- हवा की गति कम रहने से वातावरण में ऊपर नहीं जा पा रहे कार्बन व प्रदूषण के कण, एक्यूआई 356
- चिकित्सकों की सलाह : सुबह और शाम सैर से बचें
(Jind News) जींद। जिले में शुक्रवार को एक्यूआई 356 रहा। जोकि गंभीर स्थिति में आता है। वहीं पिछले एक महीने से लगातार फसल अवशेष जलाने के मामले भी सामने आ रहे हैं। इससे एक्यूआइ एक सप्ताह से 300 के आसपास था। वहीं दीपावाली पर हुई आतिशबाजी ने प्रदूषण और अधिक बढ़ा दिया। एक्यूआई का औसत स्तर 350 तक रह रहा है। प्रदूषण का यह स्तर सांस के रोगियों और बच्चों व बुजुर्गों के लिए बेहद खतरनाक है।
आंखों में लगातार प्रदूषण के कण जाने से जलन बढ़ रही है। विशेष दमा के मरीजों को इस मौसम से काफी परेशानी उठानी पड़ रही है। यूं तो पिछले कई साल से जींद का एक्यूआई 400 से ऊपर जाता है लेकिन इस बार प्रशासन ने फसल अवशेष जलाने पर सख्ती की हुई है और पराली जलाने के मामले कम आ रहे हैं।
हवा की गति कम रहना भी बन रहा परेशानी
शुक्रवार को अधिकतम तापमान 31 डिग्री तो न्यूनतम तापमान 18 डिग्री दर्ज किया गया। मौसम में आद्रता 48 प्रतिशत रही तो हवा की गति भी मात्र तीन किलोमीटर प्रति घंटा रही। हवा की गति कम रहने के चलते भी पर्यावरण प्रदूषण से आमजन को निजात नही मिल पा रही है। क्योंकि काबन व प्रदूषण के कण वातावरण में ऊपर नही जा पाते हैं। मौसम विशेषज्ञों के अनुसार धीरे-धीरे ठंड बढऩे की संभावना है। मौसम खुश्क रहेगा ओर हलकी गति से उत्तरी हवाएं चल सकती हैं। जिससे दिन व रात के तापमान में हल्की गिरावट की संभावना है। ठंड रहने के चलते सुबह व शाम के समय स्मॉग की भी स्थिति बनी रह सकती है।
नागरिक अस्पताल के डिप्टी सिविल सर्जन डा. राजेश भोला ने बताया कि पर्यावरण प्रदूषण से रोग प्रतिरोध क्षमता कमजोर होती है। ऐसे में प्रदूषण के दौरान सीधे हवा के संपर्क में आने से बचें। आंखों को बार-बार सामान्य पानी से साफ करते रहें। अधिक खुजली या जलन होने पर नेत्ररोग विशेषज्ञ को ही दिखाएं। आतिशबाजी से हवा की गुणवत्ता पर बुरा प्रभाव पड़ा है। इससे सांस के रोगियों को परेशानी होनी स्वाभाविक है। सांस लेने में कठिनाई होती है। विशेषकर शारीरिक श्रम के दौरान ज्यादा परेशानी होती है।
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