- जुल्मी जुलाई की उमस व सूखे से किसान परेशान, उमस भरी गर्मी से आमजन के साथ पशुओं में बेचैनी, बीमारी फैलने का भय
(Jind News) लोहारू। मानसून की बेरुखी व जुल्मी जुलाई की उमस भरी गर्मी से किसानों व आमजन के साथ-साथ बेजुबान पशुओं को भी परेशानी में डाल दिया है। मानसून के आगमन होने के बाद भी लोहारू क्षेत्र में किसानों की खरीफ की फसलें सूखने के कगार पर हैं। बरसात न होने तथा बादलों की आवाजाही के चलते उमस भरा मौसम बन गया है। ऐसे उमस भरे वातावरण में जहां आम लोग गर्मी से परेशान है वहीं किसान बरसात न होने के कारण चिंतित है। वहीं पशुओं में उमस के प्रभाव के कारण बेचैनी देखी जा सकती है। इंसान तो तपिश के कारण आई बेचैनी व दबाव को डॉक्टरों के समक्ष जाकर बता सकते हैं, लेकिन बेजुबान जानवर इस दबाव को किसी को नहीं बता सकते। वहीं उमस भरी गर्मी लोगों के पसीने छुड़ा रही है जिससे लोगों को कहीं भी राहत नहीं है।
मौसम में गर्मी के इस दबाव के कारण पशुओं में गलघोटू जैसी जानलेवा बीमारी होने की आशंका बढ़ जाती है। जैसे-जैसे मौसम में बदलाव होता है उतनी जल्दी पशु अपने शरीर को मौसम के अनुसार नहीं ढ़ाल सकता और पशु दबाव में जाता है। इस दबाव वाले मौसम में पशुओं के गले में रहने वाले पाश्चुरेला मल्टोसिडा नामक जीवाणु सक्रिय हो जाते हैं। पशु पहले ही दबाव में होता है जिससे पशु की प्रतिरोध क्षमता उन जीवाणुओं से लड़ने में सक्षम नहीं हो पाती और ये जीवाणु पशु के लिए जानलेवा साबित हो जाते हैं। पशुपालन विभाग की मानें तो इस बदलते मौसम में पशुओं को दबाव गलघोटू से बचाने के लिए एचएस, गलघोटू का टीकाकरण कराना चाहिए। अगर एक भी पशु टीकाकरण से वंचित रह गया और यह बीमारी एक पशु में हो गई तो पूरे गांव के पशुओं को अपनी चपेट में ले लेती है और बहुत से पशुओं की मौत का कारण बन जाती है। उन्होंने बताया कि कई लोगों को भ्रांति है कि टीकाकरण से पशु का दूध सूख जाता है गर्भपात हो जाता है। टीकाकरण से पशु को फायदा ही होता है और उसके शरीर में गलघोंटू बीमारी से लडऩे की क्षमता बढ़ती है।
पशु चिकित्सक डॉ. रविंद्र सहरावत ने बताया कि इस समय पशुाओं में दो प्रकार के रोग एचएस व एफएमडी रोग होने का खतरा बन सकता है। इसके लिए विभाग ने पूरे भिवानी जिले में टीकाकरण कर रखा है। इसके चलते पूरे भिवानी जिले में मार्च महीने में करीब 3 लाख 90 हजार पशुओं को टीकाकरण किया जा चुका है। उन्होंने बताया कि यह टीकाकरण साल में दो बार किया जाता है जो बिल्कुल फ्री होता हे। उन्होंने बताया कि फिर भी किसानों को अपने पशुओं को उमस भरी गर्मी से बचाने के लिए दिन में दो बार नहलाना चाहिए व पशुओं के लिए पंखे आदि की व्यवस्था करनी चाहिए। उन्होंने बताया कि पशुओं को सांस लेने में समस्या होना, पशु का तापमान बढऩा, मुंह से पानी गिरना, पशु चरना बंद कर देता है, पशु बिल्कुल सुस्त रहता है। इस तरह के लक्षण दिखाए देने पर तुरंत पशु चिकित्सक से संपर्क करना चाहिए ताकि पशुओं को समय पर उपचार मिल सके।