Jind News : शामदो में हरियाणवी सांग हीर-रांझा का मंचन किया

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Haryanvi song Heer-Ranjha was staged in Shamdo
सांग का मंचन करते हुए कलाकार।
  • कलाकारों ने सांग द्वारा हीर-रांझा की कहानी सुना दर्शकों को किया झकझोर

(Jind News) जींद। संस्कृति मंत्रालय भारत सरकार और ऑन थिएटर ग्रुप के संयुक्त तत्वावधान में गांव शामदो में हरियाणवी सांग हीर रांझा का मंचन किया गया। जिसमें मुख्यअतिथि के रूप में गांव के सरपंच प्रतिनिधि बिंद्र शर्मा रहे। उन्होंने कहा की सांग हमारी परंपरा का अंग रहे हैं और एक समय यही मनोरंजन और सामाजिक सहयोग सामाजिक उत्थान का कार्य भी करते रहे।

स्वांग से हमारी लुप्त होती संस्कृति को बचाया जा सकता है। इनके मंचन आने वाली पीढ़ी के लिए होने चाहिए ताकि हमारी सांस्कृतिक परंपरा को समझ सके। सांग निर्देशन रिषी कपूर ने किया। रिषि कपूर ने बताया कि सांग को लोक शैली में प्रस्तुत किया और सांग की रागनी गायन में लोक संगीत तथा कुछ स्थानों पर शास्त्रीय गायन का भी प्रयोग किया। सांग कलाकारों में सूत्रधार गायक समंदर लाल, कृष्ण लाल ऊर्फ लीला राम रहे। रिषी कपूर ने बताया कि हीर रांझा की कहानी दुनिया को ये बतलाती है कि इंसान के लिए प्यार से बड़ी दौलत और कुछ भी नही। प्यार की पहचान हो जाए तो कोई बादशाह अपना तख्त छोड़ कर संयासी तक बन सकता है। तख्त हजारे गांव के एक संपन्न परिवार का लड़का था रांझा। अपने मां बाप का लाडला था।

वहीं सियाल कबीले की हीर की सुंदरता के चर्चे हर तरफ थे। रांझा वैसे तो चार भाइयों में सबसे छोटा होने के कारण पिता का दुलारा था लेकिन अपने भाइयों और भाभियों के भेदभाव के कारण घर छोड़ आया था। उसकी किस्मत उसे भटकाते हुए सियाल ले आई। यहीं उसने हीर को पहली बार देखा और उसे दिल दे बैठा। वो हीर के पिता के यहां भैंसों की देखभाल और उन्हें चराने का काम करने लगा।

हीर भी उसकी मोहब्बत में पड़ चुकी थी। दोनों के प्रेम को बारह साल बीत गए। इस प्रेम कहानी के साथ वियोग तब जुड़ गया जब हीर की शादी सैदा खेड़ा के साथ कर दी गयी। रांझा इस वियोग को सह ना सका और गोरखनाथ से दीक्षा लेकर संन्यासी बन गया। वो हीर के वियोग में भटकता रहा और एक दिन किस्मत उसे हीर के ससुराल तक ले गई। यहां हीर को जहर दे दिया गया तथा रांझे ने भी उसके वियोग में मौत को गले लगा लिया। उन्होंने ने बताया कि लोक नाटक में हरियाणवी संस्कृति को दिखाया गया है। नाटक में लोक संगीत, लोक वेशभूषा तथा हरियाणवी लहजे से नाटक दर्शकों ने खूब पसंद किया।

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