- सुबह वातावरण में स्मॉग छाया, सूर्य देवता ने दर्शन दिए तो छटा स्मॉग
(Jind News) जींद। दीपावली पर्व के बाद जींद की आबोहवा लगातार जहरीली होती जा रही है। दीपावली पर्व इस बाद वीरवार और शुक्रवार दो दिन मनाया गया। जिसके चलते दोनों दिन ही अलग-अलग जगहों पर जमकर आतिशबाजी की गई। इन पटाखों का धुआं अब वातावरण में फैल गया है। जोकि आंखों में जलन करने लगा है। जिले में अधिकतम एक्यूआइ डेंजर जोन यानी 400 से ऊपर पहुंच गया है। यह स्वास्थ्य के लिए खतरनाक माना जाता है। प्रदूषण बढऩे के कारण शनिवार सुबह वातावरण में स्माग भी छाया रहा।
जिले में अधिकतम एक्यूआइ डेंजर जोन यानी 400 से ऊपर पहुंचा, डेंजर जोन में जींद
गौरतलब है कि दीपवाली पर वीरवार व शुक्रवार को रात भर जमकर आतिशबाजी हुई थी। जिसके चलते शनिवार सुबह वातावरण में स्मॉग छा गया। जिला में पिछले एक महीने से लगातार फसल अवशेष जलाने के मामले भी सामने आ रहे हैं। इससे एक्यूआइ एक सप्ताह से 300 के आसपास था। वहीं दीवाली पर हुई आतिशबाजी ने प्रदूषण और अधिक बढ़ा दिया। अर्बन एस्टेट क्षेत्र में ही स्माग के साथ एक्यूआई 400 के करीब रहा। प्रदूषण का यह स्तर सांस के रोगियों और बच्चों व बुजुर्गों के लिए बेहद खतरनाक है।
आंखों में लगातार प्रदूषण के कण जाने से जलन बढ़ रही है। विशेष दमा के मरीजों को इस मौसम से काफी परेशानी उठानी पड़ रही है। यूं तो पिछले कई साल से जींद का एक्यूआई 400 से ऊपर जाता है लेकिन इस बार प्रशासन ने फसल अवशेष जलाने पर सख्ती की हुई है और पराली जलाने के मामले कम आ रहे हैं। पिछले साल इन दिनों एक्यूआइ इसी स्तर पर तक रहा। नागरिक अस्पताल के डिप्टी सिविल सर्जन डा. राजेश भोला ने बताया कि
पर्यावरण प्रदूषण से रोग प्रतिरोध क्षमता कमजोर होती है। ऐसे में प्रदूषण के दौरान सीधे हवा के संपर्क में आने से बचें। आंखों को बार-बार सामान्य पानी से साफ करते रहें।
अधिक खुजली या जलन होने पर नेत्ररोग विशेषज्ञ को ही दिखाएं। आतिशबाजी से हवा की गुणवत्ता पर बुरा प्रभाव पड़ा है। इससे सांस के रोगियों को परेशानी होनी स्वाभाविक है। सांस लेने में कठिनाई होती है। विशेषकर शारीरिक श्रम के दौरान ज्यादा परेशानी होती है।
एक्यूआइ की आदर्श स्थिति
शून्य से 50 अच्छा
51 से 100 संतोषजनक
101 से 200 मध्यम
201 से 300 बुरी
301 से 400 बहुत बुरी
401 व अधिक अति गंभीर
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