यह साल अभी आधा ही बीता है और मानव जीवन पर संकट के बादल लगतार छाए हुए हैं।इस संकट की वजह से मनुष्य को अपनी जिंदगी बचाने के लिए अतिरिक्त मेहनत करनी पड़ रही है। कोरोना से लगातार बढ़ रहे मामलों से पहले ही दुनिया परेशान है और अब मानसून में उत्पनन् होने वाली बीमारी डेंगू को लेकर वैज्ञानिकों ने गंभीर चिंता जताई है। इस मामले के वैज्ञानिकों ने कहा है कि इस बार अन्य बार की अपेक्षा ज्यादा सतर्क रहने की जरुरत है। वैज्ञानिकों यह कहते हुए भी चेताया कि डेंगू के प्रकोप से कोरोना संकट बढने की उम्मीद है और यदि ऐसा हुआ तो स्थिति को संभालना बेहद मुश्किल हो जाएगा। दरअसल मामला यह है कि कोरोना व डेंगू के अधिकतर लक्षण एक जैसे हैं जिसमें मुख्य हैं कि दोनों से संक्रमिक होने पर सिर व शरीर में दर्द होता है और तेज बुखार आता है। डेंगू से ग्रस्त होने वाले मरीजों को कोरोना अपनी चपेट में आसानी से ले सकता है। यदि दोनो बीमारी से ग्रसित होने वाली मरीजों की संख्या बढ़ी तो मौत का आंकडों में बडे स्तर पर बढ़ोतरी होगी और स्थिति भयावह हो सकती है। अब तक आंकडों के अनुसार हमारे देश में कोरोना के करीब आठ लाख केस आ चुके हैं और तेईस हजार लोगों की मौत भी हो चुकी है। डेंगू के आंकडों के अनुसार डेंगू की वजह से हर वर्ष करीब डेढ लाख मामले आते हैं। यदि बीते वर्ष 2019 में एक लाख पैंतीस हजार से भी अधिक केस आए थे जिसमें 132 लोगों को जान गवानी पडी थी। डेंगू से रिकवरी की प्रतिशत बहुत बेहतर है लेकिन कोरोना काल में डेंगू के मरीज बढ़ते हैं तो डेंगू से ग्रस्त मरीजों को कोरोना होने की संभावना बहुत अधिक है जिससे अभी से ही शासन-प्रशासन के हांथ-पांव फूलने शुरु हो चुके हैं।
दरअसल मामला गंभीर इसलिए भी हो जाता है कि दोनो ही वायरस की वैक्सीन नही बनी । अन्य बीमारियों की अपेक्षा डेंगू में वायरस बहुत प्रभावशाली होता है। डेंगू मादा एडीज इजिप्ची नाम के मच्छर के काटने से होता है।यह मच्छर जब काटता है तो मनुष्य का खून चूसता है और वायरस शरीर में छोड देता है और उसके बाद किसी अन्य व्यक्ति को काटता है तो फिर दूसरे को औरअधिक तेजी से यह वायरस प्रभावित करता है,इस ही तरह इसकी चैन बनती चली जाती है। डॉक्टरों के अनुसार डेंगू को तीन तरह से वर्गीत किया है जिसमें पहली स्थिति में साधारण बुखार होता है,दूसरी में हैमरेजिक बुखार व तीसरी स्थिति में जो सबसे खतरनाक मानी जाती है वह है शॉक सिंड्रोम। तेज बुखार,मांस पेशियों में दर्द,कमजोरी लगने और हल्का सा गले में दर्द होने पर आप क्षेत्रिय डॉक्टरों से उपचार करा सकते हैं लेकिन जब शरीर के किसी भी अंग से खून आना और बार-बार होश खो देने पर तुरंत स्पेशलिस्ट से संपर्क करना चाहिए व अस्पताल में एडमिट होना अनिवार्य समझा जाता है।
डेंगू, बरसात के मौसम में पनपना शुरु होता है और जुलाई से अक्टूबर तक सबसे ज्यादा प्रभावित करता है क्योंकि इस मौसम सभी तरह के मच्छरों के पनपने का समय होता है। डेंगू मच्छर कम ऊंचाई तक उड़ पाता और खासतौर पर सुबह के समय ही काटता है। इसे ग्रस्त होने के बाद बचने के तमाम उपाय हैं लेकिन यदि यह कोरोना काल में
होता है तो हालात नाजुक हो जाएंगे। आपकी जरा सी मेहनत आपको इस बडे संकट में फसने से पहले ही निकाल सकती है। वैसे तो हर बीमारी से बचने का एक मात्र उपाय सफाई है लेकिन आज के दौर में थोडा सा और अतिरिक्त कर लिया जाए तो ज्यादा बेहतर होगा। अपने घर कोस्वच्छरखना तो स्वभाविक है लेकिन साथ में अपने आस-पास भी गंदगी व पानी न जमा होने दें। जहां पानी जमा रहता है जैसे कि कूलर व अन्य इस प्रकार की कोई भी जगह तो वहां आप एक ढक्कन या आवश्यकतानुसार मिट्टी का तेल जरुर डाल दें। जैसे हम बदलते दौर के फैशन में अपने कपडो,जूतो व अन्य इस प्रकार की चीजों के साथ अपडेट व अपग्रेड कर लेते हैं वैसे ही बढ़ती बीमारियों से लडने के लिए इस तर्ज पर चलने की जरुरत है। दरअसल मामला यह भी है कि हमारे देश में हर किसी को यह लगता है कि यह घटना हमारे साथ तो हो ही नही सकती लेकिन जब ऐसा सोचने वाला चपेट में आता है तब व पछतावे के अलावा कुछ नही कर पाता। कोरोना से आए संकट से हमें सबक व सीख लेना चाहिए। कोरोना को आए चार महीने करीब हो चुके हैं और इससे बचने के लिए कितनी सतर्कता बरत रहे हैं।यदि हम बाकी बीमारियों से बचने के लिए इस तरह की सुरक्षा अपना लेंगे तो निश्चित तौर पर सफलता मिलेगी। हम डेंगू,मलेरिया व अन्य इस तरह की बीमारियों को हल्के में ले लेते हैं जिससा भुगतान कई बार हम जान चुका कर पूरा करना पडता है। जब हमें पता है कि पहले से कोई बडी परेशानी आ रही है तो हमें अपने आप को बचाने के लिए तैयार रहना चाहिए और यह डेंगू से लडने व बचने का बिल्कुल सही समय है।अपने व परिवार की सुरक्षा के लिए अतिरिक्त जागरुक रहने की जरुरत है चूंकि इस वर्ष जिंदगी ‘सावधानी हटी,दुर्घटना घटी’ वाली तर्ज पर चल रही है।
योगेश कुमार सोनी
वरिष्ठ पत्रकार