Jind News : शिव योग और सिद्धि योग में सोमवती अमावस्या पर श्रद्धालु करेंगे पितृ तर्पण

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In Shiva Yoga and Siddhi Yoga, devotees will offer water to their ancestors on Somvati Amavasya
पांडु पिंडारा स्थित पिंडतारक तीर्थ।
  • महिला व पुरूष पुलिसकर्मी रहेंगे तैनात, यातायात व्यवस्था की संभाली जाएगी कमान

(Jind News) जींद। सोमवती अमावस्या का हिंदुओं में बहुत ही धार्मिक महत्व है। इस दिन भगवान शिव की पूजा विधान है। इस बार सोमवती अमावस्या दो सितंबर को है। सोमवार को होने के कारण इसे सोमवती अमावस्या के नाम से जाना जाता है। इस दिन देवों के देव महादेव और मां पार्वती की विशेष पूजा और व्रत करने का विधान है। साथ ही पितरों का तर्पण किया जाता है। माना जाता है कि ऐसा करने से पितृ प्रसन्न होते हैं और उनका आशीर्वाद प्राप्त होता है और व्रती को अखंड सौभाग्य, खुशहाली और पितरों का आशीर्वाद मिलता है। पंचांग के अनुसार सोमवती अमावस्या शिव योग भोर से लेकर शाम छह बजकर 20 मिनट तक रहेगा। वहीं सिद्ध योग शाम छही बजकर 20 मिनट से लेकर पूर्ण रात्रि तक रहेगा। ऐसा कहा जाता है कि इस दौरान मांगलिक कार्य करने से उनमें सफलता प्राप्त होती है और परिवार में खुशहाली आती है।

पिंडारा तीर्थ पर हजारों की संख्या में श्रद्धालु करेंगे तर्पण

सोमवती अमावस्या पर पांडू पिंडारा स्थित पिंडतारक तीर्थ पर सोमवार को सैंकडों की संख्या में श्रद्धालु सरोवर में स्नान कर तर्पण करेंगे। श्रद्धालुओं की भीड़ की संभावना को देखते हुए प्रशासन ने भी तैयारियां शुरू कर रखी हैं। स्पेशल पुलिसकर्मियों की डयूटी लगाई गई हैं। वहीं वालेंटियर व श्रद्धालु व्यवस्था की कमान संभालेंगे। जींद-गोहाना मार्ग पर जाम की स्थिति न रहे, इसके लिए ट्रैफिक पुलिस भी कमान संभाले रहेगी।

यह रहेगी सोमवती अमवस्या की पूजा-विधि

जयंती देवी मंदिर के पुजारी नवीन शास्त्री ने बताया कि सुबह जल्दी उठ कर स्नान करें। इस दिन पवित्र नदी या सरोवर में स्नान करने का विशेष महत्व रहता है। अगर सरोवर या नदी में स्नान नहीं किया जा सकता है तो घर पर ही नहाने के पानी में गंगा जल डाल कर स्नान कर सकते हैं। स्नान करने के पश्चात घर के मंदिर में दीप प्रज्जवलि करें। सूर्य देव को अध्र्य दें। अगर उपवास रख सकते हैं तो अवश्य रखें। पितरों के निमित्त तर्पण और दान अवश्य करें। अपने ईष्ट देव का अधिक से अधिक ध्यान करें।

पिंडारा तीर्थ का यह है महत्व

पिंडतारक तीर्थ के संबंध में किदवंती है कि महाभारत युद्ध के बाद पूर्वजों की आत्मा की शांति के लिए पांडवों ने यहां 12 वर्ष तक सोमवती अमावस्या की प्रतीक्षा में तपस्या की। बाद में सोमवती अमावस के आने पर युद्ध में मारे गए परिजनों की आत्मा की शांति के लिए पिंडदान किया। तभी से यह माना जाता है कि पांडू पिंडारा स्थित पिंडतारक तीर्थ पर पिंडदान करने से पूर्वजों को मोक्ष मिल जाता है। महाभारत काल से ही पितृ विसर्जन की अमावस्या, विशेषकर सोमवती अमावस्या पर यहां पिंडदान करने का विशेष महत्व है। यहां पिंडदान करने के लिए विभिन्न प्रांतों के लोग श्रद्धालु आते हैं।

सोमवती अमावस्या में पूजा व पितृ तर्पण का विशेष महत्व : नवीन शास्त्री

जयंती देवी मंदिर के पुजारी नवीन शास्त्री ने बताया कि हिंदू पंचांग के अनुसार अमावस्या पर तर्पण से पूर्वजों की कृपा से परिवार में खुशहाली और समृद्धि आती है। इसके अलावा सोमवार के दिन भगवान शिव की पूजा अर्चना करने से सभी मनोकामनाएं भी पूर्ण होती हैं।

 

 

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