Jind News : मॉक ड्रिल से जांची अस्पताल में मौजूद स्वास्थ्य सुविधाएं

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Mock drills were conducted to check the health facilities present in the hospital
अस्पताल में व्यवस्थाओं का जायजा लेते हुए एडीसी विवेक आर्य। 
  • आधे घंटे में खत्म हुई मॉक ड्रिल, एंबुलेंस पर तैनात स्टाफ  पीपी किट पहने बिना ही मरीज को लेकर जाते हुए दिखाई दिए
  • दो एंबुलेंस के निकलने के बाद ही इमरजेंसी के बाहर स्ट्रेचर की हुई कमी
  • मॉक ड्रिल में नजर आई कमियों को दूर करने के आदेश : सीएमओ

(Jind News) जींद। नागरिक अस्पताल में मॉक ड्रिल के माध्यम से स्वास्थ्य सुविधाओं को जांचने का काम किया गया। मॉक ड्रिल को देखने आए एडीसी विवेक आर्य को अस्पताल में बेहतरीन व्यवस्थाएं दिखाने का प्रयास किया गया। जबकि अस्पताल में पिछले एक साल से ऑक्सीजन प्लांट खराब है। जैसे-तैसे आईसीयू चलाया जा रहा है। मॉक ड्रिल के दौरान चिकित्सक मरीजों को इंतजार करते पाए गए। जबकि यहां उपचार के लिए आए मरीजों को जरा सी गंभीरता पर पीजीआई रोहतक का रास्ता दिखा दिया जाता है। चिकित्सकों की भारी कमी है। मरीजों को पूरी दवाइयां तक नही मिल पाती हैं।

मॉक ड्रिल वीरवार सुबह एडीसी विवेक आर्य के आगमन के साथ ही शुरू होती है। सीएमओ डा. गोपाल गोयल एडीसी को अस्पताल की व्यवस्थाओं से अवगत करवाते हैं। मॉक ड्रिल एक के बाद एक  एंबुलेंस आती हैं और मरीजों को तुरंत स्ट्रेचर से उपचार के लिए नागरिक अस्पताल की इमरजेंसी वार्ड में लाया जाता है। यहां नागरिक अस्पताल के चिकित्सक व अन्य स्वास्थ्यकर्मी पहले से ही तैयार हैं। बाकायदा स्वास्थ्यकर्मी पीपी किट भी पहने हुए दिखे, जो अमूमन देखने को नही मिलती है। जैसे ही एक के बाद एक मरीज आते हैं तो उन्हें उपचार देने का सिलसिला शुरू हो जाता है। इस दौरान स्ट्रेचर नही खुल पाता है।

स्वास्थ्यकर्मियों के साथ-साथ चिकित्सक भी पूरी फूर्ति से सभी के उपचार में लग जाते हैं। मौके पर मौजूद लोग यह कहते हैं कि सच में अगर इमरजेंसी में आने वाले मरीज को इतनी तेज सुविधा मिले तो कई लोगों की जान बच जाए। हालांकि अस्पताल में मौजूद लोगों को बाद में पता चलता है कि यह मॉक ड्रिल थी तो वो राहत की सांस लेते हैं।

मॉक ड्रिल के लिए पूरी तरह से तैयार रहा स्वास्थ्य अमला

मॉक ड्रिल को लेकर सुबह से ही अस्पताल का पूरा प्रशासन मुस्तैद रहा। डॉक्टर, स्टाफ  नर्स, सफाईकर्मी, वार्ड ब्वाय सहित अन्य कर्मियों को अपनी-अपनी जगह पर तैनात कर दिया गया था। वहीं दवाइयां, स्ट्रेचर, ट्रॉली व अन्य जरूरी चीजों को भी अस्पताल की पुरानी बिल्डिंग के बाहर उनकी सही जगह पर रख दिया गया था। अस्पताल के बाहर स्ट्रेचर मौजूद थे। मॉक ड्रिल के चलते अस्पताल की इमरजेंसी में स्ट्रेचर व ट्रॉली को यथावत रखा गया। मॉक ड्रिल के दौरान मरीज के आने पर इन्हीं पर डाल कर उनको इमरजेंसी वार्ड में ले जाया गया। मॉक ड्रिल के दौरान एक मरीज तो खुद एंबुलेंस से उठ कर स्ट्रेचर पर लेट गया।

जिसने सबको हंसने पर मजबूर कर दिया। वहीं मॉक ड्रिल के दौरान एंबुलेंस विभाग की भूमिका भी देखी गई। यह देखा गया कि कैसे गंभीर स्थिति में मरीज को कितनी जल्दी अस्पताल में लाया जा सकता है। अगर एंबुलेंस अस्पताल के मुख्य गेट पर खड़ी होती है तो वहां रास्ता तो बाधित नही होता है। एंबुलेंस में साथ रहने वाला ईएमटी कैसे मरीज की मदद करता है। सबका लेखा-जोखा तैयार किया गया। अतिरिक्त उपायुक्त विवेक आर्य ने कहा कि मॉक ड्रिल के बाद उन्होंने अस्पताल का निरीक्षण भी किया।

मॉक ड्रिल का उद्देश्य सरकार द्वारा प्रदान की जा रही आपात सेवाओं को समय पर जनता तक पहुंचाना है। दुर्घटनास्थल पर एम्बुलेंस के पहुंचने का मानक समय 10 से 15 मिनट है और मॉक ड्रिल में एम्बुलेंस 10 से 12 मिनट में मौके पर पहुंची और मरीज को तुरंत इमरजेंसी में शिफ्ट करके उपचार शुरू किया गया। इस अभ्यास के दौरान विभिन्न बीमारियों, आपदाओं और दुर्घटनाओं की स्थितियों में प्रतिक्रिया की प्रक्रिया का भी प्रदर्शन किया गया। जिससे कर्मचारियों को त्वरित और सामूहिक कार्य करने का अनुभव मिला।

पिछले एक साल से खराब है अस्पताल का ऑक्सीजन प्लांट

नागरिक अस्पतालों में पिछले एक साल से ऑक्सीजन प्लांट खराब है। बजट न आने के चलते प्लांट ठीक नही हो पा रहा है। ऑक्सीजन सिलेंडरों से काम चलाया जा रहा है। हालांकि मॉक ड्रिल को देखते हुए प्लांट की सफाई करवाई गई। यहां झाडू लगवाया गया। इसके बाद वार्डों में बने ऑक्सीजन के प्वायंटों, ऑक्सीजन व्यवस्था को देखा गया।

मॉक ड्रिल में नजर आई कमियों को दूर करने के आदेश : सीएमओ

सीएमओ डा. गोपाल गोयल ने कहा कि मॉक ड्रिल का आयोजन करवाने का मुख्य उद्देश्य यही है कि यदि कोई भी आपातकालीन स्थिति आती है तो उससे निपटने के लिए हम तैयार रहें। हमें इस स्थिति में घबराना नहीं चाहिए बल्कि स्थिति से किस प्रकार निपटा जा सकता है इसके लिए कार्य करना चाहिए। स्वास्थ्य विभाग ऐसी स्थितियों से निपटने के लिए पूरी तरह से सक्षम है।

 

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