Jind News : शुद्ध जल, भोजन व हवा बचाने के लिए प्राकृतिक खेती को अपनाएं और युवा पीढ़ी को बीमारियों से बचाएं : आचार्य देवव्रत

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Jind News : शुद्ध जल, भोजन व हवा बचाने के लिए प्राकृतिक खेती को अपनाएं और युवा पीढ़ी को बीमारियों से बचाएं : आचार्य देवव्रत
  • प्राकृतिक कृषि संवाद कार्यक्रम में गुजरात के राज्यपाल आचार्य देवव्रत ने किसानों को किया संबोधित
  • बोले-गवर्नर बाद में,  किसान पहले, विकसित किसान तो विकसित भारत
  • प्राकृतिक खेती अपनाने वाले 10 प्रगतिशील किसानों को भी सम्मानित किया

Jind News | जींद। गुजरात के राज्यपाल आचार्य देवव्रत ने कहा कि आज हम उत्पादन बढ़ाने के लिए खेतों में अंधाधुंध खाद व कीटनाशकों का प्रयोग कर रहे हैं। इससे जमीन की उर्वरा शक्ति कम होने के साथ-साथ कैंसर, शुगर व हार्ट अटैक जैसी समस्याएं बढ़ती जा रही है। ऐसे में अगर हमें भावी पीढियों को शुद्ध जलए भोजन व हवा उपलब्ध करवानी है तो प्राकृतिक खेती को अपनाना होगा।

गुजरात के महामहिम राज्यपाल आचार्य देवव्रत सोमवार को श्री श्याम गार्डन परिसर में आयोजित प्राकृतिक कृषि संवाद कार्यक्रम में दीप प्रज्जवलन करने उपरांत किसानों से संवाद करते हुए दी। जींद पहुंचने पर महामहिम राज्यपाल को पुलिस विभाग की टुकड़ी द्वारा गार्ड ऑफ  ऑनर दिया गया।

महामहिम राज्यपाल आचार्य देवव्रत ने किसानों को संबोधित करते हुए कहा कि केंद्र सरकार प्राकृतिक कृषि को बढ़ावा देने के लिए पूरे देश में संवाद कार्यक्रम आयोजित कर रही है और इसी कड़ी में आज हरियाणा के किसानों के बीच आकर मुझे बहुत अच्छा लग रहा है। राज्यपाल ने कहा कि किसानों को लगता है कि प्राकृतिक खेती से नुकसान होगा लेकिन ऐसा नहीं है। आज हरियाणा के काफी किसान प्राकृतिक खेती कर रहे हैं और उनको इसका लाभ भी हो रहा है।

उन्होंने कहा कि जहां रासायनिक खादों व कीटनाशकों का प्रयोग ज्यादा होता है, वहां कैंसर के तीन गुना ज्यादा मामले हैं। महामहिम राज्यपाल ने कहा कि 1960 के दशक में हमारे देश में हरित क्रांति की शुरुआत हुई थी। उस समय हमारे देश में अकाल के कारण भूखमरी व्याप्त थीए ऐसे में स्वामीनाथन जी ने नाइट्रोजन खाद को एक हेक्टेयर में मात्र 13 किलो प्रयोग करने की सलाह दी थी।

उस समय हमारी मिट्टी में जीवांश का स्तर (उपजाउ क्षमता) 2.5 प्रतिशत थी लेकिन आज की हमारी भूमि की उपजाऊ क्षमता प्रति एकड़ 10 से 13 कट्टे यूरिया व डीएपी के प्रयोग के कारण घट कर 0.4 प्रतिशत रह गई है। उपस्थित किसानों को आगाह करते हुए राज्यपाल ने कहा कि आज हम उत्पादन के नाम पर जहर खा रहे हैं। ऐसी स्थिति में भावी पीढिय़ों के संरक्षण व अच्छे स्वास्थ्य के लिए हमें प्राकृतिक खेती को अपनाना होगा।

उन्होंने प्राकृतिक खेती के लिए तैयार होने वाले जीवामृत को तैयार करने की विधि भी बताई। उन्होंने बताया कि इसे तैयार करने में भारतीय नस्ल की देसी गाय का गोबर, गोमूत्र, बेसन,  गुड़, पानी, पेड़ के आसपास की मिट्टी ही प्रयोग होती है। उन्होंने कहा कि इस जीवामृत के प्रयोग से धरती आसमान से ही नाइट्रोजन प्राप्त करती है और खतरनाक केमिकल भी हमारे शरीर के अंदर नहीं जाते।

प्राकृतिक खेती का लाभ बताते हुए उन्होंने कहा कि जब धरती में सूक्ष्म जीवाणु बनेंगे तो पैदावार भी बढ़ेगी। उन्होंने उदाहरण देते हुए बताया कि पिछले वर्ष कुरूक्षेत्र में अत्यधिक बरसात के कारण जहां किसानों के खेत लबालब पानी से भरे हुए थे व उनकी फसलों को नुकसान हुआ था, वहीं कुरूक्षेत्र गुरूकुल की भूमि जहां वे पिछले आठ सालों से प्राकृतिक खेती कर रहे हैए उस जमीन पर पानी स्वत: नीचे चला गया।

इसी प्रकार उन्होंने एक अन्य उदाहरण देते हुए बताया कि गुरूकुल में छात्रों की संख्या बढऩे के कारण उन्होंने पांच एकड़ भूमि पड़ोसी किसान से पट्टे पर ली थी। जिस पर फेंसिग करवाने के दौरान यह देखा गया कि भूमि बहुत कठोर है। 63 सीसी का इंजन होने के बावजूद भी मशीन दो इंच से अधिक गहरा नहीं खोद पाई। जब उन्होंने गुरूकुल की भूमि पर यहीं परीक्षण किया तो आसानी से खुदाई की जा सकी।

इससे यह प्रतीत हुआ कि जिस भूमि पर अत्यधिक रासायनिक उर्वरकों का प्रयोग होता है वह कठोर हो जाती है और उसकी उर्वरक क्षमता धीरे-घीरे समाप्त हो जाती है। उन्होंने बताया कि पिछले दिनों दिल्ली में आयोजित देशभर के गवर्नरों के कार्यक्रम के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी प्राकृतिक खेती को देशभर में बढ़ावा देने के लिए नीति आयोग को कार्य योजना बनाने के निर्देश दिए हैं। कार्यक्रम में महामहिम राज्यपाल आचार्य देवव्रत को स्मृति चिन्ह एवं शॉल भेंट कर सम्मानित भी किया। पेस्टीसाइड का प्रयोग कम कर खेती की गुणवत्ता को बढ़ाया जा सकता है

उन्होंने किसानों से कहा कि खेती में पेस्टीसाइड का प्रयोग कम कर खेती की गुणवत्ता को बढ़ाया जा सकता है। रासायनिक खादों का अत्यधिक प्रयोग किए जाने के कारण जमीन की उर्वरा शक्ति में कमी आई है। उन्होंने किसानों से अनुरोध करते हुए कहा कि फसल अवशेषों को न जला कर अपने स्वास्थ्य के साथ-साथ पर्यावरण को सुरक्षित रखने में भी सहयोग करें। महामहिम राज्यपाल आचार्य देवव्रत ने प्राकृतिक खेती अपनाने वाले 10 प्रगतिशील किसानों को भी सम्मानित किया।

जींद शहर में प्राकृतिक तरीके से खेती करने वाले जितेंद्र सैनी सम्मानित

कुछ साल पहले जितेन्द्र सैनी ने कंडेला गांव में साढे चार एकड़ जमीन खरीदकर उस पर कीटनाशक दवाओं व रासायनिक खाद के प्रयोग किए बिना प्राकृतिक खेती आरंभ की थी। प्राकृतिक तरीके से उगाई गई सब्जियों को बेचने के लिए मुख्य मार्ग के पास ही सेल प्वाइंट बना दिया। उनके इस प्राकृतिक खेती के सराहनीय काम को लेकर महामहिम राज्यपाल ने उन्हें सम्मानित किया।

कार्यक्रम में जींद के विधायक डा. कृष्ण लाल मिड्ढा, गौ सेवा आयोग के चेयरमैन श्रवण कुमार गर्ग, भाजपा जिलाध्यक्ष तेजेंद्र ढुल,  पूर्व विधायक जसबीर देशवाल, कृषि एवं कल्याण विभाग के अतिरिक्त निदेशक डा. रोहताश सिंह, मुख्य वैज्ञानिक डा. बलजीत सहारण, कृषि विभाग के उपनिदेशक सुरेंद्र सिंह मलिक सहित अन्य अधिकारी एवं सैकड़ों किसान उपस्थित थे।

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