- नाटक का मंचन दर्शकों के मन तक पहुंचा और भावुक करने में कामयाब रहा
(Jind News) जींद। एक्टिव थियेटर एंड वैलफेयर सोसायटी द्वारा सातवां तीन दिवसीय नवरस राष्ट्रीय नाट्य उत्सव का हर्षोल्लास के साथ दिवान बाल कृष्ण रंगशाला में समापन हुआ। अभिनय रंगमंच हिसार ने कोर्ट मॉर्शल नाटक का शानदार मंचन किया। जिसका निर्देशन मनीष जोशी ने किया। कार्यक्रम का शुभारंभ मुख्यअतिथि राममेहर मलिक, डॉ. रमेन्द्र कालीरमन, मंगतराम शास्त्री, डॉ. सुरेश जैन, सुभाष श्योराण, डॉ. अनिल जैन, प्रवीण दुग्गल, सुरेंद्र सैनी, डॉ. राजकुमार गोयल, रंगकर्मी रमेश भनवाला ने द्वीप प्रज्जवलित करके किया।
नाटक जाति व्यवस्था पर एक करारा प्रहार
मुख्यअतिथि राममेहर मलिक ने कहा कि इस तरह के सांस्कृतिक कार्यक्रमों की हमारे समाज को बहुत ज्यादा जरूरत है। नाटक का मंचन दर्शकों के मन तक पहुंचा और भावुक करने में कामयाब रहा। नाटक जाति व्यवस्था पर एक करारा प्रहार है। रंगमंच हमारे जीवन की जरूरत है। जिंदगी इतनी तेज हो गई है की बहुत सारी चीजे हमसे छुटती जा रही है। नाटक समाज में जो घटित होता है वही मंच पर प्रस्तुत करता है। रंगमंच के कलाकार उसको आत्म विश्वास के साथ मंच पर प्रस्तुत करते है। हमारी युवा शक्ति में राष्ट्र प्रेम व उच्च स्तर के संस्कारों का निर्माण करता है।
हमारी सोच भौतीकवादी हो गई
कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे डा. रमेंद्र ने कहा नाटक में दर्शकों के मन को छुआ व सोचने पर मजबूर किया। आज हमारे पास टाइम की इतनी कमी हो गई है जिसकी वजह से हम इंसानी रिश्तों को तरजीह नही दे पा रहे हैं। हमारी सोच भौतीकवादी हो गई है। नाटक समाज का आइना होता है। जो घटना समाज में घटित होती है। कलाकार कला के माध्यम से मंच पर ऐेसे नाटकों का मंचन करते हैं। ऐसे नाट्य उत्सव लगातार होने चाहिए।
रंगकर्मी रमेश कुमार ने कहा कि स्वदेश दीपक द्वारा लिखित नाटक कोर्ट मार्शल नाटक का विषय समाज में फैले जातीवाद पे आधारित है। चाहे हम आजाद हो चुके हैं, पर फिर भी जातीवाद का यह कोहड़ हमारा पिदा नही छोड़ रहा। कहानीकार फोज के द्वारा पूरे समाज का सच दिखना चाहता है। कैसे हमारे समाज के रसूक वाले, छोटे लोगों को अपनी ताकत से दबाते है, उनका शोषण करते हैं, कैसे अमीर की बड़ी गलती पे भी परदा डाला जाता है और इस के विपरित एक छोटी जाती वाले की छोटी गलती का उजागर किया जाता है।
नाटक में दिखाया गया है कि रामचंद्र जो कि एक अरदली है और छोटी जाति से है, उस का अफसर कैप्टन बीडी कपूर भी उसको छोटी जाति के कारण बुरा-भला बोलता और गालीयां देता रहता हे। एक दिन तो रामचंद्र इतना तंग हो जाता है कि गुस्से में बीडी कपूर पर कातिलाना हमला कर देता है। जिस से बीडी कपूर बच जाता है जब के उसका साथी मारा जाता है। इस घटना के बाद रामचंद्र का कोर्ट मार्शल किया जाता है। जैसे-जैसे कोर्ट मार्शल आगे बढ़ता है, परत दर परत खुलने के बाद सभी को रामचंद्र के साथ सहानूभूति होने लगती है।
दर्शक नाटक को देखकर भावुक हुए
कोर्ट मार्शल की परतें खोलने का काम वकील विकास राये के हिस्से आता है जो अपनी वकालत से रामचंद्र का पक्ष पेश करता है। नाटक के अंत में कैप्टन बीडी कपूर भी अपने आप को गोली मार लेते हैं, जिसको भगवान का फैसला कहा जाता है। जब नीचे की अदालत फैसला न कर सके तो ऊपर की अदालत अपने आप फैसला कर देती है और न्यायाधीश रामचंद्र के कोर्ट मार्शल का फैसला दर्शको को सौंप देता है।
इस तरह की स्थितियोंं को देखकर दर्शक नाटक को देखकर भावुक हुए और तालियां बजाने और सोचने पर भी मजबूर करती हैं। इस मौके पर महेंद्र सिंह श्योकंद, डा. राजेश गर्ग, डा. प्रियदर्शी, सोहनदास, हिमानी गुप्ता, मंजु मानव, रामफल दहिया, कर्मपाल शास्त्री, नफे सिंह शास्त्री, रमेश मास्टर, जयभगवान, मास्टर रमेश, दलबीर आल्हान आदि उपस्थित रहे।
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