• आरटीए की कार्रवाई के खिलाफ  की नारेबाजी

(Jind News) जींद। आरटीए के चालान करने के विरोध में वीरवार को प्रदेशभर के तूड़ा कारोबारी जींद में एकजुट हुए। उन्होंने आरटीए की कार्रवाई के खिलाफ रोष प्रकट किया। इसके बाद तूड़ा कारोबारी डीसी से मिलने लघु सचिवालय पहुंचे। उन्होंने डीसी मोहम्मद इमरान रजा से गुहार लगाई कि उनकी गाडिय़ों के आरटीए की टीम द्वारा लगातार किए जा रहे चालान पर रोक लगाई जाए। इससे उनको भारी नुकसान हो रहा है।

इसके अलावा जैसे कोरोनाकाल में उनकी गाडिय़ों को बिना रोक-टोक के चलाया जाता था। ऐसे ही अब भी उनकी गाडिय़ों को बिना रोक-टोक के चलाया जाए। इस पर डीसी मोहम्मद इमरान रजा ने आश्वासन दिया कि उनकी मांग पर उचित कार्रवाई की जाएगी। इस आश्वासन के बाद तूड़ा कारोबारी लौट गए।

नरवाना रोड बाईपास पर अपनी गाडिय़ां खड़ी कर आरटीए टीम की कार्रवाई पर रोष प्रकट किया

वीरवार को झज्जर, जींद, हांसी, हिसार समेत कई जिलों के तूड़ा कारोबारी अपनी-अपनी गाडिय़ों को लेकर जींद पहुंचे। उन्होंने नरवाना रोड बाईपास पर अपनी गाडिय़ां खड़ी कर आरटीए टीम की कार्रवाई पर रोष प्रकट किया। तूड़ा कारोबारियों का कहना था कि चालान के नाम पर आरटीए टीम उनको बार-बार परेशान कर रही है। उनकी गाडिय़ों को ओवरलोड बताकर उनके 30 से 50 हजार तक के चालान किए जा रहे हैं।

इससे उनको नुकसान हो रहा है। इस बार तूड़े के भाव कम होने पर पहले ही उनको नुकसान उठाना पड़ रहा है लेकिन आरटीए की टीम उनकी गाडिय़ों के चालान कर उन पर दोहरी मार कर रही है। वे तूड़े को अवैध तरीके से बेचने के नहीं जाते बल्कि वह तूड़े को गोशालाओं में डालने के लिए जाते हैं लेकिन बीच रास्ते आरटीए द्वारा भारी भरकम चालान किए जाने से उनको आर्थिक रूप से भारी नुकसान हो होता है।

तूड़े में अब हो रहा जीवन यापन मुश्किल

सुखबीर हांसी, बिल्लू खटकड़, सुखविंद्र जींद, विक्रम हांसी ने कहा कि तूड़े के कारोबार में अब बचत नही हो पाती। अब तूड़े के कारोबार के सहारे जीवन यापन करना मुश्किल हो गया है। आरटीए की टीम के चालान से हर जिले के कारोबारी परेशान है। उनका आरोप है कि आरटीए की टीम कभी ओवरलोड होने का कारण बताया जाता है तो कभी गाड़ी की चौड़ाई ज्यादा होने के कारण जाम लगने का कारण बता कर उनकी गाड़ी का चालान कर दिया जाता है।

उनके द्वारा बार-बार मिन्नतें करने के बाद भी उनकी कोई सुनवाई नहीं हो पाती। ऐसे में आरटीए टीम अपनी मनमानी कर गाडिय़ों के चालान कर देती है। तूड़ा कारोबारियों का कहना था कि उनकी गाडिय़ों को कोरोनाकाल की तरह चलवाई जाए। कोरोनाकाल में उनकी गाडिय़ों को बिना रोक-टोक के चलाया जाता था।

उस समय संबंधित पुलिस थाना प्रभारी कागज पर अपने थाने की मोहर लगाकर उन्हें दे देते थे, जिसके बाद उन्हें तूड़े की गाडिय़ों को गोशाला तक ले जाने में कोई परेशानी नहीं होती थी लेकिन अब आरटीए द्वारा हर चक्कर में उनकी गाड़ी का चालान कर दिया जाता है।

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