नई दिल्ली। प्रवासी श्रमिकों के संबंध में याचिका की सुनवाई उच्चतम न्यायालय में हुई। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि प्रवासी श्रमिकों को रोकना या प्रवासी मजदूरों की गतिविधियों की निगरानी करना असंभव है। मजदूरों के लिए सरकार को आवश्यक कार्रवाई करनी चाहिए। सुप्रीम कोर्ट में केंद्र सरकार नेबताया कि प्रवासी श्रमिकों के लिए उनके गंतव्य तक जाने के लिए परिवहन उपलब्ध कराए जा रहे हैं । फिर भी श्रमिकों के पैदल चलने पर सरकार ने कहा कि अपने गंतव्य तक जाने केलिए उन्हें अपने नंबर का इंतजार करना होगा। सुप्रीम कोर्ट में शुक्रवार को न्यायमूर्ति एल नागेश्वर राव की अध्यक्षता वाली पीठ नेश्रमिकों को मुफ्त परिवहन, भोजन, आश्रय की व्यवस्था संबंधी याचिका पर विचार करने से इनकार कर दिया। याचिका में सभी जिलाधिकारियों से फंसे हुए प्रवासी श्रमिकों की पहचान करना, उनके लिए मुफ्त परिवहन सुनिश्चित करने से पहले आश्रय, भोजन उपलब्ध कराने के लिए केंद्र को निर्देश देने की मांग की गई थी। बता देंकि यह आवेदन औरंगाबाद में हुई घटना के बाद दायर की गई थी। जिसमें 16 मजदूर मालगाड़ी की चपेट में आकर मौत की नींद सो गए थे। प्रवासियों की याचिका पर सुनवाई करने वाली पीठ में न्यायमूर्ति एसके कौल और बीआर गवई भी शामिल थे। यह सुनवाई वीडियो कान्फ्रेंसिंग के जरिए हुई।