- नौकरी के लिए मेडिकल करवाने आए युवक को खुद की विकलांगता का नही पता
- 70 प्रतिशत विकलांग होने के बाद खुद चल कर करवाने आया नौकरी के लिए मेडिकल
- मेडिकल प्रमाण पत्र की जांच को लेकर चार सदस्यीय कमेटी बनाई : सीएमओ डॉ . गोपाल गोयल
(Jind News) जींद। नागरिक अस्पताल में विकलांग युवक स्वयं चल कर अपना सरकारी नौकरी का मेडिकल करवाने आया। जिस पर चिकित्सक को शक हुआ तो उन्होंने ऑब्जेक्शन लगा जांच के आदेश दिए। सीएमओ डा. गोपाल गोयल ने भी मामले में कड़ा संज्ञान लिया और मेडिकल ऑफिसर डा. योगेश द्वारा दी शिकायत पर जांच के लिए डिप्टी सिविल सर्जन डा. रमेश पांचाल, डा. पालेराम कटारिया, डिप्टी एमएस डा. राजेश भोला तथा एक कंप्यूटर ऑपरेटर की कमेटी बना दी है। जो इस मामले की जांच करेंगे। जांच रिपोर्ट मिलने के बाद ही पता चलेगा कि यह फर्जी या फिर सही है।
गौरतलब है कि नागरिक अस्पताल में इन दिनों ग्रुप सी और डी में चयनित हुए अभ्यार्थियों के मेडिकल चले हुए हैं। इसी को लेकर एक युवक अस्पताल में मेडिकल करवाने आया। जिसने 70 प्रतिशत दिव्यांगता का मेडिकल प्रमाण पत्र लिया हुआ था। इसी दिव्यांगता कोटे पर उसका चयन भी सरकारी नौकरी के लिए हुआ है। जब चिकित्सक को युवक दिव्यांगता पर शक हुआ तो उसकी दिव्यांगत जानने का प्रयास किया लेकिन युवक टाल-मटोल कर गोलमोल जवाब देने लगा।
जिस पर चिकित्सक ने उसके मेडिकल के लिए लगाए गए कागजातों पर ऑब्जेक्शन लगा दिया और मामला उच्च अधिकारियों से अवगत करवाया। युवक को दिव्यांगता प्रमाण पर जींद अस्पताल द्वारा जारी किया गया है। दिव्यांगता प्रमाण पत्र के लिए चिकित्सकों का पैनल बैठता है। जो दिव्यांगता को लेकर आए आवेदनकर्ता की जांच करता है। जांच के बाद ही दिव्यांगता को लेकर प्रसेंटेज लिखी जाती है। इसी प्रसेंटेज के आधार पर दिव्यांगता प्रमाण पत्र बनाया जाता है। अब जिस युवक का दिव्यांग प्रमाण पत्र बनाया गया है वो 70 प्रतिशत का बना हुआ है। ऐसे में वो पूरी तरह से अपंग है और चल-फिर पाने में असमर्थ होता है लेकिन युवक खुद चल कर अपना सरकारी नौकरी करवाने के लिए मेडिकल करवाने पहुंचा था।
दिव्यांगता प्रमाण पत्र को लेकर विभागीय स्तर पर जांच शुरू करवाई : डॉ. भोला
नागरिक अस्पताल के डिप्टी एमएस डा. राजेश भोला ने बताया कि युवक के दिव्यांगता प्रमाण पत्र को लेकर मामला संज्ञान में आया है। दिव्यांगता प्रमाण पत्र को लेकर विभागीय स्तर पर जांच शुरू करवाई गई है। इस मामले में अस्पताल स्तर पर कहीं को लारवाही सामने आती है तो पुलिस को शिकायत देकर मामला दर्ज करवाया जाएगा ताकि भविष्य में इस तरह का फर्जीवाडा फिर न हो सके।
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