- हमें बधिर लोगों को अपने से अलग नहीं समझना चाहिए : डॉ. भोला
(Jind News) जींद। जिला मुख्यालय स्थित नागरिक अस्पताल में बुधवार को बधिर (बहरापन) को लेकर कार्यक्रम का आयोजन किया गया। कार्यक्रम की अध्यक्षता सीएमओ डा. गोपाल गोयल ने की जबकि जबकि डिप्टी एमएस डा. राजेश भोला, एसएमओ डा. अरविंद सहित अन्य चिकित्सक व स्वास्थ्यकर्मी कार्यक्रम में मौजूद रहे।
बधिर होना किसी प्रकार की अपंगता या कमजोरी नही
कार्यक्रम को संबोधित करते हुए डिप्टी एमएस डॉ. राजेश भोला ने कहा कि हमें बधिर लोगों को अपने से अलग नहीं समझना चाहिए और उन्हें भी वही मान-सम्मान देना चाहिए जैसा हम अन्य लोगों को देते हैं। सर्वप्रथम हुमें इस बात पर ध्यान देना चाहिए कि बधिर होना किसी प्रकार की अपंगता या कमजोरी नही है। डा. भोला ने बहरेपन के लक्ष्ण बताते हुए कहा कि जब हम धीमे आवाज नही सुन पाते और आवाज बढाने की कोशिश करते हैं, बातचीत के कुछ हिस्से नही सुन पाते हैं।
अक्सर लोगों को शब्द अथवा वाक्य दोहराने के लिए कहते हैं। कान में झनझनाहट जैसी आवाज महसूस होती है। ऐसे में यदि हमें बहरेपन से बचना है तो शोर से बचें और आवाज को कम रखें। संगीत समारोह और अन्य कार्यक्रमों में इयरप्लग का उपयोग करें। किशोरी बालिकाओं को रूबैला टीकाकरण अवश्य करवाएं। कान के अंदर कुछ भी नही डालें। नियमित रूप से सुनने की जांच करवाएं।
एसएमओ डॉ. अरविंद ने कहा कि अचानक से कम सुनाई देने लगा हो तो इसे हलके में नही लेना चाहिए। तुरंत प्रभाव से चिकित्सक के पास जाना चाहिए। मामूली सी दिखाई देने वाली यह समस्या बाद में बड़ा रूप धारण ले लेती है और बहरेपन की समस्या पैदा हो जाती है। डा. अरविंद ने कहा कि बहरेपन के कई कारण हो सकते हैं। जिनमें मुख्य कान में मैल, चोट, ओटोटोक्सिक, ज्यादा शोर, रूबैला या फिर का संक्रमण शामिल है। हालांकि सुनने की क्षमता में कमी वाले लोग सही क्षमता वालों से ज्यादा बुद्धिमान होते हैं।
बस अंतर इतना होता है कि इनकी संचार का माध्यम अलग होता है। स्वास्थ्य विभाग द्वारा समय-समय पर बधिरों के ज्ञान को बढ़ावा देते हुए वर्कशॉप या सभा का आयोजन किया जाता है। जिसमें कि इनके द्वरा प्रयोग की जाने वाली भाषा को साधारण जनता को भी बताया जा सके। इस मौके पर मैट्रन इंद्रो, सुनीता, सुनील सैनी सहित अन्य स्वास्थ्य स्टाफ मौजूद रहा।
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