Jind News: महाग्राम छात्तर बना समस्याओं का महाग्राम: पीने के पानी की समस्या से लेकर गंदे पानी की निकासी नहीं होने से ग्रामीण परेशान

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जींद: उचाना उपमंडल के बड़े गांवों में शामिल छात्तर को बीती सरकार में महाग्राम का दर्जा दिया गया। सरकार द्वारा महाग्राम में शामिल गांवों को शहरी तर्ज पर सुविधाएं दी जानी थी। छात्तर गांव के लोगों को महाग्राम का दर्जा दिए जाने के छह साल के बाद भी कोई फायदा नहीं मिल रहा है। छात्तर गांव साल दर साल समस्याओं का महाग्राम बनता जा रहा है। वीरेंद्र मोर, सुभाष मोर, सतबीर मोर, ईश्वर मोर, भीम सिंह मोर, मा. भोपल ने कहा कि बीती सरकार में छात्तर गांव को महाग्राम का दर्जा दिए जाने की घोषणा गांव में आयोजित जनसाभ में तत्कालीन सीएम मनोहर लाल ने की। गांव के लोगों को विकास तेजी से होने की उम्मीद हुई थी। जो समस्याएं है उनका समाधान होगा इसको लेकर भी ग्रामीण खुश हुए थे। अब छह साल बीतने को है लेकिन समस्याओं का अंबार छात्तर में लगा हुआ है।
ग्रामीणों ने बताया कि राजकीय स्कूल पास एवं सिंगारा पत्ती में गंदे पानी का तालाब सबसे बड़ी परेशानी बन रहा है। यहां पर पशु पानी पीने नहीं जाते है। जो पानी है वो पशुओं के पीने के काबिल भी नहीं है। संडील वाले रास्ते पर जो तालाब है जहां पशु पानी पीते है वहां गंदा पानी की निकासी हो रही है।
उन्होंने कहा कि गांव में जलघर तो है लेकिन पीने के पानी की किल्लत बनी हुई है। जलघर के टैंकों में नहरी पानी की मांग कर चुके है। इस समय जो पानी आ रहा है वो जलघर में बोर से है। गांव में बूस्टिंग स्टेशन बने है लेकिन सप्लाई को लेकर परेशानी है। गांव में खिलाडिय़ों के लिए खेल स्टेडियम नहीं है। सीवरेज की लाइन महाग्राम योजना के तहत बिछाई जानी थी। पीएचसी गांव में है लेकिन डॉक्टरों के पद रिक्त है। ऐसे ही पशु अस्पताल है लेकिन वीएलडीए से ही काम चल रहा है डॉक्टर का पद रिक्त है। गांव में कॉलेज मंजूर होने के बाद थुआ रोड पर राजकीय स्कूल में कक्षाएं चल रही है। अब तक कॉलेज की बिल्डिंग नहीं बनी है।
समस्याओं की भरमार
सरपंच ओमप्रकाश ने कहा कि गांव के तालाबों में गंदा पानी भरा हुआ है। तालाबों से पानी ओवर फ्लो होकर घरों में भर रहा है। पशु अस्पताल में वीएलडीए की नियुक्ति नियमित नहीं है, पीएचसी में डॉक्टरों के पद रिक्त है, कॉलेज की बिल्डिंग नहीं बनी है तो पीने के पानी सहित अन्य बहुत समस्याएं है। इसको लेकर बार-बार प्रशासनिक अधिकारियों को लिखित में दे चुके है। महाग्राम का दर्जा मिलने का अब तक कोई फायदा गांव को नहीं हो रहा है।