- अध्यादेश जारी कर सुर्पीम कोर्ट के निर्णय को निरस्त करने की मांग
- एससी-एसटी आरक्षण में वर्गीकरण को बता असंवैधानिक निर्णय
(Jind News) जींद। एससी-एसटी में वर्गीकृत आरक्षण के विरोध में बुधवार को बहुजन समाज के आह्वान पर जिलेभर में प्रदर्शन कर विरोध प्रकट किया गया। लोगों ने वर्गीकृत आरक्षण को अध्यादेश ला कर रद्द करने से संबंधित राष्ट्रपति को संबोधित ज्ञापन एसडीएम विरेंद्र सिंह सहरावत को सांैपा। भारत बंद के आह्वान तथा विरोध प्रदर्शन को देखते हुए पुलिसबल को तैनात किया गया था। एससी-एसटी आरक्षण में वर्गीकरण के विरोध में एससी समाज के आह्वान पर विभिन्न संगठनों के लोग बुधवार को रानी तालाब पर बाबा भीमराव अंबेडकर की प्रतिमा के साथ पार्क में एकजुट हुए। अधिवक्ता देशराज सरोहा सहित अन्य व्यक्ताओं ने कहा कि एक अगस्त को सुर्पीम कोर्ट के एससी-एसटी आरक्षण में वर्गीकरण करने के फैसले से करोडों लोगों के संवैधानिक अधिकार खतरे में पड़ गया है।
संवैधानिक रूप से सामाजिक तथा शैक्षणिक रूप से पिछड़ेपन के लिए प्रतिनिधितत्व देने की व्यवस्था दी गई है न कि आर्थिक आधार पर। सुप्रीम कोर्ट ने इन वर्गों को आरक्षण में क्रिमिलेयर लगाने तथा उपवर्ग करने का अधिकार राज्य सरकारों को दिया है। जबकि किसी जाति तथा उपजाति को एससी एसटी के दायरे में लाने का अधिकार राष्ट्रपति तथा केंद्र सरकार को दिया गया है। सुर्पीम कोर्ट का निर्णय एससी, एसटी के संवैधानिक अधिकारों के खिलाफ है। उन्होंने कहा कि आजादी के 75 साल बाद भी एससी-एसटी के साथ अत्याचार होता रहा है। काफी संख्या में बैकलॉग के पद खाली पड़े हैं। एससी-एसटी को भी वर्गीकरण के आधार पर बाटने की कोशिश की गई है। उन्होंने कहा कि सुर्पीम कोर्ट के फैसले को रद्द करने के लिए अध्यादेश जारी किया जाए। संसद का विशेष सत्र बुला कर बिल पास कर आरक्षण विषय को संविधान की नौंवी अनुसूची में डाला जाए। जिसके बाद गोहाना रोड पर लघुसचिवालय तक विरोध प्रदर्शन किया और सरकार के खिलाफ जमकर नारेबाजी की। जिसके बाद लोगों ने मांगों से संबंधित राष्ट्रपति को संबोधित ज्ञापन एसडीएम को सौंपा। विरोध प्रदर्शन को देखते हुए गोहाना रोड को वन वे कर दिया। इस दौरान भारी संख्या में पुलिसबल भी मौजूद रहा।
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