Jaipur-Mumbai Train Shootout: जानिए कैसे हुई सारी वारदात, क्या स्थिति बनी कि आरपीएफ जवान ने 4 लोगों को मार डाला

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Jaipur-Mumbai Train Shootout
जानिए कैसे हुई सारी वारदात, क्या स्थिति बनी कि आरपीएफ जवान ने 4 लोगों को मार डाला

अभिषेक शर्मा, Aaj Samaj (आज समाज), Jaipur-Mumbai Train Shootout, मुंबई,: जयपुर-मुंबई ट्रेन में पिछले सप्ताह आरपीएफ के जवान ने जो चार लोगों की गोली मारकर हत्या की है वह सब एक साथी के गुस्से की करतूत है। आरपीएफ अधिकारी द्वारा दर्ज करवाई एफआई में आरपीएफ कांस्टेबल का बयान दर्ज किया गया है। कांस्टेबल ने कहा है कि लोअर परेल स्थित वर्कशॉप में रेलवे सुरक्षा बल के करीब 25 से 30 जवान काम करते हैं। कुछ जवानों को परिधि सुरक्षा के लिए नियुक्त किया गया है और कुछ को मेल पैसेंजर ट्रेनों में एस्कॉर्ट के रूप में नियुक्त किया जाता है।

28 जुलाई को ड्यूटी सौराष्ट्र मेल में लगी थी : आरपीएफ कांस्टेबल

आरपीएफ कांस्टेबल ने बताया है कि 28 जुलाई को उनकी ड्यूटी सौराष्ट्र मेल में लगा दी गई। उन्होंने कहा, मेरे साथ 58 वर्षीय एएसआई टीकाराम मीना , पोओ हवा नरेंद्र परमार (58) और हवलदार चेतन सिंह (33) को नियुक्त किया गया था। ट्रेन मुंबई सेंट्रल से रात 9 बजकर पांच मिनट पर रवान गुजरात के ओखा के लिए निकलती है। हमारी टीम इसी ट्रेन से सूरत जाती है। और यही टीम सूरत से जयपुर मुंबई की ट्रेन पकड़कर मुंबई लौटती है। लगभग एक सप्ताह तक यह चक्र चलता है।

30 जुलाई को मुंबई सेंट्रल के लिए रवाना हुए

कांस्टेबल ने कहा, हमेशा की तरह मैं 30 जुलाई को और मेरे साथी रात 21:05 बजे सौराष्ट्र मेल ट्रेन से मुंबई सेंट्रल के लिए रवाना हुए। मेरे पास 20 राउंड वाली एक एआरएम राइफल थी, कांस्टेबल चेतन सिंह के पास 20 राउंड वाली एआरएम राइफल थी। एएसआई टीकाराम मीना के पास 10 राउंड वाली एक पिस्तौल और हेड कांस्टेबल नरेंद्र परमार के पास 10 राउंड वाली एक पिस्तौल थी।

ड्यूटी पर टीम प्रभारी एएसआई टीकाराम मीना व अन्य

कांस्टेबल के अनुसार ट्रेन रात 01:11 बजे सूरत पहुंची। वहां से हमने रात 02:53 बजे जयपुर मुंबई सुपरफास्ट एक्सप्रेस ट्रेन पकड़कर मुंबई की यात्रा शुरू की। उस समय हमेशा की तरह ड्यूटी पर मेरे साथ टीम प्रभारी एएसआई टीकाराम मीना पीओ हवा नरेंद्र परमार और पुलिस सिपाही चेतन सिंह भी थे। एएसआई टीकाराम मीना और चेतन सिंह की नियुक्ति वातानुकूलित डिब्बे में थी। साथ ही मैं और हेड कांस्टेबल नरेंद्र परमार दोनों स्लिपर कोच में तैनात थे।

कांस्टेबल चेतन सिंह की तबीयत खराब

ट्रेन मुंबई के लिए रवाना होने के लगभग आधे घंटे बाद, मैं अपनी कार्य रिपोर्ट देने के लिए पेंट्री कोच के बाद दूसरे बी/2 वातानुकूलित कोच में एएसआई टीकाराम मीना से मिला। उस समय उनके साथ कांस्टेबल चेतन सिंह और तीन टिकट निरीक्षक भी थे। उस समय एएसआई टीकाराम मीना ने मुझे बताया कि कांस्टेबल चेतन सिंह की तबीयत खराब हो गई है।  मैंने चेतन सिंह के शरीर को छूकर देखा कि उन्हें बुखार है या नहीं। मुझे उस वक्त पता ही नहीं चला कि उन्हें बुखार है। हालांकि, एएसआई टीकाराम मीना को बता रहे थे कि चेतन सिंह कह रहा है कि उसकी तबीयत खराब है और उसे वलसाड स्टेशन उतार दिया जाए। एएसआई टीकाराम मीना ने उसे समझाया कि दो-तीन घंटे की ड्यूटी बाकी है, ट्रेन में आराम कर मुंबई तक।

सुनने के मूड में नहीं थे चेतन सिंह

लेकिन चेतन सिंह सुनने के मूड में नहीं थे इसलिए एएसआई टीकाराम मीना ने हमारे इंस्पेक्टर श्री को फोन किया। हरिश्चंद्र से मोबाइल पर संपर्क किया। उन्होंने मामले की जानकारी मुंबई सेंट्रल कंट्रोल को देने को कहा। जब एएसआई टीकाराम मीना ने कंट्रोल से संपर्क किया तो वहां के अधिकारी ने भी कहा कि चेतन सिंह इस बारे में बताएं और कुछ ड्यूटी बाकी है, उसके खत्म होने के बाद दवा इलाज या आराम के लिए मुंबई जाने को कहें। तदनुसार एएसआई टीकाराम मीना ने चेतन सिंह को समझाया, लेकिन वह नहीं सुन रहा था। उन्होंने जोर देकर कहा कि वह कंट्रोल को कॉल करना चाहते हैं। इसलिए एएसआई टीकाराम मीना ने एएससी (सहायक सुरक्षा आयुक्त) सुजीत कुमार पांडे से बात की।

किसी को भी सुनने के लिए तैयार नही था चेतन सिंह

चेतन सिंह किसी को भी सुनने के लिए तैयार नही था। एएसआई टीकाराम मीना ने मुझे चेतन के लिए कुछ कोल्ड ड्रिंक लेकर आने को कहा मैं उसके लिए कोल्ड ड्रिंक लेकर आया लेकिन उसने नही पिया. एएसआई टीकाराम मीना ने मुझसे कहा कि तुम चेतन सिंह की राइफल ले लो और उसे आराम करने दो। जिसके बाद मैं चेतन सिंह को बी/4 बोगी में ले गया। मैंने उसे वहीं एक खाली सीट पर सुला दिया और उसकी राइफल अपने साथ लेकर बगल वाली सीट पर बैठ गया। लेकिन चेतन सिंह को ज्यादा देर तक नींद नहीं आई। 10 से 15 मिनट बाद वह उठा और मुझसे राइफल मांगने लगा मैंने उसे राइफल देने से इनकार कर दिया और आराम करने को कहा। फिर वो मुझसे झगड़ा करने लगा और बार बार मेरे ऊपर आ रहा था। हालाँकि मैंने तबभी उसे राइफल नहीं दी। तो वह गुस्से में आ गया और मेरा गला दबाने लगा।

चेतन सिंह ने गलती से राइफल छीन ली

इससे मैं असहाय हो गया और उसने मेरे हाथ से राइफल छीन ली। वह वहां से चला गया। उसके जाने के तुरंत बाद मुझे एहसास हुआ कि उसने गलती से मेरी राइफल ले ली है। घटना की सूचना एएससी सुजीत कुमार पांडे को फोन पर दी गयी। उन्होंने मुझसे टीम प्रभारी को घटना की रिपोर्ट करने के लिए कहा। जिसके बाद मैंने एएसआई टीकाराम मीना की तलाश की और उन्हें घटना के बारे में बताया। तब हम दोनों ने चेतन सिंह को बताया कि उसने गलती से मेरी राइफल ले ली है. उसने मेरी राइफल लौटा दी और अपनी राइफल ले ली।

राइफल कब्जे में लेने के बाद भी चेतन सिंह गुस्से में था

राइफल कब्जे में लेने के बाद भी चेतन सिंह गुस्से में था। एएसआई टीकाराम मीना समझाने का प्रयास कर रहे थे। लेकिन वह उनसे बहस कर रहा था। मैं चेतन को यह बात समझाने की कोशिश भी कर रहा था, लेकिन वो हम दोनों की एक भी बात नहीं सुन रहा था, इसलिए मैंने वहां से चले जाने का फैसला किया. जब मैं जा रहा था तो मैंने देखा कि चेतन अपनी राइफल का सेफ्टी कैच निकाल रहा है। इससे मुझे लगा कि वह फायरिंग के मूड में है. मैंने मामला एएसआई टीकाराम मीना के संज्ञान में लाया। इसलिए वह चेतन सिंह के पास पहुंचे और उन्हें प्यार से शांत रहने के लिए समझाया। जब यह सब चल रहा था, मैं पेंट्री कार में चला गया तब सुबह के लगभग 05.00 बजे थे।

एएसआई टीकाराम मीना को साथी चेतन सिंह ने गोली मारी

लगभग 05.25 बजे जब मैं पेंट्री कार में था। ट्रेन सफाले से वैतरना रेलवे स्टेशन क्षेत्र में पहुंची। उसी समय मेरे पास नालासोपारा से आरपीएफ के मेरे बैच के कांस्टेबल कुलदीप राठौड़ का फोन आया, जिन्होंने मुझे बताया कि मेरी टीम के प्रभारी एएसआई टीकाराम मीना पर गोली चलाई गई है। मैंने तुरंत हवलदार नरेंद्र कुमार को फोन पर घटना की सूचना दी और बी/5 कोच की ओर दौड़ पड़ा। तभी सामने से दो-तीन यात्री दौड़ते हुए आये। वे डरे हुए लग रहे थे। उन्होंने मुझे यह भी बताया कि मेरे साथ मौजूद एएसआई टीकाराम मीना को मेरे साथी चेतन सिंह ने गोली मार दी थी। मैंने हवलदार नरेंद्र परमार को फोन पर घटना की सूचना दी और सुनिश्चित किया कि वह सुरक्षित हैं। जो जानकारी मुझे मिली उससे मैंने कंट्रोल को भी अवगत करा दिया।

करीब 10 मिनट बाद किसी ने चेन खींचकर ट्रेन रुकवाई

मैं बी/5 कोच की ओर भागा। जब मैं कोच नंबर बी/1 में चढ़ा तो सामने से मुझे चेतन सिंह आते दिखे। उसके हाथ में राइफल थी और उसके चेहरे पर अब भी गुस्सा था। यह सोच कर कि कहीं वह मुझ पर गोली न चला दे, मैं पीछे मुड़ा और स्लिपर कोच में रुक गया। करीब 10 मिनट बाद किसी ने चेन खिंचकर ट्रेन को रुका दी। मैंने पता किया कि ट्रेन मीरा रोड और दहिसर रेलवे स्टेशन के बीच रुकी है। बाहर देखा तो मुझे सामने से ट्रैक पर चेतन सिंह आते दिखे। उसके हाथ में अभी भी राइफल थी और वह फायरिंग करने की पोजीशन में था। मैंने कोच में यात्रियों से खिड़कियाँ बंद करने और नीचे झुकने को कहा और देखने लगे कि चेतन सिंह क्या कर रहे हैं। मैंने देखा कि चेतन सिंह ने अपनी राइफल ट्रेन की ओर तान रखी थी। और वह बीच-बीच में फायरिंग भी कर रहा था। मैंने कुछ गोलीबारी की आवाजें सुनीं। मैं थोड़ी देर के लिए बाथरूम में छुप गया। थोड़ी देर बाद मैं बाहर आया और चेतन सिंह को मीरारोड रेलवे स्टेशन की ओर ट्रैक पर चलते देखा। राइफल अभी भी उसके हाथ में थी।

यात्री खून से लथपथ

करीब 15 मिनट इंतजार के बाद ट्रेन दोबारा चल पड़ी। उसी वक्त जब मैं कोच नंबर 5/6 में चढ़ा तो देखा कि एक यात्री खून से लथपथ पड़ा हुआ है। मैंने पेंट्री कार में एक यात्री को घायल और खून से लथपथ देखा। लगभग 06.20 बजे ट्रेन बोरीवली स्टेशन पर रुकी और मैं उतर गया। वहां बोरीवली रेलवे पुलिस ने आरपीएफ की मदद से चार घायलों को एक पेंट्रीकार से और एक को 5/6 कोच से और दो अन्य घायलों को बी/5 कोच से प्लेटफॉर्म पर पहुंचाया। उनमें से एक थे मेरे टीम लीडर एएसआई टीकाराम मीना। जब चारों घायलों को स्ट्रेचर से प्लेटफार्म पर उतारा गया तो साफ हो गया कि उनकी मौत गोलीबारी में हुई है।

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