Jind News : धूंधूं कर जला बुराई का प्रतीक रावण

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Ravana, the symbol of evil, was burnt to ashes
अर्जुन स्टेडियम में खड़े किए गए पुतले।
  • सुरक्षा को लेकर पुलिस रही मुस्तैद, जगह-जगह की गई नाकाबंदी

(Jind News) जींद। जिलेभर में शनिवार को दशहरा पर्व धूमधाम से मनाया गया। अधर्म पर धर्म तथा बुराई पर अच्छाई के प्रतीक विजय दशमी पर्व पर रेलवे जंक्शन स्थित स्कूल मैदान व अर्जुन स्टेडियम में रावण, कुंभकरण तथा मेघनाथ के पुतले फूंके गए। इस मौके पर शहर में कई जगहों पर मेलों का आयोजन किया जिसमें लोगों ने जमकर खरीददारी की। अर्जुन स्टेडियम में रावण दहन के चलते देर शाम वहां जाम की स्थिति उत्पन्न हो गई।

विजय दशमी का पर्व श्रद्धा व धूमधाम से मनाया गया

विजय दशमी पर्व पर मंदिरों में भी विशेष पूजा तथा यज्ञ का आयोजन किया गया। रेलवे जंक्शन स्कूल ग्राउंड के आसपास छोटे-छोटे झूले लगाए गए थे। बच्चों ने तीर कमान, तलवार खरीदे। वहीं राम, हनुमान के मुखौटे भी बच्चों में आकषर्ण का केंद्र रहे। ज्यों-ज्यों शाम नजदीक आती गई वैसे-ïवैसे अर्जुन स्टेडियम तथा रेलवे ग्राऊंड में भीड़ बढ़ती गई। दशहरा पर्व को लेकर शाम को शोभायात्रा निकाली गई।

राम, लक्ष्मण, हनुमान की आर्कषक झांकियां बनाई गई थी। अर्जुन स्टेडियम में किलेे वाली श्री सनातन धर्म रामलीला कमेटी की ओर से रावण, मेघनाद व कुंभकर्ण के विशालकाय पुतले जलाए गए। जिसमें मुख्यअतिथि के तौर पर विधायक डा. कृष्ण मिड्ढा शामिल हुए। उधर, रेलवे रामलीला क्लब की ओर से रेलवे जंक्शन स्कूल ग्राउंड में रावण दहन किया गया। जिसमें मुख्यअतिथि के तौर पर विधायक डा. कृष्ण मिड्ढा सहित अन्य गणमान्य लोग शामिल हुए। दशहरा पर्व को लेकर बाजार में भीड़ भाड़ रही। लोगों ने जमकर खरीददारी की। शहर के सभी मुख्य मार्गो पर मिठाईयों की दुकान सजी हुई थी। लोगों ने मिठाई बांटकर एक दूसरे को बधाई दी। सुरक्षा की दृष्टि से आयोजन स्थलों पर भारी संख्या में पुलिस बल को तैनात किया गया था। सावर्जनिक स्थानों पर मोर्चा बंदी की गई थी।

जींद में तीन जगह हुआ दशहरा पर्व पर पुतला दहन

जींद शहर में दशहरा पर्व पर शनिवार को अर्जुन स्टेडियम और जींद रेलवे जंक्शन ग्राउंड तथा गीता कालोनी में रावण के कुनबे का दहन किया गया। रेलवे जंक्शन पर रेलवे रामलीला क्लब द्वारा बनवाए गए रावण के पुतले की ऊंचाई 55 फूट रही तो वहीं सनातन धर्म रामलीला क्लब द्वारा तैयार किए गए रावण के पुतले की ऊंचाई 45 फूट तथा कुंभकरर्ण और मेघनाथ के पुतले की हाइट 50 तथा 45 फूट रखी गई है। खास बात यह है कि इस बार रावण की गर्दन घुमती रही। पुतलों में भरपूर आतिशबाजी का प्रयोग किया गया था।

रावण वध से पहले हुई खूब आतिशबाजी

रावण के वध पर जम कर आतिशबाजी की गई। जिसका दर्शकों ने आनंद उठाया। श्री सनातन धर्म आदर्श रामलीला क्लब द्वारा अर्जुन स्टेडियम तक शोभा यात्रा निकाली गई। विजय दशमी के अवसर पर पूरे दिन बाजारों में चहल-पहल रही। पुलिस द्वारा दोनों ही जगह लोगों की भीड़ को देखते हुए बेरिकेटिंग की हुई थी। चौराहों पर पुलिसकर्मियों को तैनात किया गया था।

रावण दहन से पहले श्रद्धालुओं की पूजा, पुतले की लकडिय़ों को उठा ले गए लोग

रावण का पुतला दहन से पूर्व लोगों ने रावण की पूजा अर्चना की और सुख समद्धि की कामना की। अंत समय में रावण द्वारा लक्ष्मण को दिया गया ज्ञान ने भी लोगों को नसीहत दी। पुतला दहन के बाद लोग रावण के पुतले की लकडिय़ों को अपने घर उठ ाकर ले गए। जयंती देवी मंदिर के पुजारी नवीन शास्त्री ने बताया कि दशहरे पर रावण दहन की राख या लकड़ी घर लाना भी बहुत उत्तम माना जाता है।

रावण के पुतले का दहन होने के बाद उसकी छोटी सी लकड़ी या राख लाकर लाल कपड़े में बांधे और उसे मुख्य द्वार पर बांध दे। ऐसा कहते हैं कि यह उपाय करने से नकारात्मक शक्तियां घर से कोसों दूर रहती हैं। इसके अलावा कई लोग भूत-प्रेत बाधा दूर करने के लिए उसका टीका लगता है। किसी को नजर लग जाए, उसके भी काम आती है। साफ शब्दों में कहें तो रावण की जली हुई लकडिय़ां तंत्र क्रिया के काम आती हैं। इसलिए लोग एक-एक लकड़ी उठा कर अपने घर ले जाते हैं।

वहीं कुछ लोगों की सोच है कि रावण के पुतले की जली लकड़ी घर में रखना पितृ दोष का भी कारण बनती है। लोग लकड़ी को रावण की अस्थियों के रूप में मान कर अपने घर में जाते हैं। जिससे कि घर में किसी प्रकार का भय न रहे। किंतु ऐसा करना रावण के अवशेष को घर में स्थान देकर पूरा साल उसकी नकारात्मक ऊर्जा अपने घर में प्रवेश करवाने जैसा रहता है। देह जलने के बाद उसकी राख को विसर्जित करने का प्रावधान है। जिससे कि उस व्यक्ति के जितने भी अवशेष बचे हैं, वह पंच भूतों में विलीन होकर सकारात्मकता की ओर बढ़ें परंतु यदि ध्यान से सोचिए आप अपने किसी प्रियजन की अस्थियां घर में रख लें तो उसका क्या प्रभाव आपके जीवन पर पड़ेगा। तो ऐसा करना बिल्कुल भी उचित तरीका नहीं है।

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