Jind News : आज मनाई जाएगी देवशयनी एकादशी : पं.सत्यनारायण शांडिल्य

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Devshayani Ekadashi will be celebrated today: Pt. Satyanarayan Shandilya
पं. सत्यनारायण शांडिल्य।

(Jind News) जींद। देवशयनी एकादशी के दिन भगवान विष्णु, चार महीनों के लिए निद्रा अवस्था में चले जाते हैं। इन चार महीनों की अवधि को चातुर्मास के नाम से भी जाना जाता है। चातुर्मास की शुरुआत भी देवशयनी एकादशी के दिन से ही होती है। आषाढ़ मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को देवशयनी एकादशी मनाई जाती है। इस बार देवशयनी एकादशी 17 जुलाई को मनाई जाएगी। मान्यता है कि देवशयनी एकादशी से चार महीनों के लिए सभी मांगलिक कार्य बंद हो जाते हैं। शहर के प्राचीन राधा-कृष्ण मंदिर पुजारी पं. सत्यनारायण शांडिल्य ने कहा कि बताया कि हिंदू पंचांग के अनुसार आषाढ़ शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि 16 जुलाई की रात्रि 8 बजजकर 33 मिनट से शुरू हो रही है, इसका समापन 17 जुलाई रात्रि 9 बजकर 2 मिनट पर होगा। एकादशी व्रत का पारण उदया तिथि के अनुसार किया जाता है। ऐसे में देवशयनी एकादशी व्रत 17 जुलाई को रखा जाएगा। 18 जुलाई को एकादशी व्रत का पारण किया जाएगा। वैदिक पंचांग अनुसार इस बार देवशयनी एकादशी पर शुभ और शुक्ल योगों का निर्माण हो रहा है। साथ ही इस दिन सर्वार्थ सिद्धि योग और अमृत सिद्धि योग भी बन रहे हैं। शुभ योग सुबह 7 बजकर 5 मिनट तक रहेगा और इसके बाद शुक्ल योग शुरू हो जाएगा। सर्वार्थ सिद्धि योग और अमृत सिद्धि योग सुबह 5 बजकर 32 मिनट से शुरू हो रहे हैं जो कि पूर्ण रात्रि तक रहेंगे।

उन्होंने बताया कि धर्म ग्रंथों मे देवशयनी एकादशी के महत्व को विस्तार से बताया गया है। शास्त्रों के अनुसार, इसी दिन से भगवान विष्णु चार माह के लिए विश्राम के लिए चले जाते हैं और इन चार महीनों में सभी प्रकार के मांगलिक कार्य, विवाह, मुंडन, उपनयन संस्कार, गृह प्रवेश इत्यादि नहीं किए जाते हैं। मान्यता है कि देवशयनी एकादशी व्रत के दिन, भगवान विष्णु की उपासना करने से सुख, समृद्धि और ऐश्वर्य की प्राप्ति होती है और व्यक्ति के सभी पाप नष्ट हो जाते हैं। मान्यता यह भी है कि देवशयनी एकादशी व्रत का पालन करने तथा दान-पुण्य करने से मृत्यु के उपरांत मोक्ष की प्राप्ति भी होती है। शांडिल्य ने बताया कि ब्रह्मवैवर्त पुराण में देवशयनी एकादशी के विशेष माहात्म्य का वर्णन किया गया है। हिंदू धर्म में 24 एकादशी मनाई जाती हैं लेकिन देवशयनी एकादशी का एक विशेष स्थान भक्तों के हृदय में है। इस दिन वे भगवान विष्णु का पूर्ण निष्ठा से पूजन करते हैं और उनके शयन से उठने की अगले चार महीनों तक प्रतीक्षा करते हैं और फिर देवउठनी एकादशी को बड़े ही उत्साह के साथ मनाते हैं। इस व्रत से भक्त की समस्त मनोकामनाए पूर्ण होती हैं और साथ ही सारे पाप भी नष्ट हो जाते हैं। माना जाता है कि यदि  चातुर्मास का पालन विधिपूर्वक करे तो उसे महाफल की प्राप्ति भी होती है।

 

 

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