- नाटक के दौरान समाज के खोखलेपन, अमीर-गरीब के बीच की बढ़ती खाई को दर्शाया
(Jind News) जींद। हरियाणा कला परिषद हिसार जोन और शैडो चिल्ड्रन रिसर्च सेंटर के संयुक्त तत्वावधान में नाटक गधे की बारात का मंचन हर्ष इंटरनेशनल स्कूल रामराये में किया गया जिसका निर्देशन दीपक त्रिखा ने किया। शेडो चिल्ड्रेन रिसर्च सेंटर की अध्यक्ष सुनीता ने कहा कि नाटक मनोरंजन के साथ समाज को जागरूक करने का भी कार्य करते हैं। जिससे समाज में फैली कुरीतियां भी समाप्त होती हैं। डा. हनीफ भट्टी ने बताया कि हरिभाई वडगांवकर द्वारा लिखित यह नाटक समाज में व्याप्त दोहरे मापदंड पर कटाक्ष करता है। नाटक के दौरान समाज के खोखलेपन, अमीर-गरीब के बीच की बढ़ती खाई और राजनीति को बारीकी से दर्शाया गया है। नाटक के माध्यम से यहां यह दिखाया गया है कि जो लोग जनसाधारण के वोटों की ताकत से राजमहल तक पहुंच जाते हैं, बाद में वे जनसाधारण को ही भूल जाते हैं।
यह है नाटक की कहानी
डा. हनीफ भट्टी ने बताया कि इस नाटक में गंगू कुम्हार को एक दिन देवताओं के गुरु बृहस्पति मिल जाते हैं और वह उनके साथ इंद्र दरबार में पहुंच जाता है। जहां पर अप्सरा रंभा नृत्य कर रही होती है। इस दौरान गंधर्व चित्रसेन रंभा का हाथ पकड़ लेता है। जिस से इंद्र क्रोधित हो जाते हैं और उसे श्राप देते हैं कि वह भूलोक पर एक गधे के रूप में जन्म लेगा और उसका यह श्राप उस समय दूर होगा, जब उसकी शादी अंधेर नगरी के राजा चौपट सिंह की बेटी से होगी। श्राप से मुक्ति पाने की कड़ी में चित्रसेन गधे के रूप में गंगू कुम्हार के घर में रहने लगता है। इस दौरान राजा चौपट सिंह अपने दीवान से राजकुमारी के लिए वर की तलाश करने की बात कहता है। यहां राजकुमारी एक शर्त रखती है कि जो भी व्यक्ति राजमहल की ड्योढ़ी से मुफलिसों की बस्ती तक एक रात में पुल का निर्माण कर देगा, वह उसी से शादी करेगी। इस शर्त के बारे में पूरे नगर में मुनादी करवाई जाती है।
एक रात चित्रसेन गंगु कुम्हार से कहता है कि वह एक रात में पुल बना देगा, इस बारे में राजा से बात की जाए। गंगु राजा के समक्ष यह बात रखता है और शर्त के अनुसार चित्रसेन एक रात में लोगों के सहयोग से पुल का निर्माण कर देता है। गंगु चित्रसेन की बारात लेकर राज दरबार में पहुंचता है। जहां बुआजी तिलक के समय दूल्हे के रूप में गधे को देख कर राजा को इसकी जानकारी देती है लेकिन शर्त और वचन के अनुसार राजकुमारी की शादी चित्रसेन के साथ हो जाती है। इस प्रकार चित्रसेन का श्राप पूरा होता है और वह मुपुलिसों की बस्ती से राजमहल तक पहुंच जाता है। इसके बाद चित्रसेन गंगू, उसकी पत्नी गंगी को भी पहचानने से इंकार कर देता है और पुल भी तोड़ दिया जाता है। इस अवसर पर हर्ष इंटरनेशनल स्कूल के संस्थापक के धर्मपाल लोहान, महेश राठौर, हर्ष लोहान व अन्य अध्यापकगण भी मौजूद रहे।
यह भी पढ़ें: Jind News : शिव पुराण की कथा हमें जीवन जीने की कला सिखाती है : विभानंद सरस्वती