Jharkhand hemant Soren News: जेल से बाहर आए झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन

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Jharkhand hemant Soren News जेल से बाहर आए झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन
Jharkhand hemant Soren News जेल से बाहर आए झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन

Ranchi Land Scam (आज समाज), रांची : झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री और झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो) के नेता हेमंत सोरेन पांच महीने बाद आज जेल से बाहर आ गए। वह रांची जमीन घोटाले से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग में जेल में बंद थे। झारखंड हाई कोर्ट से जमानत मिलने के बाद हेमंत को रिहा किया गया। उन्हें प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने 31 जनवरी को गिरफ्तार किया गया था। तब से वह रांची के बिरसा मुंडा सेंट्रल जेल में न्यायिक हिरासत में बंद थे।

हाई कोर्ट ने 13 जून को सुरक्षित रखा था फैसला

जेल से बाहर निकलते समय हेमंत के साथ उनकी पत्नी कल्पना सोरेन व अन्य लोग मौजूद थे। हाई कोर्ट ने जमीन घोटाले से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग केस में पूर्व सीएम की जमानत याचिका मंजूर की थी। जस्टिस रंगन मुखोपाध्याय की कोर्ट ने इस याचिका पर तीन दिनों तक बहस और सुनवाई पूरी करने के बाद 13 जून को फैसला सुरक्षित रख लिया था।

जमानत याचिका पर सुनवाई के दौरान हेमंत सोरेन की ओर से दलीलें

जमानत याचिका पर सुनवाई के दौरान हेमंत सोरेन की ओर से दलीलें पेश करते हुए सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल और मीनाक्षी अरोड़ा ने कहा था कि जिस जमीन पर कब्जे के आरोप में ईडी ने हेमंत सोरेन के खिलाफ कार्रवाई की है, वह जमीन छोटानागपुर टेनेंसी एक्ट के तहत ‘भुईंहरी’ नेचर की है और इसे किसी भी स्थिति में किसी व्यक्ति को बेचा या हस्तांतरित नहीं किया जा सकता।

उन्होंने कहा था कि इस जमीन की लीज राजकुमार पाहन के नाम पर है। इस जमीन पर हिलेरियस कच्छप नामक एक व्यक्ति खेती करता था और बिजली का कनेक्शन उसी के नाम पर पर है। कपिल सिब्बल और मीनाक्षी अरोड़ा कहा था कि इससे हेमंत सोरेन का कोई संबंध नहीं है।

2009-10 में सीएम पर आरोप लगाया गया

पूर्व मुख्यमंत्री के अधिवक्ताओं ने कहा, हेमंत सोरेन पर वर्ष 2009-10 में इस जमीन पर जब कब्जा करने का आरोप लगाया गया, लेकिन इसे लेकर कहीं शिकायत दर्ज नहीं है। अप्रैल 2023 में ईडी ने इस मामले में कार्यवाही शुरू की और केवल कुछ लोगों के मौखिक बयान के आधार पर बता दिया कि यह जमीन हेमंत सोरेन की है। अधिवक्ताओं ने कहा कि ईडी के पास इस बात के कोई सबूत नहीं हैं कि हेमंत सोरेन ने इस पर कब, कहां और किस तरह कब्जा किया। उन्होंने कहा कि यह राजनीतिक प्रतिशोध का मामला है।

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