Jammu-Kashmir: श्रीनगर पहुंचे सेना प्रमुख जनरल द्विवेदी, सुरक्षा स्थिति की समीक्षा की

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Jammu-Kashmir: श्रीनगर पहुंचे सेना प्रमुख जनरल उपेंद्र द्विवेदी, सुरक्षा स्थिति की समीक्षा की

Army Chief General Dwivedi Jammu-Kashmir Visit, (आज समाज), श्रीनगर: केंद्र शासित प्रदेश जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में इसी सप्ताह मंगलवार को हुए घातक आतंकी हमले के बाद आज सेना प्रमुख (Army Chief ) जनरल उपेंद्र द्विवेदी (General Upendra Dwivedi) श्रीनगर पहुंचे और उन्होंने घाटी में सुरक्षा स्थिति की समीक्षा की। बता दें कि आतंकी हमले के बाद भारत और पाकिस्तान के बीच दिन-ब-दिन तनाव बढ़ता जा रहा है और इस बीच जनरल उपेंद्र द्विवेदी का जेएंडके का दौरान अहम है। श्रीनगर के बाद पहलगाम के बैसरन मैदान भी गए जहां आतंकियों ने 26 पर्यटकों की गोली मारकर हत्या कर दी है।

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सेना प्रमुख को 15 कोर कमांडर ने दी सुरक्षा की जानकारी दी

सेना प्रमुख के श्रीनगर आगमन पर, 15 कोर कमांडर ने उन्हें मौजूदा सुरक्षा स्थिति की जानकारी दी। जनरल द्विवेदी ने कश्मीर घाटी में तैनात वरिष्ठ सेना कमांडरों के साथ-साथ अन्य सुरक्षा एजेंसियों के अधिकारियों के साथ भी मुलाकात की। अधिकारियों ने सेना प्रमुख को अपने क्षेत्र के में आतंकियों के खिलाफ संरचनाओं द्वारा की जा रही कार्रवाई व नियंत्रण रेखा पर संघर्ष विराम का उल्लंघन करने की पाकिस्तानी सेना की कोशिशों की भी जानकारी दी।

एलओसी पर पाकिस्तान ने की फायरिंग

अधिकारियों ने बताया कि आज सुबह, पाकिस्तानी सेना के जवानों ने नियंत्रण रेखा (LOC) पर कुछ जगह छोटे हथियारों से गोलीबारी की, जिसके बाद भारतीय सेना ने तत्काल प्रभावी तरीके से जवाब दिया। सैन्य अधिकारियों ने बताया कि घटना में कोई हताहत नहीं हुआ है।

पहलगाम हमले के बाद हाई अलर्ट पर सेना

पहलगाम के बैसरन मैदान में आतंकियों ने 22 अप्रैल को पर्यटकों पर हमला किया था, जिसमें 25 भारतीय नागरिक और एक नेपाली नागरिक मारे गए थे, जबकि कई अन्य घायल हो गए थे। इस हमले के बाद सेना हाई अलर्ट पर है और आतंकियों को बेअसर करने के लिए कई तलाशी अभियान चला रही है।

केंद्र सरकार ने की है कई कूटनीतिक उपायों की घोषणा

आतंकवादी हमले के बाद, केंद्र सरकार ने कई कूटनीतिक उपायों की घोषणा की, जैसे अटारी में एकीकृत चेक पोस्ट को बंद करना, पाकिस्तानी नागरिकों के लिए सार्क वीजा छूट योजना को निलंबित करना, उन्हें अपने देश लौटने के लिए 40 घंटे का समय देना और दोनों पक्षों के उच्चायोगों में अधिकारियों की संख्या कम करना।

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