- जींद आबोहवा हुई जहरीली
(Jind News) जींद। दीपावली पर्व के बाद से जींद की आबोहवा जहरीली होती जा रही है। दीपावली के बाद से जींद का एक्यूआई 300 से ऊपर चल रहा है जो बहुत बुरी स्थिति में माना जाता है। 301-400 वैरी पूअर (लंबे समय तक एक्सपोजर पर सांस की बीमारी होने का खतरा) की श्रेणी में आता है। ऐसे में अब आमजन सरकार तथा प्रशासन की तरफ राहत की उम्मीद लगाए देख रहा है।
जगह-जगह लगाई जा रही आग पर रोक लगाने, सड़क किनारे वृक्षों पर पानी का छिड़काव करवाने, चल रहे निर्माण कार्यों की साइटों पर भी समय-समय पर पानी का छिड़काव करवाए जाने की मांग उठने लगी है ताकि धूल कण हवा में न उड़ सकें और पर्यावरण प्रदूषित न हो। रविवार को अधिकतम एक्यूआई 417 तक दर्ज किया गया। वहीं रविवार को फसल अवशेष जलाने के मामले में कृषि विभाग के सुपरवाइजर की शिकायत पर दो किसानों के खिलाफ एफआईआर भी दर्ज की गई है। दीवाली के बाद जींद की आबोहवा जहरीली हो गई है।
तीन दिन से एयर क्वालिटी इंडेक्स (एक्यूआई) ओस्त तौर पर 500 तक पहुंच गया
फसल अवशेष जलने और दीवाली पर पटाखों के जहरीले धुएं की वजह से आंखों में जलन महसूस होने लगी है। वहीं बच्चों और वृद्धों को सांस लेने में परेशानी होने लगी है। तीन दिन से एयर क्वालिटी इंडेक्स (एक्यूआई) ओस्त तौर पर 500 तक पहुंच गया है। जिले में अक्टूबर महीने के अंत तक एक्यूआई अधिकतम 407 तक रहा लेकिन नवंबर के पहले दो दिनों में ही एक्यूआइ 500 तक पहुंच गया। यह स्वास्थ्य के लिए बेहद खतरनाक माना जाता है। नागरिक अस्पताल के डिप्टी सिविल सर्जन डा. राजेश भोला ने बताया कि इस समय पर्यावरण प्रदूषित होने से स्वास्थ्य संबंधि समस्याएं बढ़ गई हैं। यह मौसम एलर्जी, सांस व छोटे बच्चों के लिए खतरनाक है।
प्रदूषण बढऩे से सांस, दमा, एलर्जी के मरीजों की परेशानियां बढ़ जाती हैं। ऐसे में एलर्जी मरीजों को इस दौरान बाहर बेहद कम निकलना चाहिए। बाहर निकलते हुए मास्क का प्रयोग करना चाहिए। हो सके तो सुबह की सैर को भी कुछ समय के लिए रोक दिया जाए और घर पर रहकर ही हलका व्यायाम किया जाए। प्रदूषण बढऩे के कारण रविवार को वातावरण में स्मॉग भी छाया रहा। स्मॉग से जहां सांस लेने में दिक्कत हुई वहीं आंखों में भी जलन रही। सुबह के समय जिन दोपहिया वाहन चालकों ने हैलमेट नही पहन रखा था, उनकी आंखों से पानी रूकने का नाम ही नही ले रहा था। गौरतलब है कि दीपावली पर वीरवार व शुक्रवार को रात भर जमकर आतिशबाजी हुई। इसका असर यह हुआ कि शनिवार और रविवार को स्मॉग देखने को मिला।
वहीं पिछले एक महीने से जिला में फसल अवशेष जलाने के मामले लगातार सामने आ रहे हैं। इस कारण एक्यूआई का स्तर ऊपर जा रहा है। शनिवार को एक्यूआई 500 तक पहुंच गया था तो रविवार को यह 417 तक पहुंचा। प्रदूषण का यह स्तर सांस के रोगियों और बच्चों.बुजुर्गों के लिए बेहद खतरनाक है। चिकित्सकों की मानें तो लंबे समय तक प्रदूषण में रहने से सांस की बीमारियां बढऩे का खतरा बढ़ जाता है। वहीं आंखों में लगातार प्रदूषण के कण जाने से जलन बढ़ जाती है। विशेष दमा के मरीजों को इस मौसम से नुकसान होता है।
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