Aaj Samaj (आज समाज), Jan Shiksha Adhikar Manch Kaithal,मनोज वर्मा,कैथल: जन शिक्षा अधिकार मंच कैथल द्वारा जारी धरना आज 366 वें दिन भी जारी रहा। धरने की अध्यक्षता बलजीत नैन ने की। उन्होंने धरने को संबोधित करते हुए कहा कि सुरेश द्रविड़ द्वारा उठाए गए सभी सवाल जायज थे। जिस पर शिक्षा, महिला,बाल, युवा एवं खेल विभागों से संबंधित स्थायी संसदीय समिति ने भी अपनी मोहर लगा दी है। जन शिक्षा अधिकार मंच कैथल शिक्षा नीति में सुधार चाहता था लेकिन मौजूदा सरकार के लोगों ने जन शिक्षा अधिकार मंच द्वारा दिए गए सुझावों को दरकिनार किया और शिक्षक नेता सुरेश द्रविड़ का उत्पीडऩ भी शुरू कर दिया। लेकिन अब संसदीय समिति द्वारा दी गई रिपोर्ट से स्पष्ट हो गया है कि मल्टीपल एंट्री एंड एग्जिट सिस्टम भारत में शिक्षा के लिए बेहद ख़तरनाक होगा। क्योंकि इसके कार्यान्वयन में बहुत ही ज्यादा दिक्कतें हैं।
इसके कार्यान्वयन से हमारी शिक्षा का ढांचा और भी खराब हो जाएगा। हमारे शिक्षा संस्थानों ने भी इसके बारे में अभी तक स्पष्ट रूप से इतना नहीं सोचा है कि जितना इस संबंध में चिंतन मनन और विश्लेषण की आवश्यकता थी। जन शिक्षा अधिकार मंच कैथल के प्रैस प्रवक्ता सुरेश द्रविड़ ने संसदीय समिति की रिपोर्ट पर प्रकाश डालते हुए बताया कि राज्यसभा सदस्य विवेक ठाकुर की अध्यक्षता वाली समिति ने पिछले हफ्ते संसद में अपनी रिपोर्ट पेश की है। रिपोर्ट में साफ तौर पर दर्शाया गया है कि भारत में उच्च जनसंख्या के कारण प्रति वर्ष उच्च शिक्षा में छात्रों के अनुमानित प्रवेश की संख्या काफी अधिक है। यदि संस्थान एमईएमई व्यवस्था की अनुमति देते है तो संस्थानों के लिए यह अनुमान लगाना बेहद कठिन होगा कि कितने छात्र संस्थान या कक्षा को छोडक़र बाहर जाएंगे और कितने छात्र बीच में शामिल होंगे । अर्थात कितने छात्र उस संस्थान और कक्षा में शामिल होंगे ? रिपोर्ट में यह भी बताया गया है कि चूंकि संस्थानों को आने और जाने वाले छात्रों का पता ही नहीं होगा, इसलिए इसके बूरे परिणाम हमें भुगतने पड़ेंगे तथा निश्चित रूप से छात्र शिक्षक अनुपात को भी यह परेशान करेगा। संसदीय समिति का यह भी मानना है कि उच्च शिक्षा संस्थानों का असमान भौगोलिक वितरण और स्थिति कई क्षेत्रों में एमईएमई के प्रबंधन में बहुत सी बाधाएं उत्पन्न करेगा।
खासकर ग्रामीण इलाकों में इसका बहुत बूरा असर दिखाई देगा। अभी तक हमारे संस्थानों ने भी इस पर उस गंभीरता के साथ विचार नहीं किया है कि वे भविष्य में इस प्रकार की परेशानियों को कैसे हल करेंगे ? समिति का यह भी कहना है कि हालांकि यह एक लचीली प्रणाली की तरह दिखता है, लेकिन हमारे देश की परिस्थितियों के अनुसार लचीला नहीं है। इसे पश्चिमी शिक्षा संस्थानों द्वारा काफी प्रभावी ढंग से संचालित किया जा रहा है। लेकिन भारतीय शिक्षा संस्थानों को इस प्रणाली को लागू करने से कई कठिन मुद्दों का सामना करना पड़ सकता है। इस प्रकार इस संसदीय समिति की रिपोर्ट ने नई शिक्षा नीति की सिफारिशों को नकार दिया है। इसलिए सरकार से हमारा अनुरोध है कि नई शिक्षा नीति 2020 को तुरंत वापिस लिया जाए और भविष्य के लिए एक नवविकसित शिक्षा प्रणाली को लागू किया जाए। जन शिक्षा अधिकार मंच कैथल के जिला संयोजक जयप्रकाश शास्त्री ने कहा कि मौजूदा सरकार की नई शिक्षा नीति संसदीय समिति के सामने धराशाही हो गई है। इसलिए इसे तत्काल रद्द करना चाहिए। रिटायर्ड कर्मचारी संघ के जिला प्रधान रमेश हरित ने कहा कि संसदीय समिति की रिपोर्ट से हमारे हौसले और भी अधिक बढ़ गए है। क्योंकि केंद्र सरकार की शिक्षा नीति को संसदीय समिति ने सही नहीं माना है। हरियाणा विद्यालय अध्यापक संघ खण्ड सीवन के प्रधान रामफल दयोरा ने कहा कि जन शिक्षा अधिकार मंच द्वारा जारी आंदोलन को संसदीय समिति की रिपोर्ट से नई ऊर्जा और उत्साह मिला है तथा आंदोलनकारियों में और भी अधिक उत्साह बढ़ा है और हम यह आंदोलन जीतकर ही दम लेंगे।
हरियाणा अनुसूचित जाति राजकीय अध्यापक संघ के जिला प्रधान राजबीर पाई ने कहा कि 28 सितंबर 2023 को होने वाला प्रदर्शन ऐतिहासिक होगा और प्रदर्शन आज 3 से 5 बजे तक भाजपा कार्यालय कैथल पर किया जाएगा। जिसमें सभी शिक्षक संगठन भाग लेंगे। जन शिक्षा अधिकार मंच कैथल द्वारा दोपहर बाद 1 से 3 बजे तक पड़ाव स्थल पर शहीद भगत सिंह जयंती भी मनाई जाएगी और इसके पश्चात 3 बजे से 5 बजे तक भाजपा कार्यालय कैथल पर प्रदर्शन किया जाएगा। कल के प्रदर्शन में आशा वर्कर और आंगनबाड़ी वर्कर भी भाग लेंगी। धरने पर आज चरणजीत कौर, आशा, रीना खेड़ी, सुरेंद्र कौर खण्ड गुहला प्रधान,जीतो, चांदी कौर, बलवंत जाटान, सतबीर प्यौदा, मियां सिंह, हजूर सिंह, रामदिया सौंगल, रामदिया कसान, हुक्मचंद, रणधीर ढुंढ़वा, बलवंत रेतवाल, कलीराम प्यौदा,भीम सिंह रामेश्वर, दरबारा, जयप्रकाश शास्त्री , ऋषि राम गुराना आदि भी उपस्थित थे।
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