक साथी की तलाश करना। इस तरह की स्थितियोंं को देख कर दर्शकों को न केवल हंसाती हैं और तालियाँ बजाने और सोचने पर भी मजबूर करती हैं।

नाटक में दर्शकों के ऊपर अमीट छाप छोड़ी है व दर्शकों को भावनात्मक कर गया। इस सारे नाटक में दिखाया गया कि इंसान व इंसान के मानवीय ूुल्य सर्वोपरि हंै। एक घंटा 40 मिनट लंबा चला नाटक दर्षको को बांधने में कामयाब रहा। इस मौके पर भारतभूषण गर्ग, कृष्ण नाटक, सलेंद्र मोहन, सोहनदास, हिमानी गुप्ता, मंजू मानव, रामफल दहिया, कर्मपाल शास्त्री, मास्टर रमेश दलबीर आल्हान, ओमप्रकाश चौहान, राममेहर खर्ब, आदि उपस्थित रहे।

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