- पूर्व केंद्रीय मंत्री बीरेंद्र सिह के बेटे बृजेंद्र सिंह कड़े मुकाबले में भाजपा के देवेंद्र अत्री से हारे
- उचाना से विधायक रहे पूर्व डिप्टी सीएम दुष्यंत चौटाला की हुई जमानत जब्त
- निर्दलीय ने कांग्रेस को डेंट किया तो भाजपा ने खिला दिया कमल
(Jind News ) जींद। उचाना बांगर की धरती कहलाती है और यह धरती अच्छे-अच्छे नेताओं की रड़क निकालने का काम करती है। जब यह किसी को सिर पर बिठाती है तो उसे अर्श पर ले जाने का काम करती है और जब उसकी रड़क निकालती है तो उसे ऐसा कर देती है कि उसे घर जाने में भी दिक्कत होती है। 2019 के चुनाव में 92504 वोट लेकर करीब साढ़े 47 हजार वोटों से जीत दर्ज करने वाले पूर्व डिप्टी सीएम दुष्यंत चौटाला इस बार अपने पिछले वोटों का 10 प्रतिशत भी नहीं ले पाए जबकि 2019 में वह अपने बलबूते पर चुनाव लड़े थे और इस बार उन्होंने आजाद स्वराज पार्टी के साथ समझौता किया था।
बृजेंद्र सिंह कड़े मुकाबले में रहे, जो भाजपा की टिकट पर पहली बार किस्मत अजमाने उतरे देवेंद्र अत्री से 32 वोटों से हार गए
उचाना विधानसभा हॉट सीट पर दो बड़े राजनीतिक घराने चुनाव में धाराशाही हो गए हैं। जिसमें दिग्गज पूर्व केंद्रीय मंत्री बीरेंद्र के पूर्व सांसद बेटे बृजेंद्र सिंह तथा पूर्व डिप्टी सीएम दुष्यंत चौटाला शामिल हंै। दुष्यंत चौटाला की जमानत जब्त हो गई है। जबकि बृजेंद्र सिंह कड़े मुकाबले में रहे, जो भाजपा की टिकट पर पहली बार किस्मत अजमाने उतरे देवेंद्र अत्री से 32 वोटों से हार गए। पिछले पांच दशक से उचाना की राजनीति पूर्व केंद्रीय मंत्री बीरंेद्र सिह के इर्द-गिर्द घूमती रही है। पिछले अढ़ाई दशक से चौटाला परिवार भी उचाना की राजनीति कर रहा है।
1977 के विधानसभा चुनाव में अस्तित्व में आई उचाना विधानसभा सीट पर वर्तमान विधानसभा चुनाव में पहली बार कोई गैर जाट विधायक बनने में सफल हुआ है। इससे पहले यहां पर 11 चुनाव हुए हैं और सभी चुनाव में जाट समाज के नेता ही विधायक बनते रहे हैं। इस सीट पर पांच बार बीरेंद्र सिंह तो एक बार उनकी पत्नी प्रेमलता विधायक बनी है। एक बार ओमप्रकाश चौटाला और एक बार उनके पौत्र दुष्यंत चौटाला ने जीत दर्ज की है। सूबे सिंह पूनिया, देशराज नंबरदार, भागसिंह छात्तर ने एक-एक बार जीत दर्ज कर यहां से विधानसभा में दस्तक दी है।
देवेंद्र अत्री के लिए यह जीत बहुत महत्वपूर्ण है। उन्होंने हरियाणा के दो बड़े राजनीतिक घरानों को हरा कर जीत दर्ज की है। उनके मुकाबले में एक ओर जहां पूर्व केंद्रीय मंत्री बीरेंद्र सिंह के बेटे बृजेंद्र सिंह थे तो वहीं देवीलाल परिवार से आने वाले पूर्व डिप्टी सीएम दुष्यंत चौटाला भी मैदान में थे। उचाना विधानसभा सीट पर जाट वोट बैंक बड़ी संख्या में है और यही एक कारण भी था कि अभीतक यहां से कोई गैर जाट विधानसभा में नहीं पहुंचा था लेकिन वर्तमान में बने चुनावी समीकरण देवेंद्र अत्री को रास आए और वह गैरजाट होने के बावजूद चुनाव जीतने में सफल रहे। बीरेंद्र सिंह ने 2014 में कांग्रेस छोड़ कर भाजपा का दामन थामा था। 2014 में उनकी पत्नी प्रेमलता उचाना से विधायक बनी।
2019 में बीरेंद्र सिंह के बेटे बृजेंद्र सिंह ने आईएएस से इस्तीफा देकर भाजपा की टिकट पर हिसार लोकसभा से चुनाव लड़ा और जीत दर्ज की। वर्ष 2019 मे उचाना विस पर भाजपा की प्रेमलता को हरा कर जजपा के दुष्यंत चौटाला यहां से विधायक बने और भाजपा गठबंधन सरकार मे डिप्टी सीएम भी बने। 2024 के शुरुआती दिनों में उन्हें भाजपा की एंटी इनकंबेसी का एहसास हुआ और उन्होंने भाजपा को छोड़ कर कांग्रेस में घर वापसी की। कांग्रेस में घर वापसी के बाद उन्हें लगता था कि वह विधायक बन जाएंगे लेकिन कांग्रेस के बागी उम्मीदवार बीरंेद्र घोघडिय़ा ने उनकी बड़ी चोट लगाने का काम किया और उन्हें इतना डेंट किया कि आखिरकार वह 32 वोटों से चुनाव हार गए।
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