- सब सिखन को हुकम है गुरु मान्यो ग्रंथ
- रागी जत्थों ने गुरू की बाणी का किया बखान
Jind News | जींद। ऐतिहासिक गुरुद्वारा गुरु तेग बहादुर साहिब में श्री गुरु ग्रंथ साहिब के प्रथम प्रकाशोत्सव की खुशी में धार्मिक दीवान सजाया गया। जिसमें भारी संख्या में श्रद्धालुओं ने अपने गुरु के समक्ष माथा टेक कर गुरू की खुशियां प्राप्त की। गुरुघर के प्रवक्ता बलविंदर सिंह ने के अनुसार इस धार्मिक दीवान में गुरुद्वारा मंजी साहिब अंबाला के हजूरी रागी भाई देविंद्र सिंह के रागी जत्थे द्वारा गुरु ग्रंथ साहिब की महिमा के गुरबाणी शब्दों का गुणगान करके संगतों का मन मोह लिया। धार्मिक दीवान का शुभारंभर गुरुद्वारा गुरु तेग बहादुर साहिब के रागी भाई जसबीर सिंह रमदसिया के रागी जत्थे द्वारा गुरुबाणी शब्द कीर्तन द्वारा की गई।
गुरुद्वारा साहिब के हैड ग्रंथी एवं कथा वाचक ज्ञानी गुरविंदर सिंह रत्तक ने अपने कथा प्रवचनों में श्री गुरु ग्रंथ साहिब की रचना पर प्रकाश डालते हुए बताया कि गुरु अर्जन देव जी ने गुरु नानक साहब, गुरु अंगद देव, गुरु अमरदास, गुरु रामदास एवं अपनी बाणी तथा 15 संत व कवियों कबीर दास जी, रविदास जी, नामदेव जी, रामानंद जी, जयदेव जी, शेख फरीद जी एवं 11 भाटों की बाणी को शामिल करके गुरु ग्रंथ साहिब की स्थापना सन 1604 में श्री हरमंदिर अमृतसर में की थी। उसके उपरांत गुरु गोबिंद सिंह ने गुरू तेग बहादुर की बाणी को दर्ज करके सन 1706 में गुरु ग्रंथ साहिब को गुरु गद्दी पर आसीन किया और कहा सब सिखन को हुकम है गुरु मान्यो ग्रंथ।
हरियाणा गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी की कार्यकारिणी सदस्य बीबी परमिंदर कौर ने श्री गुरु ग्रंथ साहिब की महत्ता के बारे में संगतों को जानकारी देते हुए कहा कि इस पवित्र ग्रंथ में गुरुओं, भक्तों की बाणी पर हम सभी को अमल करना चाहिए। हमेशा सच के मार्ग पर चलना चाहिए। अपने मन को परमात्मा के मन से जोडऩा चाहिए। जरूरतमंद लोगों की मदद हमेशा करनी चाहिए।
गुरुद्वारा साहिब के मैनेजर गुरविंदर सिंह चौगामा ने कहा कि गुरु ग्रंथ साहिब हमें अपना जीवन जीने के तरीके के बारे में मार्गदर्शन करते हैं। यह मानवता की एकता के बारे में सिखाता है। गुरूघर के प्रवक्ता बलविंद्र सिंह ने कहा कि जन्म और मृत्यु का चक्र तब तक खत्म नही होता है जब तक अहंकार ओर स्वार्थ खत्म नही होता है। गुरु ग्रंथ साहिब के भीतर, भजन और कविताएं सभी मनुष्यों की समानता के महत्व को व्यक्त करती हैं।
एकेश्वरवाद में विश्वास और वाहेगुरु के महत्व पर भी प्रकाश डालती हैं। बलविंद्र सिंह ने कहा कि अच्छी सोच से ही इंसान को हमेशा अच्छा रास्ता मिलता है। ईश्वर पर वही भरोसा कर सकता है, जो खुद पर भरोसा करता हो और ईश्वर को वही व्यक्ति प्राप्त कर सकता है, जो सबसे प्रेम करता हो।
इस धरती पर व्यक्ति अपने कर्म के अनुसार ही फल पाएगा। जो जैसा बोएगा, वैसा ही पाएगा। व्यक्ति को अपने कर्म ईमानदारी से करने चाहिए। गुरमत समागम के पश्चात गुरु का अटूट लंगर भी संगतों में बरताया गया। कार्यक्रम में जत्थेदार गुरजिंदर सिंह, जोगिंदर सिंह पाहवा, हैड ग्रंथी ज्ञानी गुरविंदर सिंह रत्तक, दलबीर सिंह सेठी, जसकरण सिंह, कमल चुघ, गुरमीत सिंह, यादवेंद्र सिंह, प्रेम सिंह खालसा, संतोख सिंह, सतनाम सिंह व गोल्डी आदि उपस्थित रहे।
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