कहा, वर्तमान परिस्थितियां वैश्विक व्यापार के लिए चुनौतीपूर्ण
Nirmala Sitharaman’s US visit (आज समाज), बिजनेस डेस्क : अमेरिका और चीन के बीच लगातार चल रहे टैरिफ विवाद के बीच भारतीय वित्त मंत्री पांच दिवसीय दौरे पर अमेरिका पहुंच चुकी हैं। हालांकि उनके इस दौरे का टैरिफ विवाद से कोई लेना देना नहीं है। वह रविवार (स्थानीय समयानुसार) को सैन फ्रांसिस्को अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे पर पहुंचीं, जहां अमेरिका में भारत के राजदूत विनय मोहन क्वात्रा और सैन फ्रांसिस्को में भारत के महावाणिज्यदूत श्रीकर रेड्डी कोप्पुला ने उनका स्वागत किया। वित्त मंत्री अपने पांच दिवसीय दौरे के दौरान विभिन्न कार्यक्रमों में भाग लेंगी।
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण सैन फ्रांसिस्को में 20 अप्रैल से दो दिवसीय प्रवास के दौरान स्टैनफोर्ड विश्वविद्यालय के हूवर इंस्टीट्यूशन में विकसित भारत 2047 की नींव रखने पर एक भाषण देंगी। इसके बाद फायरसाइड चैट सत्र यानी अनौपचारिक वार्तालाप होगा। यहां सीतारमण निवेशकों के साथ एक गोलमेज बैठक के दौरान प्रमुख फंड प्रबंधन फर्मों के शीर्ष सीईओ के साथ बातचीत करेंगी और शीर्ष सूचना प्रौद्योगिकी (आईटी) फर्मों के सीईओ के साथ द्विपक्षीय बैठकें भी करेंगी। सैन फ्रांसिस्को के भारतीय प्रवासियों के एक कार्यक्रम में भारतीय समुदाय के साथ बातचीत करेंगी।
वैश्विक अनिश्चितताओं पर दिया था बड़ा बयान
हाल की वैश्विक अनिश्चितताओं के बावजूद भारत के वित्तीय बाजारों ने उल्लेखनीय लचीलापन दिखाया है। वित मंत्री निर्मला सीतारमण ने बीएसई के एक कार्यक्रम में यह बात कही। वित्त मंत्री ने कहा कि संरक्षणवादी नीतियों के बढ़ने से वैश्विक आपूर्ति शृंखला के बाधित होने और उत्पादन लागत बढ़ने की आशंका है। उन्होंने कहा कि वर्तमान परिस्थितियों में वैश्विक व्यापार को पटरी पर लाना बहुत ही चुनौतीपूर्ण हैं, लेकिन हम नीतिगत सुधारों और दीर्घकालिक निवेश के साथ व्यवधानों को दूर करने के लिए प्रतिबद्ध हैं।
सरकार का फोकस मजबूत घरेलू आधार बनाने पर
बढ़ते वैश्विक व्यापार युद्ध के बीच सीतारमण ने कहा कि सरकार का ध्यान मजबूत घरेलू आधार बनाने पर रहेगा। उन्होंने कहा कि हम नीतिगत बदलावों, दीर्घकालिक निवेश के साथ वैश्विक व्यवधानों से निपटेंगे। व्यापार को फिर से संतुलित करने के प्रयास बहुत ही चुनौतीपूर्ण हैं। मंत्री ने कहा कि हाल की वैश्विक अनिश्चितताओं के बावजूद भारत के वित्तीय बाजारों ने उल्लेखनीय लचीलापन दिखाया है और उन्होंने बाजारों में खुदरा निवेशकों के विश्वास की सराहना की।
उन्होंने कहा कि घरेलू संस्थागत निवेशक (डीआईआई) अब भारतीय बाजारों में सहायक नहीं बल्कि प्रमुख भूमिका निभा रहे हैं। यह भारत के पूंजी बाजार की बढ़ती परिपक्वता और गहराई का परिचय देता है। इस महीने की शुरूआत में अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की ओर से भारत सहित अधिकांश देशों पर टैरिफ लगाने की घोषणा के बाद से वैश्विक स्तर पर शेयर बाजारों में उथल-पुथल मची हुई है।
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