आज समाज डिजिटल, चंडीगढ़:
मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने पुनर्निर्मित जलियांवाला बाग स्मारक को महान शहीदों को श्रद्धांजलि और युवाओं के लिए प्रेरणा का प्रतीक बताते हुए कहा कि यह स्मारक हमारी आने वाली पीढ़ियों को लोकतांत्रिक तरीके से शांतिपूर्ण तरीके से विरोध करने के लोगों के अधिकार के बारे में याद दिलाता रहेगा। मुख्यमंत्री ने शांतिपूर्ण संघर्ष कर रहे किसानों के चल रहे आंदोलन पर प्रकाश डालते हुए कहा कि इस स्मारक के साथ ही हाल ही में राज्य सरकार द्वारा लोगों को समर्पित जलियांवाला बाग शताब्दी स्मारक हमारे नेताओं को याद दिलाना चाहिए कि शांतिपूर्ण और लोकतांत्रिक तरीके से विरोध करना भारतीयों का अधिकार है, जिसको जिसे कुचला नहीं जा सकता क्योंकि अंग्रेजों ने भी जलियांवाला बाग की घटना से एक सबक सीखा था। प्रधानमंत्री द्वारा जलियांवाला बाग राष्ट्रीय स्मारक (स्मारक) को वुर्चअल समारोह के दौरान रोमोट से राष्ट्र को समर्पित करने से पहले, मुख्यमंत्री ने अपने संक्षिप्त संबोधन में कहा कि यह स्मारक और राज्य सरकार द्वारा स्थापित शताब्दी स्मारक हमारे महान शहीदों को श्रद्धांजलि देने का एक विनम्र प्रयास है। ताकि इतिहास उनके बलिदान को हमेशा याद रखे और हमारी वर्तमान और आने वाली पीढ़ियां उनकी देशभक्ति से प्रेरणा ले सकें। कैप्टन अमरिंदर सिंह ने प्रधानमंत्री से अपील की कि वह भारत सरकार के साथ अपने प्रभाव का इस्तेमाल करके शहीद ऊधम सिंह, जिन्होंने नरसंहार के अन्याय का बदला लिया था, उनकी पिस्टल और निजी डायरी जैसी निशानियों को यूके से भारत लाना चाहिए। मुख्यमंत्री ने कहा कि वह इस संबंध में केंद्रीय विदेश मंत्री जयशंकर को पहले ही पत्र लिखा चुके है। समारोह में कई केंद्रीय मंत्री, पंजाब के राज्यपाल, विपक्ष के नेता और जलियांवाला बाग के ट्रस्टी के अलावा कुछ सांसदों और विधायकों ने भाग लिया। जलियांवाला बाग हत्याकांड के शहीदों के परिवार भी मौजूद थे।
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