हर साल अक्टूबर से फरवरी तक ज्यादा रहता है अमोनिया का स्तर
Delhi News (आज समाज), नई दिल्ली : यमुना नदी के जल में हरियाणा सरकार द्वारा जहर मिलाने के केजरीवाल के बयान के बाद सभी तरफ प्रतिक्रिया आ रही है। भाजपा जहां इस बयान के आधार पर केजरीवाल पर केस दर्ज करने की मांग कर रही है। वहीं कई सामाजिक संगठन भी केजरीवाल के बयान का विरोध कर रहे हैं। देश के गृह मंत्री अमित शाह ने मांग की है कि अरविंद केजरीवाल इससे संबंधित रिपोर्ट को सार्वजनिक करें। इसी सब के बीच दिल्ली जल बोर्ड ने यमुना नदी के जल में जहरीले पदार्थों की मिलावट को लेकर स्पष्टीकरण दिया है।
जल बोर्ड का दावा है कि सर्दियों के मौसम अक्तूबर से फरवरी तक यमुना नदी में अमोनिया का स्तर स्वाभाविक रूप से बढ़ता है। जलशोधन संयंत्रों को (पार्ट्स पर मिलियन (पीपीएम) तक अमोनिया का शोधन करने के लिए डिजाइन किया गया है। यदि अमोनिया का स्तर दो से ढाई पीपीएम तक पहुंचता है तो इसे कैरियर लाइन चैनल और दिल्ली सब ब्रांच से पानी मिलाकर पतला किया जाता है।
मामले को उपराज्यपाल के संज्ञान में लाने की मांग
इस प्रक्रिया से उच्च अमोनिया स्तर वाले पानी को शुद्ध किया जाता है। जल बोर्ड ने इस बारे में मुख्य सचिव को पत्र लिखा है। जल बोर्ड की सीईओ शिल्पा शिंदे ने मुख्य सचिव को पत्र लिखकर कहा है कि वह इस मामले को उपराज्यपाल वीके सक्सेना के संज्ञान में लाएं। वजह यह कि इससे अंतरराज्यीय संबंधों पर असर पड़ता है। जल बोर्ड का कहना है कि अमोनिया का स्तर वजीराबाद बैराज के अपस्ट्रीम क्षेत्र में अनुपचारित सीवेज और औद्योगिक कचरे के मिलने से बढ़ता है। मानसून के बाद सर्दियों में यमुना का प्रवाह कम हो जाता है, जिससे नदी में छोड़े गए अनुपचारित सीवेज का समुचित रूप से पतला होना संभव नहीं हो पाता। परिणामस्वरूप अमोनिया की सांद्रता बढ़ जाती है। इस वर्ष भी अक्तूबर माह से यमुना में अमोनिया का स्तर बढ़ा हुआ है।
यह बोले थे अरविंद केजरीवाल
अरविंद केजरीवाल ने हरियाणा पर दिल्ली में जहर मिलाकर पानी देने और नरसंहार की साजिश रचने का आरोप लगाते हुए बयान दे दिया था। इसके बाद भाजपा ने अरविंद केजरीवाल के खिलाफ आक्रामक रवैया अपनाते हुए उसकी गिरफ्तारी की मांग कर डाली। वहीं आप सुप्रीमो के खिलाफ हरियाणा सरकार ने भी कार्रवाई की मांग की है। जबकि हरियाणा के हर जिले में भाजपा कार्यकर्ता केजरीवाल के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे हैं। केजरीवाल ने दावा किया था कि हरियाणा की तरफ से यमुना के पानी में जहर मिलाया गया। अगर दिल्ली जल बोर्ड ने जहर नहीं पकड़ा होता, तो सामूहिक नरसंहार हो सकता था।
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