Jind News : गुरु नानक देवजी के ज्योतिजोत पर्व श्रद्धा से मनाया

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Guru Nanak Devji's Jyotijot festival celebrated with devotion
गुरूबाणी का श्रवण करते हुए श्रद्धालु।
  • रागी जत्थों ने अपनी वाणी में गुरू नानक देव जी के उपदेशों का किया बखान
    आज समाज नेटवर्क

(Jind News) जींद। श्री गुरु ग्रंथ साहिब की छत्र छाया में दशमी एवं गुरु नानक देवजी के  ज्योतिजोत पर्व को समर्पित बाबा सोमा शाह एवं भाई जीवन शाह सिंह की याद में झांझ गेट बख्शी मोहहले में स्थित डेरा बाबा सोमा शाह के तत्वावधान में बड़ी श्रद्धा एवं उल्लास से मनाया गया।

डेरा साहिब में श्री गुरु ग्रंथ साहिब जी के अखंड पाठ प्रारंभ किए गए

गुरुघर के प्रवक्ता बलविंदर सिंह ने बताया कि 25 सितंबर से 27 सितंबर तक चले धार्मिक समागम की खुशी में बुधवार को प्रात: डेरा साहिब में श्री गुरु ग्रंथ साहिब जी के अखंड पाठ प्रारंभ किए गए थे।  गुरु नानक के ज्योतिजोत एवं दशमी के उपलक्ष में चले धार्मिक आयोजन में 26 सितंबर वीरवार को डेरे में सुबह नौ बजे से 12 बजे तक एवं सायं सात बजे से रात्रि दो बजे तक कीर्तन दरबार सजाए गए।

समागम के अंतिम दिन शुक्रवार को सबसे पहले श्री गुरु ग्रंथ साहब जी के रखे गए अखंड पाठ का भोग डाला गया। उसके उपरांत दस बजे से दो बजे तक विशेष कीर्तन दीवान सजाया गया। तीन दिन तक हुए इस धार्मिक आयोजन में बाहर से आए हुए रागी विद्वान भाई हरजोत सिंह जख्मी जालंधर वाले एवं भाई गुरमीत सिंह शांत जालंधर वालों व स्थानीय ऐतिहासिक गुरुद्वारा गुरु तेग बहादुर साहिब के रागी भाई जसबीर सिंह रमदसिया के रागी जत्थे ने गुरबाणी गायन करके तथा प्रसिद्ध कथा वाचक भाई जसवंत सिंह परवाना एवं भाई किशन सिंह अमृतसर वाले अपने कथा प्रवचनों द्वारा संगतों को श्री गुरु ग्रंथ साहिब जी की महिमा का व्याख्यान सुना कर संगतों को निहाल किया।

रागी जत्थों ने अपनी वाणी में बताया कि गुरू नानक देवजी ने एकेश्वरवाद पर जोर दिया और यह सिखाया कि सारी मानवता एक ही शक्ति के द्वारा जुड़ी हुई है। इसके लिए उन्होंने एक ओंकार की अवधारणा दी। जिसका अर्थ है कि ईश्वर एक है। गुरू नानक देव जी ने जाति, पंथ और लिंग के आधार पर भेदभाव का पुरजोर विरोध किया और इस बात पर जोर दिया कि ईश्वर की नजर में सब समान हैं।

गुरूघर के प्रवक्ता बलविंद्र सिंह ने कहा कि गुरू नानक देव जी की तीन बड़ी शिक्षाएं हैं, जो खुशहाली से जीवन जीने का मंत्र देती हैं। इनमें नाम जपो, किरत करो, वंड छको। यह सीखें कर्म से जुड़ी हें और कर्म में श्रेष्ठता लाने की और ले जाती हैं। गुरूनानक देव जी ने निस्वार्थता और दूसरों की मदद को अध्यात्मिक विकास के लिए महत्वपूर्ण बताया। उन्होंने ईश्वर के सभी के प्रति प्रेम और करूणा पर जोर दिया।

यह शिक्षा वंड छको (जरूरतमंदों) के साथ बांटना) के सिद्धांत में निहित है। गुरू नानक देव जी ने उपदेश दिया कि हमें दूसरों के साथ मिल बांट कर खाना चाहिए और मिल कर एकता के साथ रहना चाहिए। इस अवसर पर तीन दिन लगातार गुरु का अट्टू लंगर भी संगतों में बरताया गया। इस अवसर पर वर्तमान गद्दीनशीन भाई महेंद्र शाह सिंह, राजकुमार, परमजीत सेठी सहित अनेक श्रद्धालु मौजूद रहे।

 

 

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