- छोटी-छोटी तकनीकों से आपदा के समय बचा सकते हैं जान : त्रिलोक सिंह
(Jind News) जींद। आपदाएं किसी भी समय और किसी भी स्थान पर आ सकती हैं और इनके प्रभाव से बचाव के लिए सही ज्ञान और प्रशिक्षण आवश्यक होता है। प्राकृतिक आपदाएं जैसे भूकंप, बाढ़ और मानवजनित आपदाएं जैसे आग लगना या गैस सिलेंडर में विस्फोट, जीवन और संपत्ति को गंभीर रूप से प्रभावित कर सकती हैं।
आपदाओं के दौरान सही कदम उठाना हमारी सुरक्षा सुनिश्चित कर सकता है
इन आपदाओं के दौरान सही कदम उठाना और सुरक्षित रहने के उपाय अपनाना ही हमारी सुरक्षा सुनिश्चित कर सकता है। इसी उद्देश्य को ध्यान में रखते हुए जिला आपदा प्रबंधन प्राधिकरण जींद और राष्ट्रीय आपदा मोचन बल (एनडीआरएफ) की टीम द्वारा आगामी 22 फरवरी तक जिला मे जागरूकता कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे। बुधवार को ग्राम पंचायत खटकड़ और कहसुन में जागरूकता कार्यक्रम आयोजित किया गया।
उद्देश्य गांव के लोगों को आपदा प्रबंधन और सुरक्षा उपायों की जानकारी देना
इस कार्यक्रम को चौपाल कार्यक्रम नाम दिया गया है। जिसका मुख्य उद्देश्य गांव के लोगों को आपदा प्रबंधन और सुरक्षा उपायों की जानकारी देना है ताकि वे किसी भी आपदा की स्थिति में खुद को और दूसरों को सुरक्षित रख सकें। इस कार्यक्रम का नेतृत्व एनडीआरएफ टीम प्रभारी एवं इंस्पेक्टर त्रिलोक सिंह कर रहे हैं और उनके साथ महिलाकर्मी पूनम भी सहयोग कर रही हैं।
इसके अलावा जिला आपदा प्रबंधन प्राधिकरण से विक्रम मोर, संतरा देवी और नवीन ने कार्यक्रम में भाग लिया। कार्यक्रम के सफल संचालन में ग्राम पंचायत खटकड़ के सरपंच सतबीर सिंह और ग्राम पंचायत कहसून की सरपंच मीना देवी ने भी सहयोग किया। इस जागरूकता अभियान के तहत लोगों को सीपीआर (हृदय गति रुकने की स्थिति में जीवन रक्षक प्राथमिक उपचार), भूकंप के समय अपनाए जाने वाले बचाव के तरीके, प्राथमिक चिकित्सा, बाढ़ से बचाव के उपाय और गैस सिलेंडर में आग लगने की स्थिति में सुरक्षा के उपायों के बारे में जानकारी दी जा रही है।
इस कार्यक्रम के माध्यम से गांव के लोगों को यह समझाने की कोशिश की जा रही है कि किसी भी आपदा की स्थिति में घबराने की बजाय सही तकनीकों का उपयोग कर नुकसान को कैसे कम किया जा सकता है। एनडीआरएफ टीम प्रभारी एवं इंस्पेक्टर त्रिलोक सिंह ने बताया कि सरकार और प्रशासन की ओर से किए गए इस प्रयास का उद्देश्य ग्रामीण समुदाय को जागरूक करना और उन्हें आत्मनिर्भर बनाना है।
इसलिए यह आवश्यक है कि गांव के लोग इस कार्यक्रम में बढ़चढ़ कर हिस्सा लें और आपदा प्रबंधन से जुड़ी जानकारी प्राप्त करें। यह प्रशिक्षण न केवल उनके जीवन को सुरक्षित बनाएगा बल्कि उनके परिवार और पूरे समाज के लिए भी लाभदायक सिद्ध होगा।
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