Jind News : 1975 में नागरिक अस्पताल की शुरूआत, आजतक भी चिकित्सकों के पद नही हुए पूरे

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Civil hospital was started in 1975, even today the number of doctors has not been filled
अस्पताल में ओपीडी के लिए लगी लाइन।

(Jind News) जींद। जिला मुख्यालय पर 1975 में नागरिक अस्पताल की शुरूआत हुई थी। उस समय से लेकर आजतक जिले में चिकित्सकों की कमी कभी भी दूर नहीं हुई। जींद अस्पताल की बात की जाए तो यहां 55 चिकित्सकों की आवश्यकता है लेकिन इस समय केवल 19 मेडिकल ऑफिसर (एमओ) काम कर रहे हैं। इसके अलावा एक पीएमओ, पांच एसएमओ लेवल के अधिकारी कार्यरत हैं। दो आरबीएसके के तहत चिकित्सक व अन्य फिल्ड में कार्यरत हैं। जिन्हें समय-समय पर रोटेशन के हिसाब से नागरिक अस्पताल में बुला कर ओपीडी करवाई जाती है। गौरतलब है कि राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग द्वारा जिला मुख्यालय स्थित नागरिक अस्पताल की व्यवस्थाओं पर संज्ञान लेते हुए हरियाणा सरकार के मुख्य सचिव को नोटिस जारी कर जवाब-तलबी की है। हालांकि अस्पताल प्रशासन को अभी तक नोटिस नही मिला है, बावजूद इसके अस्पताल प्रशासन जितना है उससे भी बेहतर देने के दावे कर रहा है। अस्पताल प्रशासन का कहना है कि समय-समय पर उच्च अधिकारियों को स्पेशलिस्ट चिकित्सकों की कमी, स्पेशलिस्ट, साजोसामान के बारे में अवगत करवाया जाता है। बावजूद इसके जितने भी चिकित्सक अस्पताल को उपलब्ध हैं, उनसे व्यवस्था बनाने का काम किया जाता है।

200 बैड का अस्पताल, स्पेशलिस्ट चिकित्सकों की कमी

जिला मुख्यालय पर 200 बैड का अस्पताल बना हुआ है। वहीं, सफीदों, नरवाना तथा उचाना सब डिविजन पर 100-100 बैड के अस्पताल हैं। उधर, जुलाना, पिल्लूखेडा, अलेवा, उझाना समेत आठ स्थानों पर सीएचसी बनाई गई है। वहीं जिले में 26 पीएचसी बनाई गई हैं और 185 हैल्थ सैंटर बनाए गए है। जिन पर लोगों को नजदीक स्वास्थय सेवा उपलब्ध करवाने का जिम्मा है। स्पेशलिस्ट चिकित्सकों व अन्य की कमी को लेकर स्वत: अंदाजा लगाया जा सकता है कि बिना चिकित्सकों के मरीजों को कैसे स्वास्थ्य सुविधाएं मिलें।

15 साल से रेडियोलॉजिस्ट का पद खाली

नागरिक अस्पताल में पिछले 16 साल से किसी भी रेडियोलॉजिस्ट की नियुक्ति नहीं हुई है। बिना रेडियोलॉजिस्ट के कारण जिले के लोगों को निजी अस्पतालों में महंगी फीस पर अल्ट्रासाउंड करवाने पड़ रहे हैं। वहीं आई सर्जन डा. गितांशु, डा. पूनम कैजुअल्टी व डा. सीमा वशिष्ठ जा चुके हैं। वहीं लैब में भी 14 पद स्वीकृत हैं जबकि केवल सात चिकित्सक ही काम कर रहे हैं।

कभी वीआईपी डयूटी तो कभी कैंप बढा देते हैं परेशानी

चिकित्सकों की कमी के कारण स्वास्थ्य सेवाएं प्रभावित होना लाजमी है।
इसके अलावा कभी वीआईपी डयूटी तो कहीं कोई स्वास्थ्य कैंप तो कभी दिव्यांग कैंप के लिए चिकित्सकों को जाना पड़ता है। जिससे अस्पताल में आने वाले मरीजों को परेशानी होती है। मरीजों व उनके तिमारदारों को पता ही नही चल पाता है कि अस्पताल में उनके उपचार से संबंधित चिकित्सक है या नही। नागरिक अस्पताल में ओपीडी की बात की जाए तो प्रतिदिन 1600 तक की ओपीडी होती है। सोमवार व मंगलवार को ओपीडी की संख्या 1800 से दो हजार तक पहुंच जाती है। ऐसे में सुबह होते ही चिकित्सकों के कमरे के आगे मरीजों की लाइन लग जाती है। रोजाना सैंकड़ों मरीज इलाज के लिए दूर-दूर के गांवों से सिविल अस्पताल पहुंचते हैं लेकिन डॉक्टरों की कमी से मरीजों को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है।

चिकित्सकों की कमी के बावजूद बेहतरीन सुविधाएं दे रहे : डॉ . गोपाल

सिविल सर्जन डा. गोपाल ने बताया कि विशेषज्ञों व चिकित्सकों की कमी के बावजूद भी जितनी सुविधाएं उपलब्ध हैं, उनके माध्यम से चिकित्सकों द्वारा अस्पताल में उपचार की बेहतर सुविधाएं देने का प्रयास किया जाता है। स्वास्थ्य निदेशालय से समय-समय पर चिकित्सकों तथा अन्य कर्मचारियों की मांग की जाती है।

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