- भगवान परशुराम जयंती पर हुआ वैष्णवी धाम में कार्यक्रम
(Jind News) जींद। आचार्य पवन श्र्मा ने कहा कि भगवान परशु राम प्रतीक है पराक्रम का और राम पर्याय है सनातन का अर्थात भगवान परशुराम पराक्रम व सनातन के साक्षात विग्रह हैं व जिनका चरित्र आज के परिपेक्ष्य में सर्वाधिक प्रासांगिक व अनुकरणीय है।
आचार्य पवन शर्मा शक्ति व भक्ति के प्रतीक भगवान परशुराम के जन्मोत्सव पर मंगलवार को माता वैष्णवी धाम में आयोजित सत्संग में उपस्थित श्रद्धालुओं को संबोधित कर रहे थे। इस अवसर पर समाज के लब्ध प्रतिष्ठितजनों ने भगवान श्री परशुराम के चरणावृंद में अपनी पुष्पांजलि अर्पित कर उनका आर्शीवाद प्राप्त किया।
अधर्म का उन्मूलन व धर्म का संस्थापन एक ही रथ के दो पहिये
आचार्य ने कहा कि अधर्म का उन्मूलन व धर्म का संस्थापन एक ही रथ के दो पहिये हैं। दोनों का समन्वय बने रहने से सृष्टि का संतुलन भी ठीक रहता है। इसलिए धर्मरक्षा हेतु इन दोनों की बराबर जरूरत है। आचार्य ने कहा कि सामान्यत: भगवान परशुराम के क्रोध की चर्चा बार-बार होती रहती है किंतु उसके कारणों की खोज बहुत कम हुई है। क्रोध वह वर्जित है जो स्वार्थ अथवा अहंकार की तुष्टि के लिए किया जाए।
अन्याय के विरूद्ध क्रूद्ध होना तो मानवता का लक्षण है। उन्होंने कहा कि भगवान परशुराम की यह स्पष्ट मान्यता थी कि विनम्रता व ज्ञान से सज्जनों को और प्रतिरोध व दंड से दुष्टों को जीता जा सकता है।
आचार्य ने कहा कि भगवान परषुराम को केवल ब्राह्मणों के देवता बना कर हम लोगों ने उनके प्रभाव व सम्मान को सीमित कर दिया है। जबकि वे तो भगवान विष्णु के अवतार हैं, उन्हें अमरत्व प्राप्त है। उन्होंने न केवल समाज को एक नई दिशा प्रदान की है अपितु उसे असामाजिक तत्वों से भी मुक्त कराया है। उनके प्रति सच्ची पुष्पांजलि यही होगी कि उनके चरित्र का समावेष हम अपने जीवन में करने का भरपूर प्रयत्न करें।
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