- किसान धान फसल की कटाई एसएमएस लगी कंबाइनों से करवाएं
- किसान खेतों में फानों को नहीं जलाएं बल्कि फानों को बनाएं आय का साधन : डीसी
(Jind News ) जींद। जिला में किसी भी सूरत में खेतों में पराली न जलने पाए, इसे लेकर प्रशासन ने कमर कस ली है। जिला जिला के 13 गांव पराली जलाने को लेकर रेड जोन में हैं, जिस पर विशेष नजर रखी जा रही है। बुधवार को उपायुक्त मोहम्मद इमरान रजा ने फसल अवशेष प्रबंधन कों लेकर अधिकारियों के साथ बैठक की और सभी किसानों से आग्रह किया है कि धान के अवशेषों को न जलाएं। इससे हमारा वातावरण दूषित होता है अपितु उसका प्रबंधन करें। किसान या तो धान अवशेषों को मशीनरी की सहायता से मिट्टी में मिश्रित कर दें अथवा स्ट्रा बेलर से पराली की बेल बनवा लें।
किसान धान फसल की कटाई एसएमएस लगी कंबाइनों से करवाएं
किसान धान फसल की कटाई एसएमएस लगी कंबाइनों से अनिवार्य करवाएं ताकि पराली प्रबंधन आसानी से किया जा सके। इसके अलावा नंबरदारों ग्राम सचिवों से मिल कर गांवों में जागरूकता कार्यक्रमों के माध्यम से ग्रामीणों को पराली न जलाने के बारे में प्रेरित करें।
जिला के रेड जोन में मौजूद 13 गांवों पर रहेगी विशेष नजर
कृषि उपनिदेशक सुरेन्द्र सिंह ने बताया कि जिला के जो 13 गांव रेड जोन में है उन पर विशेष ध्यान दिया जाएगा। जिनमें गांव अलेवा, श्रीरागखेड़ा, दनौदाकलां, धमतान साहिब, उझाना, रसीदां, जयपुर, मुआना, अलिपुरा, बडनपुर, करसिंधु शामिल है। उन्होंने बताया कि फसल कटाई के सीजन के दौरान प्रतिवर्ष किसानों द्वारा फसल अवशेष जलाने से वातावरण में प्रदूषण की मात्रा बढ़ जाती है, जिससे जहां एक तरफ भूमि बंजर होती है वहीं वायु प्रदूषण से मानव जीवन व जीव जंतुओं पर भी संकट मंडराने लगता है।
अवशेषों को जलाने से हवा जहरीली होती है : रजा
डीसी मोहम्मद इमरान रजा कहा कि धान के अवशेषों को जलाने से हवा दूषित होती है और ये दूषित हवा हमारे ही नहीं बल्कि हमारी आने वाली पीढिय़ों के लिए भी खतरनाक है। आज आप जों कुछ भी प्रकृति कों दोगे वो दोगुना करके आपको वापस लौटाएगी और ये आप पर निर्भर करता है कि आप उसे क्या दे रहें हैं। उन्होंने कहा कि फसल अवशेष जलाने से भूमि की उपजाऊ शक्ति कम होती है। भूमि की उपरी सतह पर उपस्थित लाभदायक जीवाणु नष्ट हों जाते है। इसके साथ साथ हानिकारक गैसों का उत्सर्जन होता है।
जिससे पर्यावरण दूषित होता है तथा मनुष्य के स्वास्थ्य पर कुप्रभाव पड़ता है। फसल अवशेषों में आग लगाने से हवा में प्रदूषण के छोटे-छोटे कणों से पीएम 2.5 का स्तर अत्यधिक बढ़ जाता है और सांस लेने में तकलीफ होती है। सांस के रोगियों के लिए यह प्रदूषण और भी अधिक नुकसानदायक है। इसके अलावा कृषि विभागए ग्राम सचिव तथा पटवारियों की ग्राम स्तर पर टीमें बनाई जाएं जो कि किसानों को फसल अवशेष नही जलाने तथा पराली प्रबंधन के फायदों के बारे में जागरूक करेंगे।
बैठक में नरवाना के एसडीएम दलजीत सिंह, जुलाना के एसडीएम अनिल कुमार दून, सफीदों के एसडीएम मनीष कुमार फौगाट वीडियो कान्फ्रेंस के माध्यम से जुड़े रहे। इसके अलावा जिला राजस्व अधिकारी राजकुमार, जिला विकास एवं पंचायत अधिकारी संदीप भारद्वाज, एएई विजय कुंडू, एसडीओ बलजीत सिंह व संबंधित अधिकारी उपस्थित रहे।
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