Jind News : बारिश कम होने से धान की फसल बनी किसानों के लिए घाटे का सौदा

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Due to less rain, paddy crop has become a loss deal for farmers
बारिश नहीं होने से धान के खेत में नजर आने लगी दरार।
  • फसल बचाने के लिए किसानों को बार-बार स्प्रे करने व खाद डालने को मजबूर
  • बारिश कम होने से जैविक खाद बनने में हो रही देरी

(Jind News) जींद। इस बार बारिश कम होने के चलते धान की फसल को नुकसान हो रहा है। फसल की रोपाई से लेकर अब तक किसानों की उम्मीद के अनुरूप बारिश नहीं हुई है। किसानों द्वारा प्री मानूसन में धान की अगेती रोपाई की गई थी। पछेती धान की जो रोपाई किसानों ने की थी वो खराब हो रही है। किसानों को जो अरमान इस बार अच्छी पैदावर के थे उन पर पानी बारिश नहीं होने के कारण फिर गया है। पहले किसानों ने धान की प्योद बारिश कम होने के चलते कई बार तैयार करनी पड़ी। किसानों को धान की प्योद तैयार करने में खर्च अधिक हुआ। मानसून की बेरूखी के चलते किसानों द्वारा महंगा डीजल फूंक कर धान की रोपाई की गई। किसान बलजीत, बलबीर, मनोज ने कहा कि बारिश नहीं होने से जो धान की जड़ काली होने लगी है। जिसस कारण से धान के पत्ते पीले होने लगे है। जिसके कारण जड़ों के कीड़ा लगने लगा है। धान की फसल ऐसे में खराब होने लगी है। फसल को बचाने के लिए किसानों को बार-बार स्प्रे करने के साथ-साथ खाद भी डालनी पड़ रही है। इतना करने के बाद भी धान की फसल खराब हो रही है। बिना पानी के धान के खेतों में दरार पडऩे लगी है। अब किसानों को बारिश से ही आस है। खेतों में जो फसल है वो सूख रही है बारिश होने पर फसल को फायदा होगा।

बारिश कम होने से जैविक खाद बनने में हो रही है देरी

केंचुआ खाद की खेती करने वाले के लिए बारिश नहीं होना मुश्किले बढ़ रही है। खेड़ी मंसानिया गांव में केंचुआ खाद की खेती करने वाले संदीप श्योकंद ने बताया कि जून, जुलाई में बारिश होती तो अब तक 50 प्रतिशत जैविक खाद तैयार हो जाता लेकिन इस बार समय पर बारिश नहीं होने के चलते अभी तक जो केंचुए को अपने अनुसार तापमान नहीं मिल रहा। ऐसे में खाद बनाने की प्रक्रिया बंद हो चुकी है। संदीप श्योकंद ने बताया कि इस बार कम बारिश होने से खाद भी तैयार नहीं हो पा रहा है। केंचुआ खाद की खेती पूरी तरह से बारिश पर आधारित है। समय पर बारिश हो तो केंचुआ खाद तैयार हो जाती है। जिस समय जैविक खाद बैड (वर्मिंग कमपोस्ट बैड) में केंचुआ डाला जाता है तो उसे   गोबर के अंदर का तापमान है वो बारिश के कारण संतुलित होता है। इस बार वह तापमान केंचुआ के अनुरूप नहीं बन रहा है। ऐसे में जैविक खाद तैयार होने में एक महीना की देरी हो रही है।

 

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