धरने को संबोधित करते हुए प्रदेश कोषाध्यक्ष राजबाला ने बताया कि 2018 के आंदोलन में मुख्यमंत्री ने उनकी कई मांगों के बारे में सहमति दी थी। जिसमें श्रमिक का दर्जा देने, प्रत्येक छह माह में मंहगाई भत्ता देने, ई-एमएस फंड, बीमा देने जैसी कई महत्वपूर्ण मांगें मानी गई थी लेकिन आजतक सरकार ने समझौते में मानी गई मांगों को पूरा नही किया है। परियोजना में काम कर रही वर्कर और हैल्परों को आंगनवाड़ी सेंटर चलाने में कठिनाई हो रही है। यहां तक कि केंद्रों का किराया, राशन पकाने के लिए ईंधन तथा फोन का रिचार्ज तक खुद अपनी जेब से अदा कर रही हैं। इस तरह परियोजना को
चलाने का सारा बोझ आंगनवाड़ी वर्करों के कंधे पर ही डाल दिया गया है। जोकि असहनीय है। अगर फिर भी सरकार और विभागीय अधिकारी नही मानते हैं तो आगामी आंदोलन का फैसला लिया जाएगा। धरने का संचालन जिला सचिव दयावंती ने किया। इस मौके पर अंगुरी, सुशीला, उर्मिला, अनीता, खजानी, निर्मला, बिमला, सुदेश, सुमन, शीला, सुनील, सुदेश, लक्ष्मी, सुनीता, कमला, संगीता, कृष्णा, भूला आदि ने विचार व्यक्त किए।
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