Jind News : लोकमाता अहिल्याबाई का जीवन संघर्ष, साहस और समर्पण का प्रतीक है : प्रो. लवलीन मोहन

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Jind News : लोकमाता अहिल्याबाई का जीवन संघर्ष, साहस और समर्पण का प्रतीक है : प्रो. लवलीन मोहन
कार्यक्रम में बनाए गए चित्र को देखते हुए।
  • सीआरएसयू में तीन दिवसीय राष्ट्रीय चित्रकला कार्यशाला का हुआ समापन

(Jind News) जींद। अहिल्याबाई होल्कर की 300वीं जयंती वर्ष पर चौधरी रणबीर सिंह विश्वविद्यालय जींद व संस्कार भारती हरियाणा के संयुक्त तत्वावधान में तीन दिवसीय राष्ट्रीय चित्रकला कार्यशाला का आयोजन किया गया। कार्यशाला के समापन सत्र में मुख्य वक्ता के तौर पर समाज सेवी घनश्याम दास और सुखेंद्र कुमार ने शिरकत की। कार्यक्रम की अध्यक्षता विश्वविद्यालय की कुलसचिव प्रो. लवलीन मोहन ने की।

कार्यशाला में सभी का स्वागत सोशल आउटरीच सेल के निदेशक और कार्यक्रम संयोजक डा. विजय कुमार ने किया और उन्होंने तीन दिवसीय राष्ट्रीय कार्यशाला में हुए कार्यों के बारे में विस्तृत रूप से वर्णन किया। कार्यशाला में मुख्यवक्ता के तौर पर पहुंचे समाज सेवी घनश्याम दास ने प्रतिभागियों को संबोधित करते हुए कहा कि भारत के ऐतिहासिक खंड में लोकमाता अहिल्याबाई का योगदान हमेशा याद किया जाएगा। उन्होंने अपने जीवन में अनेक चुनौतियों का सामना किया।

अहिल्याबाई होल्कर ने कई मंदिरों और धर्मस्थलों का पुनर्निर्माण और निर्माण करवाया

उनके पति क़ुंवर मल्हारराव होलकर की मृत्यु के बाद भी उन्होंने धैर्य बनाए रखा और मल्हार राव के साम्राज्य को मजबूत किया। उनके शासन न्यायप्रिय और धर्मनिष्ठ था जिसके कारण उन्हें प्रजा का अपार प्रेम और समान मिला उन्होंने इंदौर नगर की स्थापना की। विश्वविद्यालय कुलपति प्रो. सोमनाथ सचदेवा ने बताया कि लोकमाता अहिल्याबाई होल्कर ने कई मंदिरों और धर्मस्थलों का पुनर्निर्माण और निर्माण करवाया।

जिनमें काशी, उज्जैन और द्वारका के प्रमुख मंदिर शामिल हैं। उनका शासन बहुत ही कुशल और न्यायपूर्ण था। जिससे इंदौर और आसपास के क्षेत्रों में शांति और समृद्धि आई। अहिल्याबाई का योगदान भारतीय इतिहास में हमेशा याद किया जाएगा। विश्वविद्यालय की कुलसचिव प्रो. लवलीन मोहन ने प्रतिभागियों को संबोधित करते हुए कहा कि लोकमाता अहिल्याबाई ने साहस और धैर्य, न्याय और सदाचार, शिक्षा और समाज सुधारए कला और संस्कृति का संरक्षण करने के साथ सभी के लिए समान कार्य किए।

समाज में शिक्षा का स्तर बढ़ाया 

उन्होंने ना सिर्फ समाज में शिक्षा का स्तर बढ़ाया बल्कि अपने राज्य की सीमाओं को भी सुरक्षित किया। अहिल्या बाई होलकर का जीवन न केवल एक महान शासक के रूप में बल्कि एक संवेदनशील और समाज सुधारक के रूप में भी महत्वपूर्ण है। उन्होंने अपने शासन में महिलाओं के लिए जो कार्य किए,  उनका आज भी सम्मान किया जाता है।

वे न केवल अपनी प्रशासनिक क्षमता के लिए प्रसिद्ध थी। बल्कि उनके आदर्श और योगदान प्रेरणा के स्त्रोत है और उनका जीवन संघर्षए साहसए और समर्पण का प्रतीक है। इस कार्यशाला में आऊटरिच सेल के निदेशक डा. विजय कुमार, कार्यक्रम समन्वयक दीपक कौशिक व अन्य अधिकारी, चित्रकार और प्रतिभागी उपस्थित रहे।

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