- धरम दी किरत करनी, किसी दि निंदा, चुगली, अतै इर्खा नै करना
- रागी जत्थों ने गुरू की महिमा का किया गुणगान
(Jind News) जींद। खालसा साजना दिवस के अवसर पर स्थानीय ऐतिहासिक गुरुद्वारा गुरु तेग बहादुर साहिब में सायंकालीन कीर्तन दरबार सजाया गया। गुरुघर के प्रवक्ता बलविंदर सिंह ने बताया कि कीर्तन दरबार में गुरुद्वारा साहिब के रागी जसबीर सिंह रमदसिया के रागी जत्थे ने गुरुबाणी शब्द गायन किए।
इसके बाद छठी पातशाही गुरुद्वारा कुरुक्षेत्र के हजूरी रागी भाई जगसीर सिंह के रागी जत्थे ने गुरु महिमा के गुरुबाणी शब्द सुना कर संगतों को निहाल किया तथा गुरु गोबिंद सिंह की जीवनी से रूबरू करवाया। कीर्तन दरबार में हरियाणा गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी के नवनिर्वाचित सदस्य सरदार करनैल सिंह निम्नाबाद ने भी शिरकत की और संगतों को गुरू साहिब के आदर्शों और उनके दिखाए मार्ग चलने का आह्वान किया।
1699 में श्री गुरू गोबिंद सिंह साहिब ने खालसा पंथ की स्थापना की थी
सरदार करनैल सिंह निम्नाबाद ने कहा कि सन 1699 में श्री गुरू गोबिंद सिंह साहिब ने आनंदपुर साहिब में खालसा पंथ की स्थापना की थी। उन्होंने देहधारी गुरू परम्परा को समाप्त कर श्री गुरू ग्रंथ साहिब जी को सिखों का जीवित गुरू घोषित किया था। उन्होंने कहा कि गुरू जी ने छुआछूत, ढोंग, आडम्बर, पाखंड का खंडन करते हुए समाज में समानता और सेवा भाव को बढावा दिया।
आज हमें गुरू जी के दिखाए सद्मार्ग पर चलने का संकल्प लेना चाहिए। उन्होंने कहा कि गुरू गोबिंद सिंह जी ने कहा था कि धरम दी किरत करनी, किसी दि निंदा, चुगली, अतै इर्खा नै करना। हमें ईमानदारी से अपनी कमाई करनी चाहिए और दूसरों की निंदा, चुगली या ईष्र्या से बचना चाहिए। जब आप अपने अंदर से अहंकार मिटा देंगे तभी आपको वास्तविक शांति प्राप्त होगी। अहंकार के बिना ही सच्ची शांति मिल सकती है।
कमाई में से हमेशा दसवां हिस्सा जरुर निकालें और उसे किसी जरुरतमंद को दान में दें
गुरु गोबिंद सिंह ने कहा कि हमें अपनी कमाई का दसवां हिस्सा हमेशा निकालना चाहिए। कमाई आप चाहे जितनी भी करें लेकिन कमाई में से हमेशा दसवां हिस्सा जरुर निकालें और उसे किसी जरुरतमंद को दान में दें। धन, जवानी, तै कुल जात दा अभिमान नै करना। गुरु गोबिंद सिंह जी का मानना है कि हमें कभी भी अपने पैसे, जवानी और अपने धर्म या जात का अभिमान नही करना चाहिए। यह सभी चीजें नश्वर हैं।
उन्होंने कहा कि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी हमेशा गुरुद्वारों की रचनात्मक देखरेख के लिए बनाई जाती है लेकिन असली कमेटी प्रधान, सदस्य गुरु रूपी समूह संगत होती है। क्योंकि गुरु घरों के विकास में समूह संगत का सहयोग अति महत्वपूर्ण है।
इस अवसर पर गुरुद्वारा मैनेजर गुरविंदर सिंह चौगामा, हरियाणा गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी के सदस्य करनैल सिंह निम्नाबाद, गुरुद्वारा साहिब के हैड ग्रंथी गुरविंदर सिंह रत्तक, सतनाम सिंह घुम्मन, इंद्रजीत सिंह बिट्टू, गुरभेद सिंह विर्क, आजाद सिंह, निंदरपाल सिंह, मेजर सिंह, यादविंद्र सिंह व शेर सिंह मौजूद रहे। कीर्तन दरबार के बाद संगतों में गुरु का अटूट लंगर भी बरताया गया।
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